बजट 2017 ने लाखों सपनों के पंख लगाए

| Published on:

शहरी और ग्रामीण एवं गरीब लोगों के बीच अंतर कम करने का प्रयास

डा. आर. बालाशंकर

कहा गया है कि हमारा यह स्वप्निल बजट दूरदर्शी, निर्णायक एवं साहसी है। विगत में वार्षिक बजटों के बारे में इस प्रकार के उल्लेख किए जा चुके हैं। उदारीकरण में यह शब्द विश्व आर्थिक निर्माण को प्रस्तुत करते हैं, जो नए-राष्ट्रवाद और संरक्षणवाद के चलते विगत-ट्रंप युग में प्रमुख शब्द बनकर रह गए थे। 8 नवम्बर के महत्वपूर्ण विमुद्रीकरण ने अनिश्चितता, आशा और उम्मीदों का तत्व पैदा कर दिया था तथा साथ ही विपक्ष ने इसे स्थगित करने का जोरदार हंगामा करते हुए कहा था कि इससे जल्द ही पांच राज्यों में होने जा रहे चुनावों पर मतदाता प्रभावित होंगे। विपक्ष को भय रहा है कि बजट लोकलुभावनकारी होगा और इससे एनडीए के पक्ष में मतदाता आकर्षित होंगे। पी. चिदम्बरम जैसे पूर्व वित्त मंत्री का कहना है कि बजट ‘‘आंकड़ों की कार्यकुशलता’’ के अलावा और कुछ नहीं है। अरुण जेटली के बजट का विशेष महत्व यही है कि उन्होंने बजट प्रक्रिया की विश्वसनीयता को फिर से बहाल किया है। बजट के पीछे एक दर्शन छिपा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे बड़े शायराना ढंग से पेश किया है। उन्होंने कहा है कि ‘‘यह बजट हमारे स्वप्नों को दर्शाता है। यह भविष्य का बजट है। इससे भारत की शक्ल ही बदल जाएगी।’’ हां, इस सरकार का मुख्य सिद्धांत यही है कि हम भारत का पुनर्निर्माण करें जिससे हर आंख का आंसू पोंछा जाए और पूरी तरह से गरीबी समाप्त हो।

यह बजट प्रधानमंत्री के लाखों स्वप्नों को साकार करने वाला बजट है और अरुण जेटली का यह बजट सराहनीय है। उन्होंने यह बजट ईंट-दर-ईंट, एक के बाद एक बजट प्रस्तुत कर आर्थिक दृष्टि को प्रस्तुत किया है जिससे अंत्योदय विचारधारा सामने आ सके। 2017 का बजट उस विचार की परिणति है जिससे अमीरों और गरीबों के बीच का अंतर समाप्त हो सके और शहरी तथा ग्रामीण भारत के बीच का अंतर भी समाप्त हो सके। पिछले चार बजटों में नरेन्द्र मोदी सरकार ने विनिवेश, पर्यावरण, मुद्रास्फीति नियंत्रण, वित्तीय घाटे को कम कर, इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और विगत मील कनेक्टिविटी सुनिश्चित करके तीव्र विकास पर कहीं अधिक जोर दिया है। जब अगले एक वर्ष नए बजट में 1.5 लाख से अधिक गांवों में डिजीटल कनेक्टिविटी की बात की जाती है तो इसका मतलब गांवों में शहरी सुविधाएं देने का होता है। विशेष आकर्षण की बात यह है कि कभी भी हमारे इतिहास में कृषि के आवंटन को दुगुना नहीं किया गया था। यही बात रेल और सड़क निर्माण के आवंटन पर भी लागू होती है। बजट में सन् 2018 तक सभी गांवों में बिजली पहुंचाने की बात कही गई है और इसके लिए प्रावधान किए गए हैं। बजट में गरीबों के लिए एक करोड़ घर बनाने का प्रावधान किया गया है। निर्माण क्षेत्र को भी बढ़ा दिया गया है। ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से ग्रामीण कनेक्टिविटी निर्माण पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि वह मनरेगा योजना के लिए 48000 करोड़ से अधिक का सर्वाधिक आवंटन कर रहे हैं।

सरकार के सामने नए कामों का निर्माण सर्वाधिक तात्कालिक प्राथमिकता रखी गई है। वित्तमंत्री ने यह बात ठीक ही कही है कि वह सार्वजनिक निवेश के जरिए इसकी योजना तैयार कर रहे हैं। स्किल योजना की कई योजनाएं है और इसके लिए बड़ा आवंटन किया है तथा भारतीय युवाओं के लिए रोजगार को मजबूत किया जा रहा है। बजट में बहुत सी योजनाएं हैं जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्किल विकास का वायदा किया गया था, जिससे इस लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। जैसाकि जेटली ने कहा है कि जब सड़कों का निर्माण होता है तो रेलवे का विस्तार भी होता है और नया स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा होता है और ग्रामीण जाॅब गारण्टी पर कहीं अधिक धन खर्च किया जाता है तथा इससे खेतिहर सेक्टर में और अधिक जाॅब उपलब्ध होते हैं। बजट में विशेष रूप से सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की बात कही गई है। उतनी ही सराहनीय योजनाएं महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के संबंध में भी है, जिनके लिए विशेष लक्ष्य रखे गए हैं। गुजरात और झारखण्ड में दो नए AIIMS की मांग की गई जिनसे अन्य राज्यों में इसी प्रकार के विशिष्ट स्वास्थ्य केन्द्र की बात भी कही गई है।
बजट में पर्यटन के प्रमुख विकास चालक और जाॅब को कई गुना बढ़ाने की बात कही गई है। इस दिशा में 25 नगरों के आधुनिकीकरण और पुनर्निर्माण तथा 300 आधुनिक स्टेशन तथा परिवहन सुविधाओं को बढ़ा कर पर्यटन स्थलों का महत्वपूर्ण उपाए किए गए हैं।

हालांकि विमुद्रीकरण से सरकार के खजाने में भरमार हुई है, परन्तु पिछली यूपीए सरकार की तरह से मोदी सरकार ने फिजुलखर्ची नहीं की है। एनडीए विकास मिशन के प्रमुख क्षेत्र वित्तीय अनुशासन तथा घाटे पर रोक लगाना प्रमुख क्षेत्र में आता है। इस रवैये को देखते हुए मोदी सरकार ने सब्सिडी बोझ को कम किया है और तीन प्रतिशत की सर्वाधिक मुद्रास्फीति कम की है, जिससे कई वर्षों बाद वास्तविक खाद्य पदार्थों की कीमतें नीचे आई हैं। 2017 का बजट कई मायनों में अद्वितीय है। इससे न केवल योजनाओं के बेहतर ढंग से पर्यावरण पैदा होगा, बल्कि इसने स्वदेशी ओर राष्ट्रीयता को भी जन्म दिया है। रेलवे बजट को शामिल करने से इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की योजनाएं और अधिक कारगर साबित होंगी।  इस तथ्य को देखते हुए कि वेतनभोगी ग्रुप आय प्रदाता समुदाय है, इसलिए इनके लिए अधिक रियायत की उम्मीद थी ताकि इन्हें उनकी ईमानदारी और इंसेंटिव अनुपालन का पुरस्कार मिल सकें। इन्हें जो भी राहत मिलती है, उससे बहुत हद तक पार्टी के नगरीय वोटों की सद्भावना की रक्षा हो सकेगी। एक और क्षेत्र भी है, जहां वित्त मंत्री ने एसएमई की कर रियायत में उदारता बरती है। इससे विनिर्माण हब जैसी भारत की स्थिति और अधिक बढ़ जाएगी। मुद्रा ऋणों में दुगुने आवंटन किए जाने से इस क्षेत्र में और अधिक इंसेटिव का निर्माण होगा। ऋण न चुकानें वालों की संपत्ति जब्त करने का निर्णय भी उतना ही सराहनीय है, जैसा कि हमने देखा है कि विजय माल्या जैसे लोग देश से बाहर फरार हो गए थे। सरकार अभी तक एनपीए जैसे मामले पर कड़ा रुख अपनाए हुए हैं, जो यूपीए के दस वर्षों के शासन में जमा होता रहा है। एनपीए कुशासन के अनुसार वर्तमान और बट्टे खाते की राशि 15 लाख करोड़ से भी कहीं अधिक है। यह बहुत बड़ा भारी ‘स्कैम’ रहा है। राजनीतिक संरक्षण के कारण प्रायः अपराधी बेबाक छूट जाते थे।

इस संदर्भ में सरकार के राजनीतिक धन से छुटकारा देने के साहसिक निर्णय की सराहना की जानी चाहिए। यह क्षेत्र कालेधन का सर्वाधिक क्षेत्र रहा है। कालेधन को श्वेत करने का एक उपाए न्यासों को धन और डोनेशन कम करने का निर्णय है। यह कालेधन का एक और पार्किंग स्थल रहा है। इससे कालेधन को समाप्त करने की सरकार की ईमानदारी प्रगट होती है। नए बजट से आम आदमी को खर्च करने के लिए और अधिक धन उपलब्ध हो सकेगा। इस दृष्टि से यह बजट उपभोक्ता अनुकूल है और विकासपरक है। इससे मांग बढ़ेगी और उत्पादकता भी बढ़ेगी। इस पर आश्चर्य होता है कि वार्षिक एक्सरसाइज पर इतना बड़ा ‘हंगामा’ क्यों हो रहा है, जिसका कार्यकाल केवल 12 महीने का होता है। कांग्रेस वित्त मंत्रियों ने दशकों से सामान्य रूप से बजटों को काम किया है, जिसमें जमीनी रूप से एक के बाद एक कई वर्षों तक घोषणाओं को दोहराया जाता रहा है। मोदी सरकार ने इस सभी को परिवर्तित किया है और बजट को एक अर्थ देते हुए राष्ट्रीय निर्माण का ब्ल्यूप्रिंट बनाया है। यह टारगेटेड, लक्ष्यबद्ध और नीतिगत, विश्वसनीय नीति है। वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत चौथा बजट एक बार फिर राजनीतिक विचारधारा का शानदार बजट है जिससे वास्तव में जमीनी ट्रांसफोर्मेशन दिखाई पड़ता है।

(लेखक भाजपा केन्द्रीय प्रशिक्षु समिति और प्रकाशन समिति के सदस्य हैं।)