‘अटल सुरंग’ राष्ट्र को समर्पित

| Published on:

9.02 किलोमीटर लंबी दुिनया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 3 अक्टूबर, 2020 को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर निर्मित ‘अटल सुरंग’ का उद्घाटन किया। मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ने वाली 9.02 किलोमीटर लंबी यह सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ‘अटल सुरंग’ हिमालय की पीर पंजाल शृंखला में औसत समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विशिष्टताओं के साथ बनाई गई है।

अटल सुरंग से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी चार से पांच घंटे कम हो जाएगा। अटल सुरंग को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई, 2002 को रखी गई थी। मोदी सरकार ने दिसम्बर, 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में सुरंग का नाम ‘अटल सुरंग’ रखने का निर्णय किया था।

श्री मोदी ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं के विकास से जुड़ी परियोजनाओं को नजरअंदाज करने के लिए कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि देश ने लंबे समय तक एक ऐसा दौर भी देखा जब रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा जरूरतों और रक्षा हितों का ध्यान रखना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमेशा से यहां अवसंरचनाओं को बेहतर बनाने की मांग उठती रही, लेकिन लंबे समय तक देश में सीमा से जुड़ी विकास की परियोजनाएं योजना के स्तर से बाहर ही नहीं निकल सकीं। उन्होंने कहा कि जो (परियोजनाएं) निकली भी वो या तो अटक गईं या फिर लटक गईं और भटक गईं।
अटल सुरंग का उदाहरण देते हुए श्री मोदी जी ने कहा कि साल 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस सुरंग के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था, लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद इस काम को भी भुला दिया गया।

उन्होंने कहा कि हालत ये थी कि साल 2013-14 तक सुरंग के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। विशेषज्ञ बताते हैं जिस रफ्तार से उस समय अटल सुरंग का काम हो रहा था, उसी रफ्तार से यदि काम होता तो यह 40 साल में जाकर शायद पूरा हो पाता।

बड़ी परियोजना के निर्माण में देरी से देश का भारी नुकसान होता है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा कि अवसंरचना की इतनी बड़ी परियोजना के निर्माण में देरी से देश का हर तरह से नुकसान होता है। इससे लोगों को सुविधा मिलने में तो देरी होती ही है, इसका खामियाजा देश को आर्थिक स्तर पर भी उठाना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती। आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता। प्रधानमंत्री ने कहा कि उस वक्त के लिहाज से इसके निर्माण में तीन गुना से अधिक खर्च आया। श्री मोदी ने कहा कि अंदाजा लगाइए जब इसमें 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संपर्क का देश के विकास से सीधा संबंध होता है और सीमा से जुड़े इलाकों में तो संपर्क देश की रक्षा जरूरतों से जुड़ी होती है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर जिस गंभीरता की आवश्यकता थी, जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता थी, वैसी नहीं दिखाई दी। उन्होंने आरोप लगाया कि अटल सुरंग की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया।

उन्होंने सवाल किया कि लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही। क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था। क्यों राजनीतिक इच्छाशक्ति नजर नहीं आई? मैं ऐसे दर्जनों परियोजनाएं बता सकता हूं, जो सामरिक दृष्टि से, सुविधा की दृष्टि से भले ही कितनी महत्वपूर्ण रही हों, लेकिन वर्षों तक नजरअंदाज की गईं।

इस क्रम में प्रधानमंत्री ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण असम के डिब्रूगढ़ शहर के पास बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बोगीबील पुल और बिहार में कोसी महासेतु का जिक्र किया और कहा कि 2014 में केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद इन परियोजनाओं की गति में तेजी लाई गई और उन्हें पूरा किया गया।

उन्होंने कहा कि देश के हर हिस्से में संपर्क की बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का यही हाल रहा, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। इस दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया गया है। सीमा क्षेत्र के विकास के लिए पूरी ताकत लगा दी गई है।

इतने बड़े स्तर पर इन क्षेत्रों में पहले कभी काम नहीं हुआ

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इतने बड़े स्तर पर इन क्षेत्रों में देश में पहले कभी काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले छह सालों में सरकार के द्वारा किए गए कामों का बहुत बड़ा लाभ सामान्य जन के साथ फौजी भाई-बहनों को भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि सर्दी के मौसम में भी देश की रक्षा से जुड़े सारे साजो-सामान दूसरे छोर पर आसानी से पहुंचाएं जा सके, इसके लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि देश की रक्षा जरूरतों, रक्षा करने वालों की जरूरतों का ध्यान रखना, उनके हितों का ध्यान रखना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के फैसले साक्षी हैं कि जो वह कहती है, करके दिखाती है। उन्होंने कहा कि देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं। लेकिन देश ने लंबे समय तक वो दौर भी देखा है जब देश के रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया।

उन्होंने कहा कि देश में ही आधुनिक अस्त्र-शस्त्र बने, मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत हथियार बनें, इसके लिए बड़े सुधार किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले छह सालों में देश की सेनाओं की मजबूती के लिए उठाए गए कदमों का उदाहरण देते हुए कहा कि देश की सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार साजो-सामान जुटाए जा रहे और उत्पादन भी किया जा रहा है। श्री मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का आत्मविश्वास जनमानस का हिस्सा बन चुका है।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री अनुराग ठाकुर, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, थल सेना प्रमुख एम एम नरवणे और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

एक नजर में ‘अटल सुरंग’

अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। यह सुरंग 9.02 किलोमीटर लंबी है। यह पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़कर रखगी है। इससे पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी।

यह सुरंग हिमालय की पीर पंजाल शृंखला में औसत समुद्र तल से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विनिर्देशों के साथ बनाई गई है।

‘अटल सुरंग’ मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और दोनों स्थानों के बीच लगने वाले समय में भी लगभग 4 से 5 घंटे की बचत करती है।

अटल सुरंग का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंग सिस्सू गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

यह घोड़े की नाल के आकार में 8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली सुरंग है। इसकी ओवरहेड निकासी 5.525 मीटर है।

यह 10.5 मीटर चौड़ी है और इसमें 3.6×2.25 मीटर फायर प्रूफ आपातकालीन निकास सुरंग भी है, जिसे मुख्य सुरंग में ही बनाया गया है।

अटल सुरंग को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है।

यह सुरंग सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से युक्त है।