मंत्रिमंडल ने यूरिया सब्सिडी को 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद भी जारी रखने की मंजूरी दी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 14 मार्च को उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। दरअसल, यूरिया सब्सिडी योजना जारी रहने से ये सुनिश्चित हो सकेगा कि किसानों को वैधानिक नियंत्रित मूल्य पर पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध हो। उर्वरक क्षेत्र में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के कार्यान्वयन से हेराफेरी के मामले कम हो जाएंगे और उर्वरक की चोरी बंद हो जाएगी।

गौरतलब है कि उर्वरक विभाग देशभर में उर्वरक क्षेत्र में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण को लाने की प्रक्रिया में है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से किसानों को आर्थिक सहायता के साथ उर्वरक की बिक्री से उर्वरक कम्पनियों को शत-प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा। अत: यूरिया सब्सिडी योजना जारी रखने से उर्वरक क्षेत्र में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना का आसानी से कार्यान्वयन हो सकेगा।

उल्लेखनीय है कि यूरिया सब्सिडी 1 अप्रैल, 2017 से उर्वरक विभाग की केन्द्रीय क्षेत्र की योजना का हिस्सा है और बजटीय सहायता से सरकार पूरी तरह से इसका वित्तीय प्रबन्ध करती है। यूरिया सब्सिडी योजना जारी रहने से यूरिया निर्माताओं को समय पर सब्सिडी का भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा। इसके परिणामस्वरूप किसानों को समय पर यूरिया उपलब्ध होगा। यूरिया सब्सिडी में आयातित यूरिया सब्सिडी शामिल है, जो देश में यूरिया की निर्धारित मांग और उत्पादन के बीच की खाई को पाटने के लिए आयात को सुधारने की तरफ संचालित है। इसमें देश में यूरिया को लाने-ले-जाने के लिए माल भाड़ा सब्सिडी भी शामिल है।

पृष्ठभूमि

रसायन उर्वरक ने खाद्यान्न उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह भारतीय कृषि के विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। निरन्तर कृषि विकास और संतुलित पोषक प्रयोग के लिए यूरिया वैधानिक नियंत्रित मूल्य पर किसानों को उपलब्ध कराया जाता है, जिसका मूल्य इस समय 5360/- रुपये प्रति मीट्रिक टन (नीम कोटिंग के लिए केन्द्रीय / राज्य कर और अन्य शुल्कों को हटाकर) है। खेत पर पहुंचाए गए उर्वरक के मूल्य और किसान द्वारा भुगतान किए गए अधिकतम खुदरा मूल्य के बीच का अन्तर सरकार द्वारा उर्वरक निर्माता/आयातक को दी जाने वाली सब्सिडी के रूप में दिया जाता है। इस समय 31 यूरिया निर्माण इकाईयां हैं, जिनमें से 28 यूरिया इकाईयां प्राकृतिक गैस (रसोई गैस/एलएनजी/सीबीएम का इस्तेमाल कर रही हैं) का इस्तेमाल फीडस्टॉक/ईंधन के रूप में और शेष तीन यूरिया इकाईयां नाप्था का इस्तेमाल फीडस्टॉक/ईंधन के रूप में कर रही हैं।