कांग्रेस करती है झूठ एवं फरेब की राजनीति

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कांग्रेस एक बार पुन: बेनकाब हो गई है। इसकी झूठ एवं फरेब की राजनीति एक बार फिर से जगजाहिर हुई है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल समझौते पर इसके झूठे प्रचार की पोल खोल कर रख दी है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से यह स्पष्ट है कि झूठ एवं फरेब की राजनीति से कांग्रेस अपनी छवि नहीं सुधार सकती। कांग्रेस जो भ्रष्टाचार, कुशासन, नीतिगत पंगुता एवं लूट–खसोट की राजनीति की पर्याय बन चुकी है, अब दूसरों पर कीचड़ उछालकर अपने पाप नहीं धो सकती। भाजपा की बेदाग छवि और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ईमानदारी एवं कर्मठता पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता और यह बारंबार प्रमाणित भी हो चुका है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक लंबे समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री के दायित्वों का निर्वहन किया और उनकी धवल कीर्ति उनके मां भारती की सेवा में निरंतर निस्वार्थ भाव से समर्पण का प्रमाण है। राफेल पर निराधार आरोप लगाकर कांग्रेस ने स्वयं के ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद अब वह केवल स्वयं को कोस सकती है।

यह कोई पहली बार नहीं कि कांग्रेस ने झूठ एवं फरेब की राजनीति की है। यह निरंतर निराधार आरोपों के आधार पर जनता को दिग्भ्रमित करने के कुप्रयासों में लगी हुई है। वास्तव में यह एक चाल है, जिसके जरिए कांंग्रेस के अतीत के गुनाहों एवं कुकर्मों से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके। पूर्व में भी जब कांग्रेस सत्ता में थी तब इसने श्री नरेन्द्र मोदी एवं श्री अमित शाह पर कई मनगढ़न्त आरोप लगाने का प्रयास किया, परन्तु हर बार इसे न्यायालयों में मुंह की खानी पड़ी। हाल ही में न्यायमूर्ति लाेया के निधन को लेकर बहुत हो–हल्ला मचाया गया और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह के विरुद्ध व्यापक षड्यंत्र रचा गया। यह बड़ी विडंबना थी कि बिना किसी तथ्य के आरोप गढ़े गये जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने सिरे से खारिज कर दिया और कांग्रेसी दुष्प्रचार की पोल खोल कर रख दी। इतना ही नहीं, अनेक राष्ट्रीय विषयों पर भी कांग्रेस ने झूठ एवं फरेब की राजनीति का सहारा लेना चाहा, भले ही इससे राष्ट्रीय सुरक्षा एवं भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को क्षति पहुंचे। राफेल इसका ऐसा ही एक उदाहरण है, जिसमें यह जानते हुए भी कि यह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय है और इससे हमारी सुरक्षा बलों के मनोबल पर प्रभाव पड़ सकता है, परन्तु कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी को अपने राजनैतिक हितों की चिंता अधिक है। कांग्रेस को यह ध्यान में रखना चाहिए कि इसके शासन में उठाये गये लगभग सभी भ्रष्टाचार के मुद्दों को न्यायालयों ने संज्ञान में लिया एवं कड़ी फटकार लगाई, जबकि इसके ठीक उलट कांग्रेस ने जो भी मुद्दे उठाये हैं वे विभिन्न न्यायालयों द्वारा खारिज कर दिये गये हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने तो ऐसे कई आरोप निराधार कहते हुए खारिज कर दिया है।

ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने अपनी गलतियों से अब तक कोई सीख नहीं ली है। राजनीति केवल आरोप–प्रत्यारोप का खेल नहीं है। राजनीति जनसेवा के क्षेत्र में ईमानदारी, प्रामाणिकता एवं कर्मठता का नाम है। केवल एक लंबी कठिन राह पर चलकर ही इन मूल्यों पर खरा उतरा जा सकता है और इसके बाद ही पार्टी या नेतृत्व पर लोगों का विश्वास टिक पाता है। झूठ और फरेब की राजनीति का जीवन बहुत छोटा होता है और सच्चाई की कसौटी पर इसकी हार हो जाती है। श्री राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस झूठ एवं फरेब की राजनीति का सहारा लेकर सत्ता में आना चाहती है, परन्तु सत्य की कसौटी पर बार–बार बेनकाब हो रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश अत्यंत तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है और हर क्षेत्र में देश की उपलब्धियों को अंतरराष्ट्रीय जगत में मान्यता मिल रही है। भारत आज विश्व का सबसे तेज विकास दर वाला देश बन कर उभरा है और अब विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। देश एक बड़े व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन में आमूल–चूल विकास हो रहा है। यह नेतृत्व की कड़ी मेहनत एवं ध्येयनिष्ठ राजनीति का ही परिणाम है कि ऐसे अद्भुत परिवर्तनों का साक्षात्कार हो रहा है। आज जब एक दृढ़निश्चयी, ईमानदार, कर्मठ एवं अथक कार्य करने वाला नेतृत्व भाजपा के पास है, कांग्रेस झूठ, फरेब एवं बहकावों की राजनीति से उसका मुकाबला नहीं कर सकती।

                                                                                                                                               shivshakti@kamalsandesh.org