गंगा शुद्धि का भगीरथ प्रयास

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शिव प्रकाश

काशी से 2014 में चुनाव लड़ते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का यह वक्तव्य कि “ना तो मुझे भेजा है और ना ही मैं आया हूं मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है।” यह उनका गंगा के प्रति समर्पण भाव को ही प्रकट करता है।

गंगा सदियों से भारतीय समाज के मन में अगाध श्रद्धा का विषय रही है। भगीरथ जब उसे भूलोक पर अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए लेकर आए तभी से वह आज तक अपने भक्तों का उद्धार करती रही हैं। वह मुक्ति दायिनी हैं, पाप विनाशिनी है, मोक्षदायिनी हैं। इसी श्रद्धा भाव से प्रतिवर्ष करोड़ों लोग उसमें डुबकी लगाकर अपने को पवित्र करते रहे हैं। हरिद्वार एवं प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेलों की संख्या ने विश्व में कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। यह मेले विश्व के लोगों के लिए शोध का विषय एवं अनेकों विश्वविद्यालयों में अपने व्यवस्थापन के लिए अध्ययन के विषय हो गए हैं।

महाकवि तुलसीदास जी ने गंगा को सभी सुखों को प्रदान करने वाली एवं सभी कष्टों को समाप्त करने वाली “गंगा सकल मुद मंगल मूला, सब सुख करनी हरनि सब सूला” कहकर मां गंगा की विशेषता का वर्णन किया है। भारतीय समाज ने गंगा के इस पवित्र भाव को स्मरण कर देश की समस्त नदियों में गंगा के ही स्वरूप का दर्शन किया है। लाखों वर्षों से मोक्ष की इच्छा रखने वाले ऋषि- मुनियों ने मां गंगा के किनारे अपने आश्रम बनाकर एवं तप करके अपना उद्धार तो किया ही है, साथ ही इसके महत्व को भी द्विगुणित कर दिया है।

मां गंगा गोमुख से निकलकर गंगा सागर तक 5 राज्यों से होते हुए 2510 किलोमीटर की यात्रा करती हैं। पुण्य सलिला मां गंगा अपनी पवित्रता के साथ-साथ भारत की लगभग 40% जनसंख्या की जीविका का आधार भी हैं। अपने किनारे बसने वाले शहरी एवं ग्रामों की आबादी को जीवन प्रदान करने का कार्य मां गंगा करती है। अपने दोनों ओर एक बड़ा उपजाऊ कृषि क्षेत्र भी गंगा के कारण निर्माण होता है। जिसके सिंचाई का आधार मां गंगा होने के कारण वह मोक्षदायिनी के साथ-साथ जीवनदायिनी भी हो जाती हैं।

अपनी भौतिक सुख-सुविधाओं की इच्छा पूर्ति के कारण मां गंगा पर बनने वाली परियोजनाएं एवं उनके निर्माण के लिए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के कारण सूखते जल स्रोत, गंगा के किनारे के उद्योगों से निकलने वाला जहरीला पानी एवं शहरों से आने वाला मलमूत्र युक्त गंदा पानी आज मां गंगा की निर्मलता एवं अविरलता पर बड़ा संकट है। इस संकट की भयावहता से चिंतित होकर अनेक सामाजिक संगठन, संत महात्मा गंगा रक्षण के लिए समाज जागरण एवं आंदोलनों के माध्यम से सक्रिय हुए।

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के अपने घोषणा-पत्र में गंगा रक्षा का संकल्प देश के सम्मुख प्रकट किया था। नमामि गंगे मंत्रालय एवं भाजपा संगठन ने नमामि गंगे प्रकल्प के माध्यम से समाज में जागरूकता एवं शासन के प्रयास दोनों ही माध्यम से कार्य किया। पिछली सरकारों की गंगा शुद्धि के प्रयासों के समान असफलता ना मिले, इसका भी प्रयास हुआ। 2014 में न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वायर गार्डन में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि “अगर हम इसे साफ करने में सफल हो गए तो देश की 40 फ़ीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी।”

प्रयासों की सफलता के लिए नमामि गंगे एकीकृत मिशन, गंगा सफाई का बजट 4 गुना बढ़ाकर 20 हजार करोड़ रुपया करना। संपूर्ण बजट केंद्रीय हिस्सेदारी से ही हो जिसके कारण राज्यों के व्यवधान समाप्त हुए।

नगरों से आने वाले जल को शुद्ध करने वाले प्लांट एवं औद्योगिक प्रदूषित पानी को कठोरता से रोकने का कार्य भी हुआ है। कटाव रोकने के लिए वनीकरण का लक्ष्य 30000 हेक्टेयर भूमि पर कराना भी योजना का अंग है। रिड्यूस, रियूज़, रिकवरी का आधार लेकर गंगा एवं उसकी सहायक नदियों से आने वाले पानी के शोधन का कार्य भी हो रहा है।

समाज के जागरण के लिए मेलों का उपयोग, शिक्षण संस्थानों में जानकारी, गोष्ठियों आदि के माध्यम से नमामि गंगे एवं गंगा समग्र जैसी संस्थाएं सतत् कार्य कर रही हैं। संत महात्माओं के प्रयास अथवा अपने-अपने तरीके से लगी सभी संस्थाओं के कार्य भी सराहनीय हैं।

मोदीजी के नेतृत्व में कानपुर में गंगा किनारे स्थित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में सरकारी प्रयासों की समीक्षा की गई। आस्था को अर्थ से जोड़ने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के नेतृत्व में एवं उत्तर प्रदेश जल शक्ति मंत्रालय द्वारा गंगा रक्षा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में बिजनौर के बैराज से एवं बलिया से दो यात्राएं 26 जनवरी से प्रारंभ हो रही हैं। क्रमशः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी बिजनौर एवं उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल सुश्री आनंदीबेन पटेल बलिया से सभा को संबोधित कर यात्रा प्रारंभ करेंगी। प्रतिदिन यात्रा में अनेक मंत्री गण एवं जनप्रतिनिधियों सहित समाज की भागीदारी होगी। मोदीजी के मार्गदर्शन में गंगा रक्षण एवं गंगा को अर्थ से जोड़ने का यह प्रयास भागीरथ प्रयास ही है। हम सब भी इस पवित्र कार्य के सहभागी बने। हम गंगा सेवा करें मां गंगा हम सभी को जीवन प्रदान करेगी।

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) हैं)