पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनीतिज्ञ, कवि और पत्रकार थे। अटल जी राजनेता और कवि दोनों के रूप में आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं, लेकिन अटल जी राजनेता और कवि के साथ-साथ राष्ट्रवादी पत्रकारिता के शिखर पुरुष भी थे। राजनेता बनने से पहले अटल जी एक पत्रकार थे। उन्होंने राष्ट्रवादी पत्रकारिता को बढ़ावा देने और पत्रकारों की आवाज बुलंद करने में अपना खास योगदान दिया था। अटल जी के जीवन पर कई किताबें लिखी गई हैं, लेकिन आज हम एक ऐसी किताब की बात कर रहे हैं, जिसमें उनके पत्रकारीय जीवन पर प्रकाश डाला गया है। डॉ. सौरभ मालवीय की किताब ‘राष्ट्रवादी पत्रकारिता के शिखर पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी’ में अटल जी के पत्रकारीय जीवन के बारे में बखूबी लिखा गया है। इस किताब में अटल जी के जीवन से जुड़ी कई रोचक बातें लिखी गई हैं। किताब की विषय सूची को देखकर ही इसे पढ़ने का मन करता है।
किताब के अनुसार अटल जी मासिक पत्रिका ‘राष्ट्रधर्म’ के प्रथम संपादक रहे हैं। अटल जी छात्र जीवन से ही संपादक बनना चाहते थे। अटल जी ने पांचजन्य, स्वदेश, वीर अर्जुन और कई अन्य समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए कार्य किया था। 20 जनवरी 1982 में ‘तरुण भारत’ की रजत जयंती पर अटल जी ने कहा था, ‘समाचार पत्र के ऊपर एक बड़ा राष्ट्रीय दायित्व है। भले हम समाचार पत्रों की गणना उद्योग में करें, कर्मचारियों के साथ न्याय करने की दृष्टि से आज यह आवश्यक भी होगा, लेकिन समाचार पत्र केवल उद्योग नहीं है उससे भी कुछ अधिक है।’
लेखक ने अपनी इस किताब में अटल जी के पत्रकारीय सफर का बखूबी वर्णन किया है। अटल जी की एक पत्रकार के रूप में क्या सोच थी और वो देश के विभिन्न मसलों पर क्या सोचते थे, इस बारे में वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक को पढ़कर जाना जा सकता है।