खराब सुरक्षा स्थिति को लेकर भाजपा ने समर्थन वापस लिया

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भारतीय जनता पार्टी ने 19 जून को जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इस घोषणा के बाद राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल श्री एन.एन. वोहरा को इस्तीफा सौंप दिया। भाजपा राष्ट्रीय महासचिव श्री राम माधव ने कहा कि तीन साल पहले जो जनादेश आया था तब ऐसी परिस्थितियां थी जिसके कारण यह गठबंधन हुआ था, लेकिन जो परिस्थितियां बनती जा रही थीं, उससे गठबंधन में आगे चलना मुश्किल हो गया था।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री राम माधव द्वारा ने 19 जून को एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता के जनादेश का सम्मान करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने 2015 के शुरुआत में राज्य में गठबंधन सरकार बनाने के लिए पीडीपी के साथ हाथ मिलाया था। पिछले तीन सालों में भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की गठबंधन सरकार के उद्देश्यों – राज्य के तीनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों जम्मू, लद्दाख और कश्मीर में शांति, विकास और प्रगति के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की।

श्री माधव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सभी मामलों में जम्मू-कश्मीर की हमारी गठबंधन सरकार को पूर्ण समर्थन दिया। जम्मू-कश्मीर के लिए केंद्र सरकार द्वारा 80,000 करोड़ रुपये का एक विशाल विकास पैकेज घोषित किया गया, जिसका एक बड़ा हिस्सा पहले ही दिया जा चुका है। राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति को सही बनाए रखने के लिए जब भी जरूरत पड़ी, केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्रालय ने पूरी सक्रियता के साथ राज्य मशीनरी की सहायता की।

राज्य के शोषित और पीड़ित वर्ग हेतु सुखद समाधान खोजने के दृष्टिकोण के साथ केंद्र सरकार ने समाज के विभिन्न वर्गों को साथ लाने के उद्देश्य से पूर्व डीआईबी को वार्ताकार के रूप में नियुक्त किया।

इन सभी उपायों के बावजूद हमने पाया कि राज्य सरकार जम्मू-कश्मीर के मूल मुद्दों को हल करने की दिशा में प्रभावी नहीं रही है। सुरक्षा परिदृश्य के बिगड़ने से जीवन के बुनियादी मौलिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी आदि की रक्षा के बारे में गंभीर चिंता की स्थिति उत्पन्न होने लगी। दिन-दहाड़े श्रीनगर शहर के दिल में शुजात बुखारी जैसे सम्मानित संपादक की हत्या राज्य की स्थिति के बिगड़ने और कट्टरता के बढ़ने का द्योतक है।

हालांकि सुरक्षा बलों ने पिछले कुछ सालों में स्थिति को काबू करने की दिशा में शानदार काम किया है, लेकिन क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी (जो राज्य सरकार की होती है) में गंभीर कमियां देखने को मिली। घाटी की सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी ने माहौल में सुधार लाने में काफी कम रुचि दिखाई।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लिए, जम्मू-कश्मीर महान राष्ट्रीय महत्व का विषय भी है। राज्य में खराब सुरक्षा स्थिति को लेकर देश में गंभीर चिंता का माहौल है। भाजपा के लिए राष्ट्रीय एकता और अखंडता सर्वोपरि है और इस प्रश्न पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

दूसरी तरफ, जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों में उचित विकास और प्रगति की कमी के कारण नाराजगी और भेदभाव की भावना घर कर रही थी। सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने जम्मू और लद्दाख के क्षेत्रों सहित पूरे राज्य के लोगों की सेवा करने के लिए अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। फिर भी, उन्हें ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा जहां सरकार समग्र रूप से कम उत्तरदायी और लोगों की जरूरतों को पूरा करने के प्रति भावशून्य दिखाई पड़ी।

श्री माधव ने कहा कि इस तरह के परिदृश्य में, भारतीय जनता पार्टी ने सरकार में बने रहने में अपने आप को असमर्थ पाया और इसलिए राज्य में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लिया।