रक्षा अधिग्रहण परिषद ने विभिन्न हथियारों और उपकरणों के अधिग्रहण के लिए 2,290 करोड़ रुपये की दी मंजूरी

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क्षा मंत्री श्री राजनाथ की अध्यक्षता में 28 सितम्बर को आयोजित रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक विभिन्न उपकरणों के अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिसकी अनुमानित लागत 2,290 करोड़ रुपये है। इनमें घरेलू उद्योग के साथ-साथ विदेशी विक्रेताओं से खरीद शामिल हैं।

भारत में निर्मित की खरीद (आईडीडीएम) श्रेणी के तहत डीएसी ने स्टेटिक एचएफ ट्रांस-रिसीवर सेट और स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्लू) की खरीद को मंजूरी दी है। एचएफ रेडियो सेट, सेना और वायु सेना की क्षेत्र स्थित इकाइयों के लिए निर्बाध संचार को सक्षम बनाएगा और लगभग 540 करोड़ रुपये की लागत से इन्हें खरीदा जायेगा। लगभग 970 करोड़ रुपये की लागत से स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन की खरीद की जायेगी, जिससे नौसेना और वायु सेना की मारक क्षमता में वृद्धि होगी।

इसके अलावा, सेना के अग्रिम पंक्ति की सैन्य इकाइयों को उपकरणों से लैस करने के लिए डीएसी ने लगभग 780 करोड़ रुपये की लागत से एसआईजी सौएर असॉल्ट राइफल्स की खरीद के लिए भी मंजूरी दी है।

रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना को मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड्स की आपूर्ति के लिए भारतीय कंपनी के साथ किया 409 करोड़ रुपये का अनुबंध

रक्षा क्षेत्र में भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और प्रोत्साहन देते हुए रक्षा मंत्रालय (एमओडी) की खरीद इकाई ने 1 अक्टूबर को भारतीय सेना को 409 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 10,00,000 मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड्स की आपूर्ति के लिए मैसर्स इकोनॉमिक एक्सप्लोजिव लिमिटेड (ईईएल), (सोलर ग्रुप) नागपुर के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। ये ग्रेनेड भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे विश्व युद्ध-2 विंटेज डिजाइन वाले हैंड ग्रेनेड की जगह लेंगे।

मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड को डीआरडीओ/टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लैबोरेटरीज (टीबीआरएल) द्वारा डिजाइन किया गया है और मैसर्स ईईएल, नागपुर द्वारा बनाया जा रहा है। ये उत्कृष्ट डिजाइन वाले ग्रेनेड हैं, जिन्हें आक्रामक और रक्षात्मक दोनों तरह की लड़ाई में उपयोग किया जा सकता है। भारत सरकार के संरक्षण में सार्वजनिक-निजी साझेदारी का प्रदर्शन करने वाली अग्रणी परियोजना अत्याधुनिक गोला बारूद प्रौद्योगिकियों में ‘आत्मनिर्भरता’ को सक्षम बनाती है और इसकी सामग्री 100 प्रतिशत स्वदेशी है।