‘मोदी सरकार की कृषि समर्थित नीतियों से किसानों को लाभ पहुंचा’

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किसानों के समक्ष सामयिक मुद‌्दों पर भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा सांसद श्री वीरेन्द्र सिंह ‘मस्त’ ने कमल संदेश के एशोसिएट एडीटर िवकाश आनंद से बातचीत की। उत्तर-प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कृषि संबंधी मुद्दों से  रूबरू कराने हेतु ‘गांव चलो अभियान’ का शुभारम्भ किया। इस साक्षात्कार में उन्होंने श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार किए गए कार्यों से किसानों के जीवन में आए बदलाव पर चर्चा की। ‘कमल संदेश’ के सुधी पाठकों के लिए इस साक्षात्कार के मुख्य अंशों  को प्रकािशत कर रहे हैं:

विमुद्रीकरण का किसान पर क्या असर पड़ा है?

वास्तव में विमुद्रीकरण शास्त्रसम्मत सनातन परंपरा के अनुसार है। समाज को अपव्ययी नहीं होना चाहिए। शास्त्र ने हमें संदेश दिया है। कृपण तो नहीं होना चाहिए। मितव्ययी होना चाहिए, अपव्ययी नहीं। विमुद्रीकरण ने हमारे देश को फिजूल खर्ची से रोक दिया है। यह बहुत बड़ा काम है। जहां तक किसानों का सवाल है। रबी की बुआई ठीक से हुई। तेलहन की बुआई उससे पहले हो चुकी है। सिंचाई हो रही है। कुछ बिजली से सिंचाई होनी हैं, कुछ नहरों से कुछ सोलर पम्प से होने हैं। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के अंतर्गत सोलर पम्प से सिंचाई की भी योजना है। अपने यहां सबसे ज्यादा धूप होती है। सोलर पम्प को का इस्तेमाल िकया जाय, तो खेती में लागत 45 प्रतिशत कम हो जाएगी। हमारी समझ से अभी तक ऐसी व्यवस्था 10 प्रतिशत ही हो पायी हैं। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के अंतर्गत सब्सिडी देकर इस काम को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसका लाभ क्या होगा कि जिस खेत में एक फसल की खेती होती थी उसमें दो फसलों की खेती होने लगेगी।

अभी रबी की बुआई हुई है। क्यों उन्हें बीज, खाद और दूसरी चीजों कोई समस्या हुई?

कुछ लोग विमुद्रीकरण का विरोध यह कहकर करते हैं कि इसका नकारात्मक असर किसानों पर, गरीबों पर पड़ा है। लेिकन सच तो यह है िक किसान और गरीबों पर नहीं पड़ा है। जो कहते हैं उन पर पड़ा है। चूंकि जो ब्लैकमनी, सरकारी खजाना से उन्होंने जमा किया है वह पैसा अब बेकार हो गया। पूरे देश में िवभिन्न प्रकार की खेती होती है। केरल में अलग तरह की खेती होती है, उड़ीसा में भी अलग तरह की खेती होती, बिहार, उत्तर प्रदेश इत्यादि में अलग तरह की खेती होती है। राहुल गांधी को लगता है कि देश में सब जगह एक ही तरह खेती होती है, जो गेहूं-बाजरा की फसल को पहचान नहीं सकते वो क्या किसान की बात करेंगे। राहुल जी तो आलू पैदा करने की फैक्ट्री लगवा रहे थे। विमुद्रीकरण का कदम भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए, समरस समतामूलक समाज की स्थापना के लिए उठाया गया है।

दरअसल, एक समय जीडीपी में खेती का सबसे बड़ा योगदान होता था अब वह घटता जा रहा है। आप इसका क्या कारण मानते हैं?

आजादी के समय से बजट में खेती को जो हिस्सा दिया जा रहा था, वह धीरे-धीरे घटता ही चला गया। आजादी के बाद पहली बार ऐसी सरकार आयी है जो बजट का 42 प्रतिशत ग्रामीण और खेती के विकास लिए दी है। 60 वर्ष की बिगड़ी व्यवस्था को ढाई वर्ष में पूरी तरह से ठीक कर दी जाए, ऐसी अपेक्षा भी नहीं रखनी चाहिए। शुरू में पंडित नेहरू ने विदेशी मानसिकता से काम किया। वे भूल गए कि भारत की बहुसंख्य जनसंख्या कृषि पर आधारित है। कृषि को बढ़ावा देने के जगह पर उन्होंने बड़े-बड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया गया। यदि वे किसान को मजबूत बनाते तो किसान का बेटा अपनी मजबूत आर्थिक स्थिति के कारण उद्योग धंधा भी खड़ा करता। लेकिन अब देश को ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो भारतीय दर्शन से प्रभावित है, क्योंकि यह नीति देश की परिस्थिति को ध्यान में रखकर बनाते हैं।

कृषि अलाभकारी व्यवसाय होने के कारण लोग इसे छोड़ कर अन्य रोजगारों में पलायन कर रहे हैं। इस स्थिति के बदलाव के लिए क्या किया जाना चाहिए।

कृषि अलाभकारी व्यवसाय कैसे हैं। कौन सा ऐसा कारखाना है जो दूध पैदा कर दे, फल पैदा कर दे, अनाज पैदा कर दे। केवल खेती  ही भारत के लोगों की जीवनधारा है। लोग खेती को जीते हैं। किसानों काे सरकार से सिर्फ यह अपेक्षा है वे जो रेवेन्यू देते हैं उनका उनके विकास में अच्छी तरह से उपयोग हों। किसान बहुत धैर्यशाली, संकल्पशक्ति वाला समुदाय है।

खेती अलाभकारी है क्योंकि दशकों तक सरकार की नीतियों में कृषि उपेक्षित रहा है। अलाभकारी का मतलब आर्थिक लाभ कम। खेती को केवल आप आर्थिक लाभ की दृष्टि से नहीं देख सकते। यह किसानों के आर्थिक समृद्धि के साथ सामाजिक-राजनैतिक समृद्धि भी है।

गांव से शहर की ओर पलायन को कैसे रोका जा सकता है?

कृषि ऐसा स्रोत है जहां रोजगार की असीम संभावना है। अभी तक उचित तरीके से शासन की ओर से इस क्षेत्र में ध्यान नहीं दिया गया था। अब दिया जा रहा है। सरकार नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट स्कीम (NAM),  साॅयल हेल्थकार्ड राष्ट्रीय कामधेनू प्रजनन केन्द्र इत्यादि की योजना शुरू की है। अब सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए ब्लू िरवॉल्यूशन की बात कर रही है।

कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाना चाहिए?

नहीं, कृषि को उद्योग का दर्जा नहीं, उद्योग जैसे सुविधायें दी जानी चाहिए। जिस तरह औद्योगिक विकास के तरफ ध्यान दिया गया, उस तरह कृषि के विकास की तरह ध्यान नहीं दिया गया, जो कि अब सरकार दे रही है।

फसल कम हो या ज्यादा दोनों ही परिस्थितियों में पैसा बिचैलिया ही बटोरता है?

किसान के लिए समर्थन मूल्य की जगह पर लाभकारी मूल्य होना चाहिए। स्थानीय स्तर पर भंडारण व्यवस्था होनी चािहए। ताकि लाने-ले जाने का लागत कम हो। एक अनाज के दो बार ट्रांसपोर्टेशन से खर्चे बढ़ जाते हैं।

जैसे हमारे भदोही का अनाज पहले लखनऊ जाएगा फिर वहां से वितरण के लिए भदोही आएगा। लागत कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर भण्डारण और वितरण की व्यवस्था होनी चाहिए। चीजों पर ध्यान देकर कृषि को और बेहतर बना सकते हैं। एक फसली खेती हमारे देश 45 प्रतिशत से 55 प्रतिशत तक है। यदि सस्ती सिचांई की व्यवस्था हो जाए, एक फसल से दो फसल होने लगेंगी।

कृषि के अलाभकारी होने की वजह से शहरों की ओर पलायन हो रहा है। इसे रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए। संयुक्त परिवार संस्था टूट रही है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को गांव से गांव को जोड़ने के साथ-साथ गांव को खेत से भी जोड़ने का सुझाव हमने दिया है। अब प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में गांव से खेत को जोड़ने का भी प्रावधान हो गया है। जब खेत में आवा-जाही बढ़ जाएगी तो पैदावार भी बढ़ जाएगी। इससे किसान का ध्यान फसल पर अधिक हो जाएगा।

खेती केवल अनाज पैदा करने तक नहीं है। खेती का मतलब फल, सब्जी, दूध का उत्पादन भी है। इन उत्पादनों को बिना नुकसान के मण्डी तक पहुंचाने में भी सहायक होंगी सड़क। बुनकर के साथ भेड़ पालन में लगे लोगों के लिए भी योजनाएं होनी चाहिए। इन चीजों तक सोचना आर्थिक विकास है।

सामाजिक विकास के बारे में कह सकता हूं। इस देश का अधिकांश आबादी किसान है। इसकी सामाजिक संरचना में परिवार संस्था है। बाजार के असर में परिवार की संस्था टूट रही है। परिवार के टूटने से परिवार आर्थिक रूप से सामाजिक रूप से गरीब हो जाता है। इस संस्था को बचाने के लिए सामाजिक तौर के साथ-साथ राजनीतिक तौर भी सोचना चाहिए।

मोदी सरकार किसानों की दशा सुधारने के लिए जो काम किए हैं उससे आप संतुष्ट हैं।

आर्थिक दृष्टि से बहुत बड़ा काम किया है। पहले तेलहन आयात दूसरे देशों से होती थी, लेकिन सरकार के प्रोत्साहन से काफी दलहन का पैदावार बढ़ी है, मेरे ख्याल से एक-दो साल में आयात बंद हो जाएंगे। दो साल बाद अपने देश का किसान निर्यात करने लगेगा। सरकार ने किसान के हित में वन विंडो  प्रणाली लागू किया हैं। मध्य प्रदेश में कम उपजाऊ जमीन है। उत्तर प्रदेश की तुलना में लेकिन वन विंडो प्रोग्राम  शिवराज सिंह ने लागू किया है। जिसके वजह से मध्यप्रदेश का कृषि-विकास दर काफी अच्छा है। उत्तर प्रदेश का बड़ा हिस्सा गंगा-यमुना का मैदान है। दुनिया सबसे उपजाऊ मैदान है। सबसे कम उपज दे रहा है। आज मध्य प्रदेश देश का कृषि का सबसे उन्नतिशील प्रदेश बन गया है, क्योंकि किसान समाज और संयुक्त रूप से कार्य कर रहा है। उत्तर प्रदेश में 15 सालों से शासन के स्तर पर अव्यवस्था, भ्रष्टाचार है। यदि केन्द्र सरकार किसानों के लिए जितनी योजनाएं बनाती है, उसी को राज्य सरकार सही में लागू करती तो किसान के लिए बहुत बड़ा कार्य हो जाता।

राष्ट्रीय स्वच्छता कार्यक्रम गांवों में कितना सफल है।

स्वच्छता हमारी संस्कृति की श्रेष्ठ परंपरा रही है। मोदी जी इसको आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने लोगों के स्मृति में लाया है कि हमारी देश की परंपरा में स्वच्छता महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक तरह से मोदी जी इसे आंदोलन का रूप दे दिया है। मोदी जी पर लोगों का इतना भरोसा है कि इनसे प्रेरित होकर गांव-गांव इस आंदोलन में शामिल हैं। मोदी जी के आह्वान पर 5 करोड़ लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी। परिणामस्वरूप 10 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त में गैस कनेक्शन मिला। इसके पहले अनाज और लोगों को मिले इसलिए लाल बहादुर शास्त्री ने सोमवार को उपवास रहने का आह्वान किया था। और देश की जनता आह्वान प्रेरित होकर सोमवार को उपवास रखे। लाल बहादुर शास्त्री के बाद मोदी जी पर लोगों ने भरोसा किया।

किसान मोर्चा की राष्ट्रीय टीम कब तक बनने की संभावना है।

देश प्रदेश स्तर पर किसान मोर्चा बहुत बड़ी संरचना है। बातचीत चल रही है। चुनाव 5 प्रदेशों में हो रहे हैं। जल्दी ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी।