घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट कर घटकर 22% और नई घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए 15% हुआ

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      कर की प्रभावी दरें करीब 10 प्रतिशत नीचे

र्थिक वृद्धि तेज करने तथा निवेश एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिये भाजपानीत केंद्र की राजग सरकार ने 20 सितंबर को कारपोरेट कर में भारी कटौती की घोषणा की। सरकार के इस ताजा प्रोत्साहन से कारपोरेट कर की प्रभावी दरें करीब 10 प्रतिशत नीचे आ गयी हैं।

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने मौजूदा कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की आधार दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की। इससे कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर 34.94 प्रतिशत से कम होकर 25.17 प्रतिशत पर आ जाएगी। इसके साथ ही एक अक्टूबर 2019 के बाद बनने वाली तथा 31 मार्च 2023 से पहले परिचालन शुरू कर देने वाली विनिर्माण कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की आधार दर 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने की भी घोषणा की गयी। इससे इन कंपनियों के लिये प्रभावी कॉरपोरेट कर की दर 29.12 प्रतिशत से कम होकर 17.01 प्रतिशत पर आ जाएगी। हालांकि इस तरह की कंपनियों के लिये एक शर्त है कि ये कंपनियां विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में स्थित इकाइयों को मिलने वाली कर छूट या किसी अन्य प्रकार के कर प्रोत्साहन का लाभ नहीं उठाएंगी। सरकार के इस कदम से देश में कॉरपोरेट कर की दरें चीन, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर आदि जैसे अन्य प्रतिस्पर्धी एशियाई बाजारों के समतुल्य हो गयी हैं।

इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिये डेरिवेटिव समेत प्रतिभूतियों की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ पर धनाढ्य-अधिभार समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर अधिनियम में अध्यादेश लाकर इन बदलावों को अमल में लाया जाएगा। वित्त मंत्री ने एक अन्य राहत देते हुए कहा कि जिन सूचीबद्ध कंपनियों ने पांच जुलाई से पहले शेयरों की पुनर्खरीद की घोषणा की है, उन्हें भी किसी प्रकार का कर नहीं देना होगा। श्रीमती सीतारमण ने पांच जुलाई को अपने पहले बजट में आय पर अधिक अधिभार के रूप में घोषित धनाढ्यों पर उच्च दर से लगने वाले कर को समाप्त करने की भी घोषणा की। इसके तहत अब प्रतिभूति लेन-देन कर की देनदारी वाली कंपनियों के शेयर की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ पर उच्च दर से अधिभार का भुगतान नहीं करना होगा। इसके साथ ही कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर का भुगतान नहीं करना होगा।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि यदि कोई कंपनी कम की गयी दरों पर भुगतान करने का विकल्प नहीं चुनती है और कर छूट एवं प्रोत्साहन का लाभ उठाती है तो वह पुरानी दरों पर भुगतान करना जारी रखेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘ये कंपनियां छूट व प्रोत्साहन की अवधि समाप्त होने के बाद संशोधित दरों का विकल्प चुन सकती हैं।”

छूट व प्रोत्साहन का लाभ जारी रखने का विकल्प चुनने वाली कंपनियों को राहत देने के लिये न्यूनतम वैकल्पिक कर की दर 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी गयी है।

सरकार ने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) का दायरा बढ़ाने की भी घोषणा की। अब कंपनियां सीएसआर के तहत सार्वजनिक इनक्यूबेटर्स और सरकार द्वारा वित्तपोषित शैक्षणिक निकायों पर भी खर्च कर सकती हैं। सरकार की इन घोषणाओं का निवेशकों की धारणा पर सकारात्मक असर देखने को मिला। घरेलू मुद्रा पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ा।

कारपोरेट कर में कटौती ‘ऐतिहासिक कदम’, मेक इन इंडिया में उछाल आयेगा, निवेश बढ़ेगा : नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कॉरपोरेट कर की दरें कम किए जाने को ‘‘ऐतिहासिक कदम” करार देते हुए कहा कि इससे ‘मेक इन इंडिया’ में बड़ा उछाल आने के साथ ही निवेश भी आकर्षित होगा, निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी एवं रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘पिछले कुछ सप्ताहों में जो घोषणाएं हुई हैं वह प्रदर्शित करती हैं कि हमारी सरकार भारत को कारोबार के लिहाज से बेहतर स्थान बनाने, समाज के सभी वर्गों के लिये अवसर बेहतर बनाने तथा भारत को 5000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाकर समृद्धि बढ़ाने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ रही है।’’

श्री मोदी ने कहा, ‘‘कारपोरेट कर में कटौती का कदम ऐतिहासिक है। इससे मेक इन इंडिया’ में बड़ा उछाल आयेगा, दुनिया भर से निवेश आकर्षित होगा, निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी एवं रोजगार के अधिक अवसर सृजित होंगे। इसके परिणामस्वरूप 130 करोड़ भारतीयों के लिये बेहतर परिणाम आयेंगे।’’

रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकांत दास ने इसे बड़ा कदम करार दिया और सरकार की घोषणाओं का स्वागत किया।