दिवाला और शोधन अक्षमता कोड में संशोधन हुआ

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सभी हितधारकों को अधिक व्यापार सुगमता प्रदान करने, कार्पोरेट ढांचे में अधिक पारदर्शिता लाने और कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कुशलता बढ़ाने के संबंध में बेहतर कॉर्पोरेट अनुपालन के उद्देश्य से कार्पोरेट कार्य मंत्रालय ने पिछले एक साल (जनवरी-नवम्बर, 2018) के दौरान कई बड़ी पहलें/ फैसले किए।

इनमें कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2017, कंपनी (संशोधन) अध्यादेश 2018, राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (एनएफआरए) का गठन, दिवाला और शोधन अक्षमता कोड में संशोधन, सभी कंपनियों के निदेशकों के लिए ई-केवाईसी अभियान, निगमीकरण संबंधी आवेदनों के लिए प्रक्रियाओं को तेज बनाना, नियमों के अनुपालन में समानता और विवेकाधिकार को समाप्त करना शामिल है।

31 अक्टूबर, 2018 को जारी होने वाली विश्व बैंक की ‘डूइंग बिजनेस’ 2019 रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार भारत 23 पायदान चढ़कर 77वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि 2017 में वह 100वें स्थान पर था। इस तरह भारत ने व्यापार शुरू करने और व्यापार करने के संबंध में 10 मानदंडों में से 6 मानदंडों में अपनी स्थिति में सुधार किया है। कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने व्यापार शुरू करने, दिवाला समस्या का हल करने और अल्पसंख्यक हितों की सुरक्षा करने में बहुत योगदान दिया है। कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय की वर्ष भर की मुख्य उपलब्धियां निम्न हैं:

दिवाला और शोधन अक्षमता

वर्ष 2018 में राष्ट्रपति ने दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (संशोधन) अध्यादेश, 2018 जारी किया। 2017 से दिवाला और शोधन अक्षमता प्रक्रिया के प्रभावी होने की शुरुआत हुई है और यह कानून बेहतर हो रहा है। नए कोड के प्रभावी होने का प्रमुख कारण न्यायपालिका द्वारा विवादों का फैसला करना है। कोड में विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है। इस कोड से ऐसी प्रक्रियाएं विकसित हुई है जिससे कानूनी अनिश्चितता में कमी आई है।

दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (संशोधन) अध्यादेश, 2018 की अधिसूचना 19 जनवरी, 2018 को जारी की गई। इसने आईबीसी (संशोधन) अधिनियम का स्थान लिया। कोड में व्यक्तियों को कुछ विशेष परिस्थितियों में समाधान योजना प्रस्तुत करने का निषेध किया गया है। दिवाला विधि समिति की अनुशंसाओं के तहत अगस्त, 2018 में अध्यादेश में दूसरा संशोधन किया गया। 6 जून, 2018 की अधिसूचना के माध्यम से कोड में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया गया। कोड में संशोधन का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों विशेषकर घर खरीदने वालों, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमियों आदि के हितों को संतुलित करना था। कॉर्पोरेट कर्जदारों को दिवालियापन घोषित के स्थान पर समाधान प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसके लिए ऋणदाताओं के मताधिकार के मूल्य को कम किया गया। समाधान प्रस्तुत करने वालों की योग्यता से जुड़े प्रावधानों में एकरूपता लाई गई।

राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण

कॉर्पोरेट क्षेत्र में लेखा घोटालों और धोखाधड़ियों को देखते हुए लेखा परीक्षण के लिए राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (एनएफआरए) को एक स्वतंत्र नियामक के रूप में अधिसूचित किया गया। यह कम्पनी अधिनियम 2013 में किया गया एक महत्वपूर्ण बदलाव है। प्राधिकरण कम्पनियों के वित्तीय सूचना की गुणवत्ता की समीक्षा करेगा और उन लेखा परीक्षकों/लेखा कम्पनियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा जिन्होंने अपने वैधानिक उत्तरदायित्व का पालन नहीं किया है।

आशा है कि इस निर्णय से विदेशी/घरेलू निवेश बढ़ेगा और आर्थिक विकास में तेजी आएगी। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुपालन से लेखा परीक्षण क्षेत्र का विकास होगा तथा लेखा क्षेत्र के वैश्वीकरण को समर्थन मिलेगा। अधिनियम की धारा 132 के अंतर्गत प्राधिकरण को लेखा परीक्षकों (सीए) और उनकी कम्पनियों, सूचीबद्ध कम्पनियों तथा गैर-सूचीबद्ध सार्वजनिक कम्पनियों की जांच करने का अधिकार दिया गया है।

ई-प्रशासन

त्वरित और पारदर्शी प्रक्रियाओं के लिए कॉर्पोरेट मंत्रालय ने व्यापार में आसानी तथा मानकीकरण के लिए कई निर्णय लिए हैं। ‘रन की शुरुआत- अनूठा नाम आरक्षित करे’- नाम के लिए वेब सेवाः वेब आधारित एक सेवा की शुरुआत की गई। इसका नाम रन (आरयूएन) है- अनूठा नाम आरक्षित करे। नाम आरक्षण की प्रक्रिया को तेज, आसान और त्वरित बनाने के लिए 26 जनवरी, 2018 को इस सेवा की शुरुआत की गई। इस सेवा के द्वारा प्रक्रियाओं की संख्या में कमी लाई गई है। यह सेवा कम्पनियों के लिए हैं। 2 अक्टूबर, 2018 से यह सेवा एलएलपी (सीमित देयता साझेदारी) के लिए भी उपलब्ध है।

राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण

दिवाला एवं शोधन अक्षमता के समाधान से जुड़े मामलों में तेजी लाने के लिए एमसीए ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के अंतर्गत 8 विशेष अदालतें गठित करने का प्रस्ताव रखा ताकि दिवालियापन से जुड़े मामलों से निपटा जा सके। इन अदालतों को मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसका उद्देश्य न्यायाधिकरण पर पड़ने वाले बोझ को कम करना है बावजूद इसके कि उसकी देश भर में 11 शाखाएं हैं। आईबीसी मामलों का समय पर समाधान करने के लिए दिल्ली, मुंबई की एनसीएलटी शाखाओं के अंतर्गत शुरुआत के लिए विशेष आईबीसी अदालतें स्थापित करने की परिकल्पना की गई। इसका मकसद एनपीए के तेजी से समाधान के लिए शोधन अक्षमता प्रक्रिया को मजबूत बनाना है।

भारतीय लेखाविधि मानक

लेखाविधि में और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए, एमसीए ने भारतीय लेखाविधि मानक (आईएनडी एएस) 115 अधिसूचित किया जो 01 अप्रैल, 2018 से प्रभावी हो गया। आईएनडी एएस 115 अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानकों की तर्ज पर ग्राहकों से संपर्क बनाने के लिए एक नया राजस्व स्वीकृति मानक है, जो राजस्वों की अधिक पारदर्शी लेखाविधि में मदद करेगा और इसका प्रौद्योगिकी, रियल एस्टेट और दूरसंचार सहित विविध क्षेत्रों में कार्यरत कंपनियों पर असर पड़ेगा।

आईएनडी एएस 115 का उद्देश्य ऐसे सिद्धांत स्थापित करना है, जिन्हें वित्तीय विवरणों के उपयोगकर्ता उपयोगी जानकारी देते समय प्रयोग में ला सकें। इसमें किसी कंपनी से अपेक्षा की जाती है कि वह राजस्व को स्वीकृति प्रदान करे, ताकि ग्राहकों को वस्तुओं अथवा सेवाओं का हस्तांतरण उतनी राशि में दिखाया जा सके जिसका वादा किया गया है। यह उस प्रतिफल को दर्शाता है जिसकी वस्तुओं अथवा सेवाओं के आदान-प्रदान में कंपनी अपेक्षा करती है।

निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष

निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (आईईपीएफ) प्राधिकरण ने 2018 में अपने नये प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया, ताकि मजबूत उपस्थिति और पहचान प्रदान की जा सके। आईईपीएफ प्राधिकार ने सीएससी ई-शासन सेवाएं भारत के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जहां सीएससी अन्य कार्यों के अलावा निवेश जागरूकता परियोजना के लिए ग्राम स्तर के उद्यमों की पहचान करेगा। आईपीएफ में और सुधारों पर सक्रियता से एमसीए नजर रखे हुए हैं।

मुख्य बातें

दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (संशोधन) अधिनियम, 2018 तथा दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2018 अधिसूचित

कंपनियों की वित्तीय जानकारी देने की प्रक्रिया में निवेशकों और जनता का भरोसा बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (एनएफआरए) गठित

कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2017 लागू; कुल 93 धाराओं में से 92 धाराओं को प्रासंगिक नियमों के साथ लागू किया गया

विभिन्न प्रक्रियाओं को दुरुस्त करने के लिए ई-शासन पहलों की शुरुआत