स्वच्छ-स्वस्थ‍-सर्वत्र

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जगत प्रकाश नड्डा

अस्वच्छता और पीने योग्य पानी के अभाव का सीधा संबंध रोगों से है किन्तु यह निवारणीय भी है। भारत में सभी उम्र के लोगों में दस्त रोग मृत्यु का पांचवा सबसे बड़े कारक है। पीने के लिए सुरक्षित पानी और अच्छी स्वच्छता पद्धतियों का अभाव आर्थिक उत्पादकता को कम कर देता है और समस्त विकलांगता समायोजित जीवन वर्षों के 5 प्रतिशत का योगदान करता है, जो केवल अस्वच्छता के कारण प्रत्येक भारतीय के प्रत्येक वर्ष में आठ स्वस्थ दिन कम होने के बराबर है। (स्रोत: फ्यूट्रेल एट आल,2007)। असुरक्षित पानी और अपर्याप्त स्वच्छता अधिकतर गरीबों को प्रभावित करती है। यह रोग भार बार–बार बीमार करते हुए, बच्चों के विकास से समझौता करते हुए अधिकतर बच्चों को भी प्रभावित करता है। यह महिलाओं को भी प्रभावित करता है, जिन्हें लिंग आधारित हिंसा के साथ–साथ सुरक्षित स्वच्छता-सुविधाओं की पहुंच के अभाव के कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्वस्थ्य परिणामों का सामना करना पड़ता है। यूनीसेफ की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 564 मिलियन लोग खुले में शौच करते हैं जो भारत की लगभग आधी आबादी के बराबर है। खुले में शौच करनेवालों में दक्षिण एशिया में 90 प्रतिशत लोग और विश्व के 1.1 बिलियन लोगों में 59 प्रतिशत भारत के हैं। मानव स्वास्थ्य और सामान्य हाल–चाल पर असुरक्षित पानी और अपर्याप्त स्वच्छता के कारण प्रतिकूल प्रभावों के लिए अंतरक्षेत्रीय कार्य की जरूरत होती है। बढ़ते रोग भार और भीड़–भाड़ से अस्वच्छता के कारण रोग भार के स्वास्थ्य परिचर्या सुविधाओं पर प्रत्यक्ष परिणाम पड़ते हैं। इसके विपरीत सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में खराब गुणवत्ता, स्वच्छता और साफ–सफाई के अभाव के परिणामस्वरूप न केवल खराब स्वास्थ्य परिणाम होते हैं, बल्कि बेहतर गुणवत्ता की धारणाओं के कारण लोग स्वास्थ्य परिचर्या हेतु निजी क्षेत्र को भी चुन लेते हैं जिसके परिणामस्वरूप जेब से अधिक खर्च करना पड़ता है।

‘स्वच्छ जल और साफ सफाई– सभी के लिए पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और सतत प्रबंधन सुनिश्चित करना’ सम्मेलन में 25 सितंबर, 2015 को मंजूरी दी गई है। एसडीजी 6 के अंतर्गत लक्ष्यों में से एक यह है कि ‘वर्ष 2030 तक महिलाओं और लड़कियों तथा संवेदनशील परिस्थितियों में रहने वालों की जरूरतों पर विशेष ध्यान देते हुए, सभी के लिए पर्याप्त और न्यायसंगत स्वच्छता व साफ–सफाई सुलभ्य बनाना और खुले में शौच को समाप्त करना’। यह स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। एसडीजी 6 की उपलब्धि का एसडीएच3 पर आकस्मिक असर पड़ता है जो स्वास्थ्य संबंधित लक्ष्य है। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ इससे बेहतर समय पर नहीं हो सकता था। दो उप–मिशन, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) सहित यह मिशन महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती को एक उपयुक्त श्रद्धांजलि के रूप में, 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने का साधन है। वर्ष 2015 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्वच्छ भारत अभियान की दिशा में अपने योगदान के रूप में, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत, केंद्र सरकार के अस्पतालों और राज्यों-संघ राज्य क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कायाकल्प पुरस्कार योजना का शुभारंभ किया। यह समय–समय पर आकलन एवं प्रमाणन के माध्यम से स्वच्छता, सफाई व संक्रमण नियंत्रण प्रथाओं के उच्च स्तरों को प्रदर्शित करने के लिए देश के जन स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों को बढ़ावा देने व प्रोत्साहन देने का लक्ष्य रखता है। पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने सुरक्षित पेय जल, मानव मल के उचित निपटान, पर्यावरण की स्वच्छता, व्यक्तिगत एवं खाद्य स्वच्छता तथा तरल प्रबंधन व शौचालय के िनर्माण एवं व्यावहारिक परिवर्तन ग्राम पंचायतों/शहरी क्षेत्रों को खुले में शौच करने से मुक्त क्षेत्र बनाने (ओडीएफ) के पक्षों को शामिल करने के लिए अपने सपूंर्ण स्वच्छता अभियान की शुरूआत की है।

अंतर–मंत्रालयी सम्मेलन के मौजूदा प्रयासों को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने के लिए 29 दिसम्बर, 2016 को पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा स्वच्छ-स्वस्थ-सर्वत्र नामक एक संयुक्त पहल की शुरूआत की गयी है। यह पहल सामान्य साझा दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए दोनों मंत्रालयों की कार्यान्वयन रणनीतियों के तालमेल का लाभ उठाने की परिकल्पना करती है। स्वस्थ–स्वच्छ–सर्वत्र के तीन मुख्य घटक हैं – कायाकल्प प्रमाणन प्राप्त करने के लिए ओडीएफ ब्लॉकों में एनएचएम के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को सहयोग देना, कायाकल्प पुरस्कार विजेता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की ग्राम पंचायत को खुले में शौच करने से मुक्त बनाने के लिए प्राथमिकता देना तथा सीएचसी/पीएचसी नामितियों को जल स्वच्छता व सफाई संबंधी प्रशक्षिण देना। उन ब्लॉकों को िजन्हें पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय व स्थानीय समुदाय के प्रयासों द्वारा खुले में शौच करने से मुक्त बनाया गया है, वहां स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अपने सीएचसी को कायाकल्प आकलन के तहत सुविधा केंद्र द्वारा उच्च गुणवत्ता स्वच्छता, सफाई व संक्रमण नियंत्रण के बेंचमार्कों को निम्नतम 70 अंकों के साथ प्राप्त करना सुनिश्चित करने के लिए 10 लाख रू. का अनुदान प्रदान करेगा। इसके साथ ही पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय कायाकल्प पुरस्कार विजेता सुविधा केन्द्र के रूप में मूल्यांकित किए गए पीएचसी की ग्राम पंचायत के ओडीएफ कार्यकलापों को शुरू करेगा। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय उप सीएचसी व पीएचसी के नामितियों को वॉश प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा। पहले चरण में वर्ष 2017–18 के दौरान, ओडीएफ घोषित 700 ब्लॉकों में स्थित सीएचसी तथा वे ग्राम पंचायत/नगर पंचायत जिनमें कायाकल्प पुरस्कार विजेता पीएचसी हैं (प्रति जिला एक–एक) स्थित उन्हें इस पहल में कवर किया जाएगा। परिकल्पित कार्यकलापों का वित्तीय वर्ष के अंत तक प्रमाणन प्रक्रिया के साथ समापन किया जाएगा। ऐसे सीएचसी व पीएचसी का स्वच्छ रत्न सीएचसी और स्वच्छ रत्न पीएचसी के रूप में नामित किया जाएगा। तदनुसार, अतिरिक्त ब्लॉकों व सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों में स्किम का उत्तरोत्तर विस्तार किया जाएगा।

‘स्वच्छ–स्वस्थ–सर्वत्र’ पहल इस अर्थ में अनूठी पहल है कि दोनों मंत्रालय प्रतिरूप रणनीति पर कार्य करेंगे, जिससे प्रत्येक मंत्रालय को उपलब्धियां हासिल करने में सुगमता होगी एवं सुदृढ़ता मिलेगी और पूरकता आएगी जिससे कि पणधारियों को एक साथ कार्य करने व समस्या समाधान का लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इस पहल में स्वच्छता की कमी व जल जनित रोगों से संबंधी रोग के बोझ को कम करने के द्वारा बेहतर समुदाय व्यवहार व स्वच्छ सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा केन्द्र को एक दूसरे का पूरक बनाने की परिकल्पना की गई है।

(लेखक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं।)