डॉक्टर परिवार के मित्र सरीखे हैं : नरेंद्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 24 जून को ‘मन की बात’ कार्यक्रम (45वीं कड़ी) के दौरान कहा कि मां हमें जन्म देती है, तो कई बार डॉक्टर हमें पुनर्जन्म देता है। डॉक्टर की भूमिका केवल बीमारियों का इलाज़ करने तक सीमित नहीं है। अक्सर डॉक्टर परिवार के मित्र की तरह होते हैं।

उन्होंने कहा कि आज डॉक्टर के पास मेडिकल एक्सपॅर्टीज़ तो होती ही है, साथ ही उनके पास जनरल लाइफ स्टाइल ट्रेंड्स के बारे में, उसका हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, इन सबके बारे में गहरा अनुभव होता है। भारतीय डॉक्टरों ने अपनी क्षमता और कौशल से पूरे विश्व में अपनी पहचान बनायी है। मेडिकल प्रोफेशन में महारत, हार्डवर्किंग के साथ-साथ हमारे डॉक्टर काम्प्लेक्स मेडिकल प्रॉब्लम्स को हल करने के लिए जाने जाते हैं।

साथ ही, श्री मोदी ने यह भी कहा कि संत कबीरदास जी ने अपनी साखियों और दोहों के माध्यम से सामाजिक समानता, शांति और भाईचारे पर बल दिया। यही उनके आदर्श थे। उनकी रचनाओं में हमें यही आदर्श देखने को मिलते हैं और आज के युग में भी वे उतने ही प्रेरक है। उनका एक दोहा है:-

कबीर सोई पीर है, जो जाने पर पीर|

जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर ||

मतलब सच्चा पीर संत वही है जो दूसरो की पीड़ा को जानता और समझता है, जो दूसरे के दुःख को नहीं जानते वे निष्ठुर हैं। कबीरदास जी ने सामाजिक समरसता पर विशेष जोर दिया था। वे अपने समय से बहुत आगे सोचते थे। उस समय जब विश्व में अवनति और संघर्ष का दौर चल रहा था, उन्होंने शांति और सद्भाव का सन्देश दिया और लोकमानस को एकजुट करके मतभेदों को दूर करने का काम किया |

‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस 21 जून को चौथे ‘योग दिवस’ पर एक अलग ही नज़ारा था। पूरी दुनिया एकजुट नज़र आयी। विश्व-भर में लोगों ने पूरे उत्साह और उमंग के साथ योगाभ्यास किया। ब्रुसेल्स में यूरोपियन पार्लियामेंट हो, न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय हो, जापानी नौ-सेना के लड़ाकू जहाज़ हों, सभी जगह लोग योग करते नज़र आए।

श्री मोदी ने कहा कि सऊदी अरब में पहली बार योग का ऐतिहासिक कार्यक्रम हुआ और मुझे बताया गया है कि बहुत सारे आसनों का प्रदर्शन तो महिलाओं ने किया। लद्दाख की ऊंची बर्फीली चोटियों पर भारत और चीन के सैनिकों ने एक-साथ मिलकर के योगाभ्यास किया। योग सभी सीमाओं को तोड़कर, जोड़ने का काम करता है। सैकड़ों देशों के हजारों उत्साही लोगों ने जाति, धर्म, क्षेत्र, रंग या लिंग हर प्रकार के भेद से परे जाकर इस अवसर को एक बहुत बड़ा उत्सव बना दिया। यदि दुनिया भर के लोग इतने उत्साहित होकर ‘योग दिवस’ के कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे तो भारत में इसका उत्साह अनेक गुना क्यों नहीं होगा?

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को गर्व होता है, जब सवा-सौ करोड़ लोग देखते हैं कि हमारे देश के सुरक्षा बल के जवान, जल-थल और नभ तीनों जगह योग का अभ्यास किया। कुछ वीर सैनिकों ने जहां पनडुब्बी में योग किया, वहीं कुछ सैनिकों ने सियाचीन के बर्फीले पहाड़ों पर योगाभ्यास किया। वायुसेना के हमारे योद्धाओं ने तो बीच आसमान में धरती से 15 हज़ार फुट की ऊंचाई पर योगासन करके सबको स्तब्ध कर दिया। देखने वाला नज़ारा यह था कि उन्होंने हवा में तैरते हुए किया, न कि हवाई जहाज़ में बैठकर के। स्कूल हो, कॉलेज हो, दफ्तर हो, पार्क हो, ऊंची ईमारत हो या खेल का मैदान हो, सभी जगह योगाभ्यास हुआ।

श्री मोदी ने कहा कि अहमदाबाद का एक दृश्य तो दिल को छू लेने वाला था। वहां पर लगभग 750 दिव्यांग भाई-बहनों ने एक स्थान पर, एक साथ इकट्ठे योगाभ्यास करके विश्व कीर्तिमान बना डाला। योग ने जाति, पंथ और भूगोल से परे जाकर विश्व भर के लोगों को एकजुट होकर करने का काम किया है।

‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के जिस भाव को हम सदियों से जीते आये हैं। हमारे ऋषि, मुनि, संत जिस पर हमेशा जोर देते हैं, योग ने उसे सही मायने में सिद्ध करके दिखाया है। मैं मानता हूं कि आज योग एक वैलनेस रिवोल्युशन का काम कर रहा है। मैं आशा करता हूं कि योग से वैलनेस की जो एक मुहीम चली है, वो आगे बढ़ेगी। अधिक से अधिक लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा बनायेंगे।