कैबिनेट ने जैव चिकित्सा अनुसंधान करियर कार्यक्रम को पांच साल और आगे बढ़ाने को मंजूरी दी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27 मार्च को जैव चिकित्सा अनुसंधान करियर कार्यक्रम (बीआरसीपी) और वेलकम ट्रस्ट (डब्ल्यूटी)/डीबीटी इंडिया एलायंस को इसकी आरम्भिक 10 वर्षीय अवधि (2008-09 से 2018-19 तक) से आगे बढ़ाकर नये पंचवर्षीय चरण (2019-20 से 2023-24 तक) में भी जारी रखने को मंजूरी दी। उधर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने अपनी प्रतिबद्धता डब्ल्यूटी की तुलना में दोगुनी बढ़ा दी। इस निर्णय से कुल वित्तीय बोझ 1092 करोड़ रुपये का पड़ेगा जिसमें डीबीटी और डब्ल्यूटी क्रमशः 728 करोड़ एवं 364 करोड़ रुपये का योगदान करेंगे।
इस कार्यक्रम ने 1:1 साझेदारी में अपने 10 वर्षीय वित्त पोषण के दौरान भारत में अत्याधुनिक जैव चिकित्सा (बायोमेडिकल) अनुसंधान में उच्चतम वैश्विक मानकों वाली प्रतिभाओं के सृजन एवं शिक्षण से संबंधित अपने उद्देश्यों को पूरा कर लिया है, जिसके फलस्वरूप सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियां और अनुप्रयोग संभव हो पाए हैं।

बीआरसीपी से विदेश में काम कर रहे बेहतरीन भारतीय वैज्ञानिकों के लिए स्वदेश वापस आना आकर्षक बना दिया है। इसके साथ ही बीआरसीपी की बदौलत भारत में कई स्थानों पर ऐसे केन्द्रों की संख्या काफी बढ़ गई है, जहां विश्वस्तरीय जैव चिकित्सा अनुसंधान किए जाते हैं।

इस कार्यक्रम के विस्तार वाले चरण के दौरान इस क्षमता को बढ़ाने का क्रम जारी रखा जाएगा और इसके साथ ही भारत में स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण चुनौतियों से पार पाने के लिए नैदानिक अनुसंधान और कार्य को भी सुदृढ़ किया जाएगा। भारत सरकार की बढ़ी हुई हिस्सेदारी के साथ इस कार्यक्रम को जारी रखा जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि तभी अपेक्षित परिणाम हासिल हो पाएंगे।

स्टार्टअप सहयोग पर भारत और कोरिया गणराज्य के बीच समझौते को मंजूरी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27 मार्च को स्टार्टअप सहयोग पर भारत और कोरिया गणराज्य के बीच सहमति पत्र पर पूर्व-प्रभाव से अपनी मंजूरी दी। इस सहमति पत्र पर फरवरी 2019 में हस्ताक्षर किए गए थे। इस सहमति पत्र से दोनों देशों के स्टार्टअप उद्योगों के बीच द्विपक्षीय सहयोग में आसानी होगी और बढ़ावा मिलेगा, जो उनके राष्ट्रीय कानूनों और नियमनों तथा ऐसे किसी प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों पर आधारित होगा, जो दोनों देशों से संबंधित हों।