कांग्रेस यानी झूठ एवं फरेब की राजनीति

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एक ओर मोदी सरकार का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चल रहा है तब दूसरी ओर इसके फलस्वरूप कई घोटाले भी सामने आ रहे हैं। कोई आश्चर्य की बात नहीं कि इन घोटालों की जड़ें कांग्रेस-नीत संप्रग के शासनकाल में हैं। कांग्रेस न केवल अपारदर्शी संस्कृति तथा गैर जिम्मेदाराना शासन के लिए जानी जाती है, बल्कि देश में भ्रष्टाचार एवं घोटालों को संरक्षण एवं सरपरस्ती भी देती रही है। इसके शासनकाल में जब भी भ्रष्टाचार के कारनामे बाहर आये, कांग्रेस ने शर्मनाक तरीके से इनपर कोई भी कार्रवाई करने से इन्कार कर दिया। देश अब भी यह भूला नहीं कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी कांग्रेस ने कालेधन पर एसआईटी गठित नहीं की तथा घोटालेबाजों एवं भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध हर कदम को रोकती रही। इतना ही नहीं, इसने भ्रष्टाचार रोकने के लिये न कभी कोई पहल की, न ही कोई कड़े कानून बनाये। पूरी व्यवस्था में इसने ‘खुला खेल फर्रूखाबादी’ के तर्ज पर भ्रष्टाचार की दीमक लगा दी। गरीब एवं वंचित के हिस्से का धन घोटाले एवं लूट की भेंट चढ़ता रहा तथा कांग्रेस हाथ पर हाथ धरे तमाशा देखती रही और इस लूट में भागीदार बनती रही। इससे देश को भारी क्षति पहुंची है।

भाजपा को किसी तरह से घेरने के चक्कर में कांग्रेस भाजपा सरकार पर हास्यास्पद आरोप लगा रही है। हाल ही में राहुल गांधी द्वारा राफेल समझौते पर अटपटे एवं आधारहीन प्रश्न उठाकर वे पुन: एक बार हंसी के पात्र बन गए हैं। कुछ दिन पूर्व उजागर हुआ पीएनबी घोटाले की भी जड़ें कांग्रेस शासन में ही पाई गई हैं, जब राष्ट्रीयकृत बैंकों से कई संदेहास्पद कर्ज दिये गये। इससे बैंकों का एनपीए इतना बढ़ गया कि पूरा बैंकिंग क्षेत्र संकटग्रस्त हो गया। इन सारे घपलों–घोटालों ंकी जिम्मेदारी लेने के बजाय यह झूठ एवं फरेब की राजनीति के सहारे अपनी नैय्या पार लगाना चाहती है। कांग्रेस की लाचारी इस बात से समझी जा सकती है कि इसके दोनों शीर्ष नेतृत्व वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी एवं पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी नेशनल हेराल्ड मामले पर जमानत पर हैं और अगस्टा–वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले के नये–नये तार रोज सामने आ रहे हैं। कांग्रेस चाहती है कि इसके शासन काल के बड़े–बड़े घोटाले, जो लगभग 12 लाख करोड़ के थे, उसे जनता भूल जाये और इसके लिये वह लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। परन्तु वह यह भूल जाती है कि आधारहीन आरोपों से उसकी बची–खुची विश्वसनीयता भी खत्म हो रही है और देश की राजनीति में अब उसे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा। ऐसा लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व को अब भी यह भरोसा है कि वह झूठ एवं फरेब के दम पर फिर से देश की जनता को गुमराह कर सकती है।

मोदी सरकार भ्रष्टाचार, घोटाले एवं कालेधन के विरुद्ध अनवरत अभियान चला रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘नोटबंदी’ एवं ‘जीएसटी’ लागू करने की प्रबल राजनैतिक इच्छाशक्ति एवं साहस को जनता नमन कर रही है। इससे इनकी व्यवस्था में कांग्रेस द्वारा बोये भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने की संकल्पशक्ति परिलक्षित हुई है। अपने पहले ही कैबिनेट बैठक में कालेधन पर ‘एसआईटी’ गठित कर तथा काले धन को बैंकों में पनाह देने के लिये जाने वाले देश स्विट्जरलैंड से इस पर समझौते कर मोदी सरकार ने कालेधन पर शिकंजा कसने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इसके साथ ही कड़े कानून बनाकर व्यवस्था की खामियों को दूर करने के गंभीर प्रयास हुए हैं। रियल–स्टेट, जो कालेधन का पनाहगार बन गया था तथा उपभोक्ताओं के साथ हेर–फेर में इसके कई लोग संलिप्त थे, अब ‘रेरा’ बन जाने से कानून का पालन करने पर मजबूर हैं। जनकल्याण कार्यों में भी ‘डीबीटी’ के माध्यम से सरकार ने जनता का भारी धन बचाया जा रहा है। यह केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कालेधन, भ्रष्टाचार एवं घोटालों के विरुद्ध अथक प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि सरकार पर अब तक भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं है। भ्रष्टाचार से बिना समझौता किये निरंतर युद्ध करने का ही परिणाम है कि देश आज पारदर्शी, जवाबदेह और साफ–सुथरी अर्थव्यवस्था के रूप में विश्व में अपना मुकाम बना रहा है। मोदी सरकार पर आधारहीन एवं बे–सिर–पैर के आरोप लगा कर कांग्रेस भ्रष्टाचार से अपने गठजोड़ को ही उजागर कर रही है।

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