विकास का नया उजाला

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लीसांग में बिजली का बल्ब जलने के साथ ही देश के हर गांव में बिजली पहुंच चुकी है। मणिपुर में बसा यह 38 परिवारों और 200 से भी अधिक लोगों के इस गांव के लिये अब नई संभावनाओं के द्वार खुल चुके हैं। बिजली पहुंचने के साथ ही इस गांव के लोग नये आत्मविश्वास का अनुभव कर रहे हैं। साथ ही एक विशेष प्रकार की राहत और संतोष का भाव उनके चेहरों पर पढ़ा जा सकता है। गांव में उत्सव और उत्साह का माहौल है। गांव के इस वातावरण को वहां के सचिव लालबोई के शब्दों में एक समाचार पत्र ने इस तरह से वर्णन किया, ‘‘उस रात रोमांच के कारण हममें से कोई नहीं सोया, यहां तक कि बच्चे भी नहीं। बच्चे पूरे समय मैदानों में दौड़ते रहे। हम सरकार के बहुत आभारी हैं। हमारी खुशी को कोई भी शब्द व्यक्त नहीं कर सकते।’’ लोग अपने गांव को मिले नये रूतबे का जश्न मना रहे हैं तथा अपनी विकास की गाथा लिखने के लिये तत्पर हैं। सबको पता है कि इस एक कदम से उनके जीवन में अब बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है।

नये भविष्य के स्वागत में इस प्रकार के रोमांच का अनुभव करने वाला लीसांग अकेला नहीं है। बचे हुए 18,452 गांव जहां अब तक बिजली नहीं पहुंच पायी थी, इस रोमांच और उत्साह का अनुभव कर रहे हैं। इन गांवों को बिजली मिलने की तब तक कोई उम्मीद भी नहीं थी, जब तक प्रधानमंत्री ने इनके लिए एक विशेष अभियान की घोषणा की। लालकिले के प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री जी ने संकल्प लिया था कि 1000 दिन के अंदर इन सभी गांवों में बिजली पहुंचा दी जायेगी। दूर–दराज इलाकों में स्थित ये गांव जो जंगलों–पहाड़ों में बसे थे, देश की विकास यात्रा में काफी पीछे छूट गये थे। अपने दुर्गम भौगोलिक स्थिति के कारण सरकार की प्राथमिकताओं में काफी नीचे थे। इन गांवों में रहने वाले निराशा एवं अंधकार में जीवन बसर करने को मजबूर थे। बिजली न होने के कारण विकास के अनेक अवसरों से वे वंचित हो गये थे। अनेकों अवसरों के द्वार इन ग्रामीणों के लिये बंद हो गए थे। बिजली आ जाने से अब वे द्वार खुल चुके हैं। सामान्य रफ्तार से इन गांवों के जीवन में उजाला लाने में वर्षों लग जाते, परन्तु वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प ही था की लक्ष्य को समय से पहले मात्र 987 दिनों में पूर्ण कर लिया गया।

प्रधानमंत्री का लक्ष्य इन उपेक्षित गांवों को देश की विकास यात्र में शामिल कर ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र को साकार करने का था। इस मंत्र की अवधारणा न केवल सबको साथ लेकर चलने में निहित है, बल्कि गरीब, वंचित एवं शोषित वर्गों के लिये विशेष कार्य–योजना क्रियान्वित करने की भी है। देश के सर्वांगीण विकास के लिये भाजपा एकात्मता की राह पर चलने पर विश्वास करती है और मानती है कि जब तक समाज का कोई एक भाग भी पिछड़ा है, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। 18,452 गांवों में बिजली पहुंचाकर समाज के इस वंचित हिस्से को विकास के मार्ग पर चलने के लिया ऊर्जा मिली है और अब वे नये जोश एवं उमंग से पूरे देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ सकते हैं।

जहां एक ओर पूरा देश इस अनुपम उपलब्धि को सराह रहा है और उत्सव मना रहा है, वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष का एक वर्ग हास्यास्पद तरीके से इसे नकारने की कोशिश में है। इससे कांग्रेस की ही देश भर में फजीहत हो रही है। कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि इस प्रकार की उपलब्धियां पूरे देश के लिये गौरव का विषय है न कि किसी एक राजनीतिक दल का। आने वाले दिनों में इस प्रकार के अवसर का स्वागत करने के लिये कांग्रेस को मानसिक रूप से तैयारी कर लेनी चाहिये, क्योंकि उपलब्धियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ने ही वाली है। सभी गांवों में बिजली पहुंचाने के बाद, सरकार का ध्यान अब घर–घर में जहां अब तक अंधेरा है, वहां बिजली पहुंचाने पर है। इससे भारत की विकास यात्रा अत्यधिक तीव्र होगी तथा करोड़ों लोगों के जीवन में आमूलचूल बदलाव आयेगा। आज बिना बिजली के विकास का स्वप्न अधूरा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस दूरगामी निर्णय के लिये बधाई के पात्र हैं, जो हर गांव एवं हर घर बिजली पहुंचाकर करोड़ों लोगों के जीवन में उजाला भरने का कार्य कर रहे हैं।

                                                                                                                                                                                              shivshakti@kamalsandesh.org