कृषि सुधार विधेयकों से किसानों को क्रांतिकारी बदलावों की उम्मीद

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राजकुमार चाहर

न 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की भलाई के लिए अनेक कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले किसानों को होने वाली यूरिया की किल्लत को दूर करने के लिए उसे नीम कोटेड कराना अनिवार्य कर दिया। इससे यूरिया की कृषि कार्यों से इतर उपयोग के लिए होने वाली तस्करी और कालाबाजारी पर रोक लग गई और किसानों को नियमित रूप से पूरे देश में यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित हो गई।

इसके बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। जिसमें डॉ. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी देने की घोषणा की गई। इसके अलावा पूरे देश में स्वॉयल टेस्टिंग का एक बड़ा कार्यक्रम चलाया गया और भूमि के स्वास्थ्य की जानकारी का रिकॉर्ड तैयार कराया गया। मोदी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की और हर किसान को ₹6000 रुपया सालाना उसके बैंक खाते में भेजना सुनिश्चित कराया।

इस साल कोरोना महामारी के कारण किसानों की आय प्रभावित न हो इसके लिए भी सरकार ने कई कदम उठाए। किसानों को लॉकडॉउन के कई प्रतिबंधों से राहत दी गई। इन सभी उपायों के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने के लिए तीन कृषि सुधार विधेयक पेश किए और उन्हें संसद से पारित करा कर कानून बना दिया। इन तीनों कानूनों-कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 का असर भविष्य में बहुत दूरगामी होने जा रहा है।

कृषि विधेयकों के पारित होते ही विपक्ष ने किसानों को गुमराह करने के लिए कई प्रयास किए। लेकिन किसान अब तक की सभी सरकारों की नीतियों को देखते हुए विपक्ष के बहकावे में आने के लिए तैयार नहीं हुए। जैसे ही हरियाणा और पंजाब में एमएसपी पर धान की खरीद शुरू हो गई, विपक्ष का यह थोथा दावा खत्म हो गया कि इन तीनों कानूनों के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त कर देगी। जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पिछले साल की तुलना में ज्यादा खरीद मोदी सरकार कर रही है। कोरोना के तमाम लॉकडाउन नियमों के बावजूद सरकारी एजेंसियों ने पिछले रबी सीजन में 389.85 लाख टन गेहूं की खरीद किसानों से एमएसपी पर की है, जो कि एक रिकॉर्ड है। इसी तरह धान की खरीद में 2014-15 की तुलना में 2019-20 में करीब 80 फ़ीसद की बढ़ोतरी देखी गई।

विपक्ष के तमाम दावों को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ध्वस्त करते हुए कहा कि जो लोग किसानों को सही लाभकारी मूल्य देने में विफल रहे हैं, वे अब अफवाहें फैला रहे हैं। तीनों कृषि सुधार विधेयकों के माध्यम से सबसे ज्यादा लाभ छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा। आजादी के बाद कई दशक तक किसानों के नाम पर खूब नारेबाजी की गई, लेकिन उनको कुछ खास लाभ नहीं दिया गया और निहित स्वार्थी तत्व उसके लिए अफवाह फैला रहे हैं।

नए कृषि सुधार विधायकों से सबसे ज्यादा लाभ उन भारतीय किसानों को होगा जो दूरदराज और पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। नए कृषि अधिनियम किसान समुदाय के लिए एक नई क्रांतिकारी शुरुआत है। पहले किसान अपनी फसल को केवल कुछ बिचौलियों के माध्यम से ही बेच सकते थे। लेकिन अब वह अपनी फसल कभी भी और कहीं भी बेच सकते हैं। इसके अलावा वे किसी से भी अपनी फसल का अग्रिम करार कर सकते हैं।

पहले सरकारी एजेंसियां किसानों से उपज खरीद लेती थीं लेकिन उसकी कीमत भुगतान में काफी विलंब होता था। किसानों को पता नहीं होता था कि उनकी कीमतों का भुगतान कब किया जाएगा। लेकिन मोदी सरकार ने जो कृषि विधेयक लागू किए हैं उसमें किसानों को उनकी उपज के तत्काल भुगतान की गारंटी दी गई है। इसके लिए साफ कहा गया है कि केवल विशेष परिस्थितियों में ही अधिकतम 3 दिन का विलंब करने की अनुमति है, वरना किसानों को उनकी फसल का भुगतान तत्काल सुनिश्चित करने की गारंटी सरकार दे रही है।

अभी तक किसान मंडियों में अपनी फसल औने-पौने भाव में बेच रहे थे, लेकिन अब उन्हें मंडी के बाहर भी कहीं भी देश भर में अपनी फसल बेचने की आजादी होगी। विपक्ष बेकार में किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है जिसमें वह कभी सफल नहीं होगा। वैसे भी मंडियों में कहीं-कहीं पर बहुत ज्यादा टैक्स लगता है। जैसे पंजाब में विभिन्न फसलों पर मंडियों में अधिकतम 8.5 फीसद तक का टैक्स लगाया गया है, जो किसानों पर बहुत भारी पड़ता है। इसके अलावा मंडी तक उन्हें अपनी फसल लाने में भी किराया चुकाना होता है।

अगर किसान किसी से फसल का करार कर ले या अगर उसके घर के पास ही कोई खरीदार मिल जाए तो उसे इन सब चीजों से उसे छुटकारा मिल जाएगा। किसान मंडी परिसर के बाहर, भीतर या अपने घर पर अपनी फसल को बेच सकता है। इसका निर्धारण वह अपने लिए ज्यादा दाम के आधार पर करेगा। छोटे किसानों को सरकारी एमएसपी का लाभ नहीं मिल पाता है। क्योंकि देश में 86% किसान छोटी जोत के हैं। इसलिए अब उनको इन कानूनों का फायदा मिलेगा और वह भी अपनी फसल कहीं भी बेच सकेंगे।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि कोई भी कॉन्ट्रैक्ट केवल फसल का होगा, खेत का नहीं। इसलिए विपक्ष जो यह अफवाह फैला रहा है कि किसानों के खेत बड़ी कंपनियां हड़प लेंगी, इसका कोई आधार नहीं है। किसान अपने खेत का मालिक था, है और रहेगा। अगर किसान और किसी कंपनी के बीच फसल के मूल्य को लेकर करार होता है और फसल तैयार होने के समय फसल का मूल्य बढ़ जाता है तो इसका लाभ भी किसान को मिलेगा।

निहित स्वार्थी तत्व अपने राजनीतिक लाभ के लिए कृषि सुधार विधेयकों पर किसानों के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं और उनको भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। इन सभी का उद्देश्य इसको चुनावी मुद्दा बनाना है। सबसे बड़ी बात यह है कि कृषि सुधार विधेयकों को लेकर उन चीजों के बारे में अफवाह फैलाई जा रही है जो कि उस विधेयक में हैं ही नहीं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की 75वीं वर्षगांठ पर एक विशेष स्मारक सिक्का जारी करते हुए कहा कि कोरोना में जब पूरी दुनिया संकट से जूझ रही थी तब भारत के किसानों ने अपनी मेहनत और लगन से कृषि पैदावार के सारे पिछले रिकार्डों को तोड़ दिया है और उनका सहयोग करने के लिए सरकार ने भी एमएसपी पर सरकारी खरीद के सारे पिछले रिकार्ड को तोड़ दिया है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने साफ कर दिया कि एमएसपी पर सरकारी खरीद देश की खाद्य सुरक्षा का अहम हिस्सा है, इसके लिए इसका जारी रहना बहुत स्वाभाविक चीज है। इसे हमेशा जारी रखा जाएगा, किसानों को इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए बहुत गंभीरता से कई कोशिशें कर रही है। इसके लिए कई विशेष किसान रेलों का संचालन शुरू किया गया है। पहली किसान रेल देवलाली (नासिक-महाराष्ट्र) से दानापुर (पटना-बिहार) के लिए चलाई गई। इस ट्रेन की लोकप्रियता में बहुत वृद्धि होने के बाद इसे मुजफ्फरपुर तक बढ़ा दिया गया और इसका संचालन भी सप्ताह में दो बार किया जा रहा है। इसके अलावा सांगली और पुणे से इसमें लिंक कोच भी शुरू कर दिए हैं जो किसान रेल से मनमाड में जोड़े जाते हैं। दूसरी किसान रेल अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) से आदर्श नगर (दिल्ली) तक चलती है। यह साप्ताहिक ट्रेन है। तीसरी किसान रेल बेंगलुरु से हजरत निजामुद्दीन के बीच चलाई जा रही है।

इन किसान रेलगाड़ियों के माध्यम से किसान अपनी फसलों को देश में कहीं भी भेज सकते हैं। अब इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार ने किसानों को इन विशेष ट्रेनों में माल भाड़े में 50 प्रतिशत सब्सिडी देने का निर्णय किया है। यह सब्सिडी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ऑपरेशन ग्रीन्स ‘टॉप टू टोटल योजना’ के तहत सीधे किसानों को प्रदान करेगा। इसके लिए रेल मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के बीच एक समझौता भी हुआ है और यह सब्सिडी 14 अक्टूबर से लागू हो गई है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा उठाए गए इन सभी कदमों का असर भी दिखाई दे रहा है। न केवल कृषि उत्पादन बढ़ा है, बल्कि जब कोरोना के काल में सभी औद्योगिक उत्पादों का निर्यात घट रहा था तो कृषि वस्तुओं का निर्यात करीब 43.4 प्रतिशत बढ़ा है। अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान कृषि वस्तुओं का निर्यात 43.4 प्रतिशत बढ़ा है। जिसमें मूंगफली, चीनी गेहूं, बासमती चावल और गैर बासमती चावल का निर्यात सबसे ज्यादा बढ़ा है।

सरकार ने कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि निर्यात नीति-2018 की घोषणा की थी। इस योजना में नकदी फसलों जैसे-फलों, सब्जियों और मसालों की निर्यात केंद्रित खेती पर जोर दिया जाता है। इसके लिए विशेष कृषि समूहों का गठन करने की कोशिश की जाती है और इन विशिष्ट निर्यात उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाता है। मोदी सरकार ने कृषि निर्यातकों के लिए संपूर्ण उत्पादन शृंखला आधारित कई कार्यक्रम शुरू किए हैं और 8 निर्यात संवर्धन मंच (इपीएफ) स्थापित किए हैं, जिसका नतीजा अब सामने आया है।

(लेखक भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद हैं)