केंद्र ने तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के अध्यादेश को मंजूरी दी

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 सितंबर को एक बार में तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी। अध्यादेश के बारे में केंद्रीय कानून मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अपराध को संज्ञेय बनाने के लिए किसी महिला या उसके सगे रिश्तेदार को किसी पुलिस थाने में केस दाखिल करना होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराध के मामलों में किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष समझौता भी हो सकता है, बशर्ते प्रभावित महिला इसके लिए सहमत हो।

कानून मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की ओर से तीन तलाक की कुप्रथा पर पाबंदी लगाए जाने के बाद भी यह जारी है, जिसके कारण अध्यादेश लागू करने की आवश्यकता पड़ी। श्री प्रसाद ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह वोट बैंक की राजनीति के कारण राज्यसभा में लंबित ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ को पारित करने में सहयोग नहीं कर रही है। श्री प्रसाद ने कहा कि यह मेरा गंभीर आरोप है कि एक महिला की ओर से कांग्रेस की अगुवाई किए जाने के बाद भी उन्होंने विधेयक का समर्थन नहीं किया।

तीन तलाक की प्रथा को ‘‘बर्बर और अमानवीय” करार देते हुए उन्होंने कहा कि करीब 22 देशों ने तीन तलाक का नियमन किया है। जबकि वोट बैंक की राजनीति के कारण भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में लैंगिक न्याय की पूरी अनदेखी की गई। उन्होंने कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं सोनिया जी से एक बार फिर अपील करूंगा कि लैंगिक न्याय के लिए देशहित में यह अध्यादेश लाया गया है। मैं आपसे अपील करता हूं कि वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर महिलाओं के न्याय के हित में इसे पारित करने में मदद करें।”

गौरतलब है कि तीन तलाक पर मूल विधेयक को लोकसभा द्वारा पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है और यह राज्यसभा में लंबित है, जहां भाजपानीत राजग के पास बहुमत नहीं है।

ट्रिपल तलाक बिल पर सरकार का अध्यादेश
एक सराहनीय कदम: अमित शाह



भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा तीन तलाक की कुप्रथा पर अध्यादेश को कैबिनेट द्वारा मंजूरी देने के ऐतिहासिक निर्णय पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का अभिनंदन करता हूं। इस निर्णय से मोदी सरकार ने देश की मुस्लिम महिलाओं के लिए अभिशाप बने तीन तलाक से उन्हें मुक्ति देकर समाज में सम्मान से जीने का अधिकार दिया है।

श्री शाह ने कहा कि यह अध्यादेश उन सभी राजनीतिक दलों के लिए भी एक आत्मग्लानि एवं आत्मचिंतन का विषय है, जिन्होंने अपनी वोटबैंक की राजनीति के लिए दशकों से मुस्लिम समाज की महिलाओं को इस कुप्रथा से प्रताड़ित होने को मजबूर किया। यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं की गरिमा को सुनिश्चित करने और उसे अक्षुण्ण रखने के लिए उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है। यह मुस्लिम महिलाओं के जीवन में आशा और सम्मान का नया युग लाएगा।

उन्होंने कहा िक ट्रिपल तलाक बिल पर सरकार का अध्यादेश एक सराहनीय कदम है, क्योंकि इससे मुस्लिम महिलाओं के समानता और मूलभूत संवैधानिक अधिकारों की जीत सुनिश्चित हुई है। पार्टी मुस्लिम महिलाओं को मिले उनके अधिकारों एवं सम्मान का स्वागत करती है तथा इसे संकल्पवान ‘न्यू इंडिया’ के लक्ष्य को हासिल करने की ओर बढ़ते हुए कदम के रूप में देखती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार महिलाओं के सम्मान व उनके अधिकारों की सुरक्षा करने के लिए कृतसंकल्पित है। हमारा स्पष्ट मानना है कि धर्म अथवा सम्प्रदाय के आधार पर मुस्लिम माताओं-बहनों के साथ भी अन्याय नहीं होना चाहिए।

ज्ञात हो कि ट्रिपल तलाक बिल – द मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल, 2017 लोक सभा से पहले ही पास हो चुका है, जबकि कांग्रेस पार्टी के दोहरे रवैये, विरोध और महिला विरोधी मानसिकता के कारण राज्य सभा में यह विधेयक पास नहीं हो सका, जिसके कारण सरकार को मुस्लिम महिलाओं के अधिकार व सम्मान की रक्षा के लिए अध्यादेश लाना पड़ा।