2014 के बाद से पूर्वोत्तर में विद्रोह की घटनाओं में 63 प्रतिशत की गिरावट

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केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2018 में आंतरिक सुरक्षा का परिदृश्य बेहद शांतिपूर्ण रहा। बांग्लादेश, म्यांमार और चीन के साथ सीमाओं पर स्थिति में काफी सुधार हुआ। पश्चिमी सीमाओं पर हमारे सुरक्षा बलों ने युद्धविराम उल्लंघनों का उतने ही कड़े तौर पर जवाब दिया और घुसपैठ के प्रयासों को विफल किया। जम्मू एवं कश्मीर में ठोस आतंकवाद-विरोधी ऑपरेशनों के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में आतंकवादियों का सफाया हुआ और स्थानीय निकाय चुनावों का निर्विघ्न संचालन हुआ।

पूर्वोत्तर में पिछले चार वर्षों के दौरान सुरक्षा परिदृश्य में बड़े पैमाने पर सुधार हुआ है, जिसके नतीजतन इस साल मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के हिस्सों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) को हटा दिया गया। असम में बिना किसी हिंसा के ड्राफ्ट राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) जारी कर दिया गया और अंतिम एनआरसी आने वाला है। देश के आंतरिक इलाकों में वामपंथी अतिवाद से प्रभावित जिले 2013 में जहां 76 थे वो अब सिकुड़कर 58 रह गए हैं।

पुलिस बलों के आधुनिकीकरण (एमपीएफ) कार्यक्रम के अंतर्गत जम्मू में भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्मार्ट बाड़ की दो पायलट परियोजनाओं की शुरुआत की गई। आपातकालीन प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली (ईआरएसएस) के अंतर्गत एक एकल अंक वाले अखिल भारतीय आपातकालीन फोन नंबर ‘112’ को लॉन्च किया गया है, जिसकी शुरुआत हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में की गई है। गृह मंत्रालय ने महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मसलों को संबोधित करने के लिए एक नया विभाग बनाया है, वहीं दो पोर्टलों ‘महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध निवारण’ (सीसीपीडब्ल्यूसी) और ‘यौन अपराधियों पर राष्ट्रीय डाटाबेस’ (एनडीएसओ) ने भी महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े विषयों को और आगे बढ़ाने का काम किया है।

इसके अलावा गुजरे साल में गृह मंत्रालय ने जो अन्य काम किए हैं उनमें – राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि में केंद्र के हिस्से को 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत करना, ई-वीज़ा की जबरदस्त सफलता, द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग पर भारत-चीन के बीच पहली उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन, क्षेत्रीय परिषदों की नियमित बैठकों का संचालन, प्रधानमंत्री के हाथों राष्ट्रीय पुलिस स्मारक को राष्ट्र के लिए समर्पित किया जाना और नए स्थापित किए गए पुलिस मैडल जैसी सुर्खियां भी शामिल हैं। गृह मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियां निम्न हैं:

जम्मू एवं कश्मीर

कश्मीर घाटी में पत्थरबाज़ी की बार-बार होने वाली घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने मई 2018 में रमजान के पावन महीने के दौरान जम्मू एवं कश्मीर में सभी ऑपरेशनों को रोकने की घोषणा करते हुए एक प्रमुख समाधानकारक पहल की। हालांकि एक समीक्षा के बाद इसे रमजान की अवधि से आगे नहीं बढ़ाया गया, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने ठोस आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों को शुरू किया जिसके महत्वपूर्ण नतीजे मिले। इस साल 2 दिसंबर 2018 तक 587 घटनाओं में 238 आतंकवादी मारे गए और सुरक्षा बलों के 86 व्यक्ति शहीद हुए व 37 नागरिकों की जान गई। जून में गृह मंत्रालय ने जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के लिए दो महिला बटालियन खड़ी करने को अपनी स्वीकृति दी।

शांतिपूर्ण पूर्वोत्तर

पूर्वोत्तर में सुरक्षा परिदृश्य लगातार सुधर रहा है। वर्ष 1997 के बाद से पिछले दो दशकों में पहली बार पिछले साल विद्रोह की घटनाएं और सुरक्षा बलों व नागरिकों के बीच हताहतों की संख्या सबसे कम दर्ज की गईं। जहां त्रिपुरा और मिजोरम में अब करीब करीब कोई विद्रोह नहीं बचा है, वहीं अन्य राज्यों और इस क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति में सुधार देखा गया है।

2014 के बाद से चार वर्षों में इस क्षेत्र में विद्रोह की घटनाओं में 63 प्रतिशत की गिरावट आई है। ठीक इसी तरह 2014 की तुलना में 2017 में यहां नागरिकों की मौतों में 83 प्रतिशत और सुरक्षा बलों में हताहतों की संख्या में 40 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आई है।

इसके अलावा 31 मार्च को मेघालय के सभी इलाकों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) को हटाया जाना पूर्वोत्तर क्षेत्र के सुरक्षा परिदृश्य में विस्तृत सुधार का सजीव उदाहरण है। अरुणाचल प्रदेश में भी आफस्पा के दायरे में आने वाले इलाकों को, असम सीमा से लगे 16पीएस/चौकी क्षेत्रों से घटाकर तिरप, चैंगलांग और लॉन्गडिंग जिलों के साथ 8 पुलिस स्टेशनों तक कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने 28 अप्रैल के प्रभाव से एनएससीएन/एनके और एनएससीएन/आर के साथ युद्धविराम एक साल के लिए और बढ़ा दिया है।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का ड्राफ्ट जारी

बिना किसी घटना के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी-ड्राफ्ट) को जारी किया जाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 25 जुलाई को गृह मंत्रालय ने असम राज्य सरकार और पड़ोसी राज्यों को दिशा निर्देश जारी किए कि वे 30 जुलाई 2018 को जारी होने जा रहे ड्राफ्ट एनआरसी से पहले और प्रकाशन के बाद में कानून और व्यवस्था को बनाए रखना सुनिश्चित करें। असम में ड्राफ्ट एनआरसी के प्रकाशन से पहले केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 22 और 30 जुलाई को दो अलग-अलग बयान जारी किए और आश्वस्त किया कि हर व्यक्ति को न्याय मिलेगा और सभी के साथ मानवीय तौर पर व्यवहार किया जाएगा।

वामपंथी अतिवाद प्रभावित क्षेत्र सिकुड़े

पिछले चार वर्षों में वामपंथी अतिवाद के परिदृश्य में ठोस सुधार आया है। हिंसा की घटनाओं में तीखी गिरावट हुई है और वामपंथी अतिवाद से होने वाली हिंसा का भौगोलिक फैलाव भी जहां 2013 में 76 जिलों में था, वह अब सिर्फ 58 जिलों तक सीमित रह गया है। इसके अलावा इनमें से सिर्फ 30 जिले ऐसे हैं जो पूरे देश में 90 फीसदी वामपंथी हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं।

सीमा प्रबंधन : स्मार्ट सीमा बाड़ की शुरुआत

केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 17 सितंबर को जम्मू में भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्मार्ट फेंसिंग की दो पायलट परियोजनाओं का उद्घाटन किया। व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) के अंतर्गत बनने वाली ये स्मार्ट बॉर्डर फेंसिंग परियोजनाएं देश में अपनी तरह की पहली हैं। इन दोनों परियोजनाओं में प्रत्येक, अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर 5.5 किलोमीटर सीमा क्षेत्र पर लगी हैं। इन पर हाइ-टेक निगरानी प्रणाली लगी है जो जमीन, जल, हवा और जमीन के नीचे बिजली का एक अदृश्य अवरोध पैदा करती है और सबसे कठिन इलाकों में घुसपैठ की कोशिशों को खोज निकालने व उन्हें असफल करने में बीएसएफ को मदद मिलती है। सीआईबीएमएस को ऐसे जमीनी हिस्सों पर चौकसी करने के लिए डिजाइन किया गया है जहां दुर्गम भूभाग या नदी तटीय सीमाओं की वजह से भौतिक निगरानी रखना संभव नहीं है।

महिला सुरक्षा

महिलाओं की सुरक्षा सभी के लिए चिंता का विषय है और सरकार के प्रयासों को सही दिशा में लगाने के लिए गृह मंत्रालय ने मई में एक नया विभाग बनाया, जो विस्तृत तौर पर महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मसलों को संबोधित करेगा। ये विभाग सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों के साथ समन्वय रखते हुए महिला सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं का सामना करता है। ऐसा माना गया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय मिशन बनाया जाए, जिसमें भागीदार मंत्रालयों/विभागों की हिस्सेदारी हो जो एक तय समय सीमा में विशेषीकृत कदम उठाएं। इसमें विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें (एफटीसी) स्थापित करना, फोरेंसिक ढांचे को मजबूत करना, यौन अपराधियों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री निर्मित करना, अतिरिक्त सरकारी अभियोजन पक्ष नियुक्त करना और पीड़ितों को उचित चिकित्सकीय व पुनर्वास सुविधाएं प्रदान करना शामिल है।