मुक्त, सर्वसमावेशी और नियम आधारित क्षेत्रीय संरचना के निर्माण पर जोर

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भारत-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन 25 जनवरी को भारत-आसियान संबंधों के 25 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में आसियान के दस सदस्य देश जैसे- म्यांमार, थाइलैंड, फिलीपींस, विएतनाम, लाओस, कंबोडिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई और मलयेशिया के राष्ट्र प्रमुखों ने हिस्सा लिया। गौरतलब है कि इन देशों के राष्ट्रप्रमुख, गणतंत्र दिवस की परेड में विशिष्ट अतिथि के रूप में भी शामिल हुए।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत-आसियान के बीच सभ्यता और संस्कृति की समानता का उल्लेख किया। शिखर सम्मेलन में मौजूद नेताओं ने भारत-प्रशान्त क्षेत्र में शान्ति, स्थिरता, सामुद्रिक सुरक्षा, आतंकवाद के प्रतिकार, व्यापार और सम्पर्क गहराने की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प दोहराया।

सम्मेलन के अन्त में दिल्ली घोषणा पत्र स्वीकार किया गया जिसमें मुक्त, सर्वसमावेशी और नियम आधारित क्षेत्रीय संरचना के निर्माण की बात कही गई। सामुद्रिक सुरक्षा, नौवहन की स्वतन्त्रता, कानून सम्मत सामुद्रिक व्यापार और विवादों के शान्तिपूर्ण समाधान के लिए 1982 के सामुद्रिक कानून यानी यू.एन.सी.एल.ओ.एस. के अनुपालन पर ज़ोर दिया गया। नई दिल्ली ने भारत-प्रशान्त क्षेत्र में मानवीय सहायता, आपदा राहत, सुरक्षा सहयोग और मुक्त नौवहन के क्षेत्रों में अपनी ओर से हर सम्भव सहायता का आश्वासन दोहराया।

आतंकवाद के मुद्दे पर भारत ने आसियान के साथ सूचनाओं की साझेदारी, कानूनों के अनुपालन, क्षमता विस्तार, आतंकवादरोधी व्यवस्था में साझेदारी, हवाला कारोबार और आतंकवाद के वित्तपोषण रोकने आदि क्षेत्रों में सहयोग की पेशकश की।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें

भारत-आसियान सहयोग की 25वीं वर्षगांठ के उत्सव के अवसर पर आयोजित आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन (एआईसीएस) की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने म्यामार की स्टेट कॉउंसलर महामहिम डॉ आंग सान सू ची, वियतनाम के प्रधानमंत्री महामहिम श्री न्यूयेन शुआन फुक और फिलीपींस के राष्ट्रपति महामहिम श्री रोड्रिगो रोआ डुटरेट के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें की।

म्यामार की स्टेट कॉउंसलर ऑंग सान सूची के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बैठक में परस्पर हित के विभिन्न विषयों, द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने के साथ प्रधानमंत्री मोदी की सितंबर 2017 में म्यामार यात्रा के दौरान लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों को आगे बढ़ाने के विषय पर बातचीत हुई।

प्रधानमंत्री फुक के साथ बैठक में दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक सहयोग के तहत द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के साथ भारत-प्रशान्त क्षेत्र में सामुद्रिक सहयोग, रक्षा,तेल एवं गैस, व्यापार एवं निवेश जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।

राष्ट्रपति डुटरेट के साथ बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा के साथ दोनों नेताओं की मनीला में नवंबर 2017 में हुई बैठक के बाद वैश्विक एवं क्षेत्रीय परिस्थितियों में आये बदलावों की भी समीक्षा की। इस बात पर भी सहमति बनी की दोनों देशों के संबंधों में आयी गतिशीलता को और बढ़ाया जायेगा विशेषकर के आधारभूत सुविधाओं के विकास के क्षेत्र में।

आसियान-भारत: साझा मूल्य, समान नियति

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आसियान-भारत: साझा मूल्य, समान नियति’ के शीर्षक से प्रकाशित अपने लेख में आसियान-भारत साझेदारी के बारे में अपना दृष्टिकोण साझा किया। लेख में श्री मोदी ने यह व्यक्त किया कि यह कोई सामान्य आयोजन नहीं है। यह उस उल्लेखनीय यात्रा में ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जिसने भारत और आसियान को अपने 1.9 अरब देशवासियों यानी दुनिया की लगभग एक-चौथाई आबादी के लिए अत्यंत अहम वादों से भरी आपसी साझेदारी के एक सूत्र में बांध दिया है।

श्री मोदी ने कहा कि आसियान और भारत इसके साथ ही संवाद करने वाले साझेदारों के बजाय अब रणनीतिक साझेदार बन गए हैं। हम 30 व्यवस्थाओं के जरिए व्यापक आधार वाली आपसी साझेदारी को आगे बढ़ा रहे हैं। आसियान के प्रत्येक सदस्य देश के साथ हमारी राजनयिक, आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी बढ़ रही है। हम अपने समुद्रों को सुरक्षित और निरापद रखने के लिए मिलकर काम करते हैं। हमारा व्यापार और निवेश प्रवाह कई गुना बढ़ गया है। आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और भारत आसियान का सातवां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। भारत द्वारा विदेश में किए जाने वाले निवेश का 20 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा आसियान के ही खाते में जाता है। सिंगापुर की अगुवाई में आसियान भारत का प्रमुख निवेश स्रोत है। इस क्षेत्र में भारत द्वारा किए गए मुक्त व्यापार समझौते अपनी तरह के सबसे पुराने समझौते हैं और किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में सबसे महत्वाकांक्षी हैं।

उन्होंने कहा कि हवाई संपर्कों का अत्यंत तेजी से विस्तार हुआ है और हम नई अत्यावश्यकता एवं प्राथमिकता के साथ महाद्वीपीय दक्षिण-पूर्व एशिया में काफी दूर तक राजमार्गों का विस्तार कर रहे हैं। बढ़ती कनेक्टिविटी के परिणामस्वरूप आपसी सानिध्य और ज्यादा बढ़ गया है। यही नहीं, इसके परिणामस्वरूप दक्षिण-पूर्व एशिया में पर्यटन के सबसे तेजी से बढ़ते स्रोतों में अब भारत भी शामिल हो गया है। इस क्षेत्र में रहने वाले 6 मिलियन से भी अधिक प्रवासी भारतीय, जो विविधता में निहित और गतिशीलता से ओत-प्रोत हैं, हमारे लोगों के बीच आपसी मानवीय जुड़ाव बढ़ाने की दृष्टि से अद्भुत हैं।

भारत और कंबोडिया के बीच चार समझौतों पर हस्ताक्षर

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उनके कंबोडियाई समकक्ष श्री हुन सेन के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच 27 जनवरी को जल संसाधन विकास की एक परियोजना के लिए ऋण और मानव तस्करी रोकने सहित कुल चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। दरअसल, कंबोडिया के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान ये निम्न समझौते हुए:

-2018 से 2022 के बीच कंबोडिया के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम। सीईपी के तहत भारत और कंबोडिया के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन और आपसी संबंधों को सुदृढ़ करना।

-एक्ज़िम बैंक, भारत सरकार और कंबोडिया सरकार के बीच क्रेडिट लाइन समझौता। इसके तहत 36.92 मिलियन डॉलर की स्टंग सवा हब जल संसाधन विकास परियोजना को ऋण मुहैया कराया जाएगा।

-आपराधिक मामलों में परस्पर कानूनी सहयोग। इसका उद्देश्य आपराधिक मामलों में विधिक सहयोग के जरिए दोनों देशों के बीच अपराध को रोकने, जांच और आपराधिक मामलों में अभियोग के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना है।

-आपसी सहयोग के जरिए मानव तस्करी को रोकने के लिए समझौता ज्ञापन। इसके तहत मानव तस्करी से जुड़े अपराधों की रोकथाम, मदद और पीड़ितों की स्वदेश वापसी के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाना।

भारत और कंबोडिया के बीच पुरातन काल से ऐतिहासिक सम्बन्ध: नरेंद्र मोदी

कम्बोडिया के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रेस वक्तव्य कहा कि भारत कंबोडिया के पुरातन काल के ऐतिहासिक सम्बन्ध पिछली शताब्दि के उत्तरार्ध में और भी प्रगाढ़ हुए जब कंबोडिया के राजनीतिक परिवर्तनों के दौरान भारत अपने पुराने मित्र और उसके नागरिकों के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। प्रधान मंत्री हुन सेन और मैं इस बात पर सहमत हैं कि समसामयिक आवश्यकताओं के अनुसार आज हमें अपने सम्बन्धों को हर क्षेत्र में और भी गहरा बनाने की ज़रुरत है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत के लिए यह खुशी की बात है कि हमारा मित्र देश कंबोडिया तेज़ी से आर्थिक प्रगति कर रहा है और पिछले दो दशक में सालाना 7 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से वृद्धि करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्योंकि हमारे मूल्य और संस्कृति मिलती जुलती है, इसलिए हमारे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने में एक स्वाभाविक सिनर्जी हो सकती है।