ऊर्जा सुरक्षा, किफायती ऊर्जा एवं ऊर्जा निरंतरता की ओर तेजी से बढ़ते कदम : धर्मेन्द्र प्रधान

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केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 15 अक्टूबर को कहा कि ऊर्जा एक वैश्विक उद्योग है और तेल सही अर्थों में एक वैश्विक जिंस या वस्तु है। अतः इसे ध्यान में रखते हुए हमें वैश्विक ऊर्जा समुदाय के साथ अपनी सहभागिता निरंतर जारी रखनी होगी। श्री प्रधान ने नई दिल्ली में आयोजित सीईआरए सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत अलग-थलग नहीं रह सकता है, क्योंकि वैश्विक नजरिए से यदि देखा जाए तो वैश्विक बाजार में हो रहे फेरबदल, व्यापक तकनीकी बदलाव, वित्तीय बाजार एवं पेपर ट्रेडिंग और ऊर्जा क्षेत्र में संक्रमण या बदलाव के आसार ऊर्जा सुरक्षा के भविष्य को नया स्वरूप प्रदान कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में किसी भी कदम को उठाते समय सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडे के तहत हासिल की गई वैश्विक आम सहमति, वर्ष 2015 में हुए ‘पेरिस समझौते’ और वर्ष 2017 में हैम्बर्ग में हुई जी-20 के राजनेताओं की बैठक में लिये गए निर्णयों को ध्यान में रखना होगा, जिसके तहत ऊर्जा सुरक्षा को भी ऊर्जा क्षेत्र में संक्रमण के दौर के लिए निर्धारित मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक माना जाता है। उन्होंने ह्यूस्टन से बाहर इस प्रमुख कार्यक्रम का आयोजन किए जाने और भारत को दूसरी बार इसका आयोजन स्थल बनाए जाने के लिए आईएचएस की टीम के प्रयासों की सराहना की।
श्री प्रधान ने कहा कि भारत ने सौर ऊर्जा की दृष्टि से संपन्न 60 देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की अगुवाई की है। नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन से जुड़े सम्मेलन के एक हिस्से के रूप में दो सप्ताह पहले माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने यह उल्लेख किया था कि आईएसए विश्व में ऊर्जा आपूर्तिकर्ताओं के महत्वपूर्ण खंड (ब्लॉक) के रूप में ओपेक का स्थान ले सकता है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा की घटती दरों को देखते हुए हम आसानी से ‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ संबंधी उनके विजन को साकार कर सकते हैं।

श्री प्रधान ने कहा कि हम ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े माननीय प्रधानमंत्री के विजन ‘ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा सुरक्षा, किफायती ऊर्जा एवं ऊर्जा निरंतरता सुनिश्चित करने’ को साकार करने में जुट गए हैं। तेज उतार-चढ़ाव वाले वैश्विक परिदृश्य में ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और सबसे तेजी से विकासोन्मुख देश होने के नाते हम ऊर्जा के केवल एक ही स्रोत पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। श्री प्रधान ने कहा कि जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष कहा था कि सूर्य देवता के रथ में जुड़े घोड़ों की तरह भारत उपलब्ध ऊर्जा के सभी स्रोतों यथा सौर, पवन, पनबिजली, कोयला, तेल, गैस, परमाणु ऊर्जा, जैव ईंधनों इत्यादि का दोहन करेगा।

श्री प्रधान ने लागू किए गए विभिन्न सुधारों और पहलों की दिशा में हुई हालिया प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी लोगों तक स्वच्छ रसोई ईंधन की पहुंच सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत हमने ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ शुरू की है, जिसके तहत हमने तीन वर्षों की अवधि में 50 मिलियन परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा था। हमने तय अवधि से पहले ही यह उपलब्धि हासिल कर ली है और इस लक्ष्य को बढ़ाकर 80 मिलियन कर दिया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत स्वच्छ ईंधन को अपनाया जा रहा हैं और इसके साथ ही इस योजना का सकारात्मक असर ग्रामीण महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना ने ‘सावधि गरीबी’ के मुद्दे को सुलझाते हुए गरीब महिलाओं को सशक्त भी बनाया है और इसके साथ उन्हें अपनी मानव पूंजी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया है। श्री प्रधान ने कहा कि वितरण के अनूठे मॉडलों, प्रौद्योगिकी के उपयोग और निर्देशित सब्सिडी की नीति के जरिए हम ऊर्जा के लिए उपभोक्ता बाजार का विस्तार करने में सक्षम साबित हुए हैं।