सरकार ने किसानों को उपज का सही मूल्य दिलाने हेतु सामान्य ई-मार्केट प्लेटफार्म की शुरुआत की है। 585 नियंत्रित मंडियों को जोड़ने के उद्देश्य के साथ स्थापित इस ई-ट्रेडिंग प्लेेटफार्म पर 250 मंडियों को जोड़ा जा चुका है।
पुरूषोत्तम रूपाला
मई, 2014 में अपना कार्यभार संभालने के उपरांत वर्तमान केंद्रीय सरकार द्वारा समुचित एवं पर्याप्त बाजार सुधारों के साथ कृषि उत्पादकता व वित्तीय लाभ को बढ़ाने और किसानों द्वारा महसूस किए जाने वाले दबावों में कमी लाने हेतु समर्थ प्रयास किए गए हैं। इन्हें अनिवार्य रूप से कृषि प्रभावशीलता और व्यावसायिक विविधीकरण को प्रोत्साहन देने के लिए किया गया है। उदाहरण के लिए भारत का पूर्वी क्षेत्र, जो कि कृषि क्षेत्र में एक बिना दोहन वाला क्षेत्र है। देश में दूसरी हरित क्रांति लाने की दिशा में कृषि में संस्थागत विकास और आपूर्ति में सुधार लाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। किसानों की खुशहाली और बेहतर रहन-सहन को हासिल करने की दिशा में, 30 महीनों के कार्यकाल में अनेक नए और अभूतपूर्व कदम उठाए गए हैं। सरकार द्वारा उत्पादकता (बेहतर निवेश, जोखिम प्रबंधन) लाभप्रद व्यावसायीकरण (विविधीकृत कृषि प्रणाली, बाजार सुधार) प्रतिस्पर्धा तथा गवर्नेस (डी.बी.टी., भूमि सुधार) पर किसानों को शामिल करना प्रारंभ किया गया है।
मुख्य कार्य के रूप में किसान कल्याण करने हेतु जोखिम-प्रबंधन मूल्य उतार-चढ़ाव तथा मूल्य स्थिरीकरण पर विशेष ध्यान केंद्रित करना इस सरकार के एजेंडा में सबसे ऊपर है। सरकार द्वारा प्रारंभ की गई अनेक प्रमुख पहलों में पूरी तरह से समर्पित एक टीवी चैनल ‘किसान चैनल’ शामिल है, जिस पर कृषि के सभी पहलुओं पर मूल्यवान जानकारी प्रदान की जाती है।
सरकार ने किसानों को उपज का सही मूल्य दिलाने हेतु सामान्य ई-मार्केट प्लेटफार्म की शुरुआत की है। 585 नियंत्रित मंडियों को जोड़ने के उद्देश्य के साथ स्थापित इस ई-ट्रेडिंग प्लेेटफार्म पर 250 मंडियों को जोड़ा जा चुका है।
भारत सरकार कृषि को नई गति देने का प्रयास कर रही है। इस दिशा में सिक्किम को जैविक राज्य का दर्जा देना, गुजरात में काजू की खेती को बढ़ावा देना, राजस्थान में जैतून की पैदावार बढ़ाना तथा पिस्ता की पैदावार बढ़ाने के प्रयास शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा ऐतिहासिक फैसला लेते हुए ब्याज सहायता योजना (Interest Subvention Scheme) के तहत नाबार्ड निधि (NABARD Funds) को 21000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 41,000 करोड़ रुपए कर दिया है।
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों की बढ़ी हुई दृश्यता (विजीबिलिटी) से कृषि पेशे के प्रति सम्मान बढ़ा है और कृषि व्यवसाय में लोगों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं।
यहां मैं सभी संबंधितों की जानकारी के लिए कृषि क्षेत्र में सरकार की दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं की प्रगति यात्रा रखना चाहूंगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFSY) को खरीफ 2016 से लागू किया गया। इस योजना को तत्कालीन राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) तथा संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) के स्थान पर लागू किया गया था। तत्कालीन योजनाओं की तुलना में इसमें यह महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है कि देश भर में फसल/क्षेत्रों के लिए वास्तविक प्रीमियम में किसानों की हिस्सेदारी को तर्कसंगत बनाया गया और खरीफ खाद्यान्न, दलहन तथा तिलहनी फसलों के लिए सुनिश्चित राशि की 2%, रबी खाद्यान्न, दलहन एवं तिलहन फसलों के लिए 1.5% और खरीफ तथा रबी की वार्षिक व्यावसायिक/वार्षिक बागवानी फसलों के लिए 5% की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई।
फसल के दौरान विपरीत मौसम जैसे कि – बाढ़, सूखा अवधि गैर मौसमी वर्षा के मामले में संभावित उपज, सामान्य उपज से 50% कम रहने की स्थिति में संभावित दावों का 25% तक का तत्काल ऑन अकाउंट भुगतान किया जाएगा। फसलोपरांत नुकसान, स्थानीय आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, जलभराव, भू-स्खलन से क्षति का आकलन कर किसान भाईयों के क्षतिपूर्ति दावों का भुगतान किया जाएगा।
वर्ष 2016-17 में फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन के लिए अब तक कुल 13,240 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। पिछले खरीफ मौसम 2015 के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 23 राज्यों के 309 लाख किसानों को शामिल किया गया था। खरीफ 2016 के दौरान कुल 377.46 लाख किसानों को इस योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है, जिसमें से 272.84 लाख किसान कर्जदार और 104.57 लाख किसान गैर कर्जदार हैं।
इस योजना में सभी प्रकार के क्षतिपूर्ति दावा की गणना और भुगतान के लिए समय निर्धारित कर दिया गया है। किसानों की शिकायत निपटाने के लिए इलेक्ट्रानिक माध्यम जैसे कॉल सेंटर और पोर्टल की व्यवस्था की गई है। यह योजना किसानों को जटिलताओं से मुक्त कर उनके लिए सभी फसली जोखिमों पर क्षतिपूर्ति का एक सरल प्रारूप प्रस्तुत करती है और देश के किसानों को लाभान्वित करने और जोखिम कवरेज की दृष्टि से अभूतपूर्व है।
मृदा स्वायल कार्ड योजना – हरित क्रांति के सूत्रपात के साथ ही भारत में उर्वरकों के प्रयोग में लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन इसमें नाइट्रोजन के स्रोत के रूप में यूरिया के प्रयोग में अंधाधुंध बढ़ोतरी हुई है। यह एक प्रचलित मान्यता है कि भारतीय किसान यूरिया का बहुत अधिक प्रयोग करते हैं। मृदा एवं फसल की प्रवृत्ति तथा सिंचित बनाम बारानी क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए अधिक गहन विश्लेषण पर ध्यान दिया जा रहा है। अब मृदा स्वायल कार्ड योजना लागू की जा रही है, ताकि किसानों को उनके खेत के पोषक स्तर के बारे में जानकारी दी जा सके ताकि वे उर्वरकों का समुचित प्रयोग करने में समर्थ बन सकें। इस योजना के तहत मार्च, 2017 तक 14 करोड़ फार्म होल्डिंस (Farm Holdings) को शामिल किए जाने का लक्ष्य है। मृदा स्वायल एवं उर्वरता पर राष्ट्रीय परियोजना के लिए 368 करोड़ रुपए प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही अगले तीन वर्षों में मृदा एवं बीज परीक्षण सुविधाओं के साथ उर्वरक कम्पनियों के 2000 मॉडल रिटेल आउटलेट्स भी प्रदान किए जाएंगे।
मार्च 2017 तक कुल 2.53 करोड़ मृदा नमूनों का संकलन करने के लक्ष्य के मुकाबले 17 जनवरी, 2017 तक 2.44 करोड़ मृदा नमूने संकलित किए गए हैं। इन मृदा नमूनों से करीब 14 करोड़ मृदा स्वायल कार्ड तैयार करने का लक्षित कार्य प्रगति पर है। पिछले दो वर्षों के दौरान 460 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है। 460 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के अलावा 4000 मिनी लैब भी राज्यों के लिए स्वीकृत किए गए हैं। प्रयोग आधारित उचित उर्वरकों के उपयोग से उपज लागत में कमी और उत्पादन में वृद्धि होना निश्चित है।
कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाने हेतु विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। इनमें कृषि क्षेत्र की विद्यमान समस्याओं का निवारण, निरंतर उत्पादन बढ़ाने, कृषि को मजबूती प्रदान करने और किसानों को सहयोग देने की अपार क्षमता निहित है।
(लेखक केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा पंचायत राज राज्यमंत्री हैं)