गरीबों को सशक्त बनाना मोदी सरकार का उद्देश्य: अमित शाह

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने पटना (बिहार) के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में 10 फरवरी को ‘एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान’ एवं चिति (प्रज्ञा प्रवाह की इकाई) के तत्वावधान में आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय का लोकार्पण किया और लोगों से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन से प्रेरणा लेकर देश की एकता, अखंडता एवं विकास के लिए काम करने का आह्वान किया।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का कार्यकाल तो छोटा ही था लेकिन संघ प्रचारक के रूप में काम करते-करते वे देश काल और सामाजिक जीवन के कई समस्याओं का निराकरण इतने अल्प समय में कर के गए हैं कि यदि किसी समस्या का समाधान किसी को पाना है तो वह पंडित दीन दयाल जी के जीवन, उनके आलेखों व भाषणों को पढ़ ले, वहीं से उसकी सारी समस्याओं का समाधान आसानी से मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी एक दूरगामी चिंतक, मूर्धन्य विचारक और एक कुशल संगठनकर्ता थे। उन्होंने कहा कि अंतर्विरोधों से भरे एक काल-खंड के मध्य भी पंडित जी ने समन्वय की राजनीति को बल देकर आगे बढ़ाने का काम किया।

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श्री शाह ने कहा कि ‘भारत एक जियो पॉलिटिकल नहीं, एक जियो कल्चरल राष्ट्र है’ इस कल्पना को पहली बार विश्व के सामने यदि किसी ने रखने का काम किया तो पंडित दीनदयाल जी ने किया, उन्होंने बड़ी सहजता के साथ लोगों के सामने इस परिकल्पना को रखा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता एवं अध्यक्ष होने के नाते मेरे लिए यह गौरव की बात है कि मैं उस वर्ष भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष हूं जिस वर्ष पंडित दीनदयाल जी का जन्मशती वर्ष मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मेरे जैसे पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं के लिए सौभाग्य का समय है। उन्होंने कहा कि गत सितम्बर में कालीकट (जहां दीनदयाल जी भारतीय जन संघ के अध्यक्ष बने थे, उसी शहर) में पंडित जी की जन्म शताब्दी वर्ष की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उनके ‘अंत्योदय’ के विचार के आधार पर इस शताब्दी वर्ष को गरीब-कल्याण वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि आज भी भारतीय जनता पार्टी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के आदर्शों एवं सिद्धांतों पर ही चल रही है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आजादी के बाद जब पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के नेतृत्व में देश की नीतियां बनाने के लिए एक सर्वदलीय सरकार का गठन किया हुआ था, तब देश के कई बुद्धिजीवियों एवं मनीषियों को लगा कि देश के लिए जो नीतियां बन रही हैं, उसका मूल तो पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित है, इसमें कहीं भी भारत की सभ्यता, संस्कृति व देश की माटी की सुगंध नहीं है, यदि इसी रास्ते पर देश चला तो देश काफी पिछड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों के बीच देश को एक वैकल्पिक विचारधारा देने के लिए श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्त्व में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि जन संघ की स्थापना के वक्त किसी ने दूर-दूर तक यह कल्पना भी नहीं की थी कि कभी म्युनिस्पैलिटी में भी जन संघ जीत हासिल कर पायेगी।
श्री शाह ने कहा कि जनसंघ एवं कांग्रेस के मूल विचारों में जो एक स्पष्ट अंतर है, वह यह है कि कांग्रेस इस देश का नवनिर्माण करना चाहती थी जबकि जनसंघ भारत की सभ्यता व संस्कृति की गौरवशाली विरासत के मार्ग पर चलते हुए देश का पुनर्निर्माण करना चाहती थी। उन्होंने कहा कि जनसंघ का मानना था कि देश का जो पुराना था, वह तब भी सर्वोच्च था, आज भी सर्वोच्च है। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अपने भाषणों एवं आलेखों के माध्यम से राष्ट्र गौरव को जागृत करने का काम किया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि दल के सत्ता में आने पर सरकार चलाने के लिए वैचारिक आधार देने का काम भी पंडित दीन दयाल जी ने किया। उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल जी ने पार्टी चलाने के लिए जो नियम बनाए थे, पार्टी की जो कार्यपद्धति बनाई थी, सिद्धांतों को सरलता से जिस प्रकार उन्होंने व्याख्यायित किया था, आज उसी का परिणाम है कि 10 सदस्यों के साथ शुरू हुई जनसंघ पार्टी आज 11 करोड़ सदस्यों के साथ भारतीय जनता पार्टी के रूप में विश्व की सबसे बड़ी राजनीति पार्टी बन गई है। उन्होंने कहा कि विचारों का छोटा-सा जो बीज पंडित दीन दयाल जी ने बोया था, आज वह बटवृक्ष के रूप में खड़ा होकर न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की समस्याओं को सुलझाने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने कहा कि चाहे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हो या व्यक्ति से समष्टि तक एकात्म भाव से जिस प्रकार का विकास का मॉडल पेश करने की बात हो – इन सारी चीजों को एकात्म मानव दर्शन के रूप में संजो कर उन्होंने देश एवं दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का काम किया। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल जी ने उस वक्त जलवायु समस्या को गंभीरता से रखा था, जब बहुत लोग इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं थे, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि प्रकृति का शोषण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हम उनके सिद्धांतों के अनुरूप चले होते तो आज ग्लोबल वार्मिंग की गंभीर समस्या से हम चिंतित न होते।
श्री शाह ने कहा कि संगठन का दायित्त्व भी पंडित दीनदयाल जी ने बखूबी निभाया, संगठन मंत्री, संगठन महामंत्री फिर जन संघ के अध्यक्ष रहे, जन संघ की कार्यप्रणाली की नींव डालने का काम जो उन्होंने किया, उसी नींव पर आज भारतीय जनता पार्टी खड़ी है। उन्होंने कहा कि आज हम गर्व से कह सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी देश का विचार करने वाली पार्टी है, देश की चिंता करने वाली पार्टी है। उन्होंने कहा कि किसी राजनीतिक दल का परिचय क्या होता है- पार्टी का परिचय उसका सिद्धांत होता है, उसके किये गए आंदोलन होते हैं, उस आंदोलन से निकले हुए पार्टी के नेता होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे सिद्धांतों को देखिये, हमारे आंदोलनों को देखिये- चाहे गोवा मुक्ति आंदोलन हो, हैदराबाद का आंदोलन हो, गौ-हत्या पर प्रतिबद्ध का आंदोलन हो, कच्छ सत्याग्रह हो, कश्मीर की मुक्ति का आंदोलन हो राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने का आंदोलन हो – हर आंदोलन के पीछे देश का विचार है, सांस्कृतिक एकता का राग है। उन्होंने कहा कि हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता कोई आंदोलन, कोई यात्रा किसी नेता को बड़ा करने के लिए नहीं बल्कि जन-जागृति फैला कर देश की समस्या के निवारण के लिए करते हैं, यह परिचय है भारतीय जनता पार्टी का।
श्री शाह ने कहा कि दीनदयाल जन्मशती में विचार परिवार का हर कार्यकर्ता और खासकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के लिए आत्मचिंतन का विषय है। उन्होंने कहा कि यदि हमें ऐसा संगठन बनाना है कि जिसकी आभा से पूरा विश्व इस प्रकार चकाचौंध हो जाए कि जिसके अंदर से सिद्धांतों की सुगंध बाहर आ सके, यदि हम ऐसे संगठन के माध्यम से देश को ‘विश्वगुरु’ के पद पर प्रतिष्ठित करना चाहते हैं तो हमारे लिए पंडित दीनदयाल जन्मशती एक बहुत बड़ा मौक़ा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय जन्मशती को गरीब-कल्याण वर्ष के रूप में मनाने का बिलकुल सही फैसला किया क्योंकि जब तक हम देश के गरीब-से-गरीब व्यक्ति के जीवन को ऊपर नहीं उठाते हैं, तब तक हम देश को आगे लेकर नहीं जा सकते।