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रिश्ते का नया रंग

पाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की भारत यात्रा से भारत-नेपाल संबंध को एक नया आयाम मिला है। प्रधानमंत्री बनने के बाद ओली ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना और भारत ने भी काफी गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया। दोनों अतीत की कड़वाहट को भुलाकर एक नई शुरुआत करना चाहते हैं। इस तरह बराबरी और परस्पर विश्वास पर आधारित रिश्ते की शुरुआत हुई है। उनकी यात्रा के दौरान दोनों देश बिहार के रक्सौल से काठमांडू तक रेललाइन बिछाने पर सहमत हुए हैं। आम लोगों के साथ-साथ माल ढुलाई के लिहाज से भी यह परियोजना काफी अहम मानी जा रही है। भारत नेपाल को अपने जलमार्गों के जरिए समुद्र तक पहुंचने का रास्ता देने पर भी सहमत हुआ है। भारत काठमांडू को कृषि में भी सहायता देने जा रहा है। भारत कृषि के विकास में अपने अनुभव और नई तकनीकों को साझा करेगा। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ओली जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय भी गए और उन्होंने वहां कृषि क्षेत्र में हो रहे प्रयोगों का जायजा भी लिया। अगर नेपाल में चीन के प्रभाव को बढ़ने से रोकना है तो भारत को अपनी सभी परियोजनाएं तेजी से पूरी करनी होंगी। तभी वहां की जनता में भी भारत के प्रति विश्वास कायम होगा ।
—(नवभारत टाइम्स, 10 अप्रैल, 2018 )

सत्याग्रही से स्वच्छाग्रही, सामूहिकता का बल ही स्वच्छता अभियान

पारण की धरती पर महात्मा गांधी को कदम रखे सौ साल पूरे हो गए। इस उपलक्ष्य में सत्याग्रहियों की परंपरा की इस धरती से एक और उम्मीद की जा रही है- गंदगी के खिलाफ आंदोलन की। गौर करें तो हमारे समाज द्वारा खुद पैदा किए गए इस दुश्मन के खिलाफ जंग की सख्त आवश्यकता है। स्वच्छ भारत की मुहिम को धार देने में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि चंपारण की धरती से इस जंग की अपेक्षा रखते हैं तो यह इस क्षेत्र विशेष के प्रति सम्मान है। यदि इस अभियान को सामूहिकता का रूप दिया जाए तो सुखद परिणाम की कल्पना की जा सकती है। खुले में शौच से निजात के लिए शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन कई क्षेत्रों में इसकी गति धीमी। इसकी बड़ी वजह है जागरूकता का अभाव। यदि जागरूकता पैदा करने में ही हम अपनी भूमिका तय कर लें, तो इस आंदोलन का हिस्सा बन जाएंगे। यदि नाले-नालियों में ठोस अपशिष्ठ और पॉलीथिन डालने पर नियंत्रण कर लें, तो जाम की वजह से सड़कों पर उफन आने वाली गंदगी पर लगाम लग जाएगी।
—(दैनिक जागरण, 9 अप्रैल, 2018)

नेपाल के साथ

रत और नेपाल के रिश्ते जैसे रहे हैं, उसकी तुलना किसी और द्विपक्षीय संबंध से नहीं की जा सकती। भारत और नेपाल न सिर्फ पड़ोसी हैं बल्कि इतिहास, सभ्यता, संस्कृति, भाषा आदि और भी बहुत-से तार उन्हें जोड़ते हैं। दोनों देशों के बीच की सीमा खुली हुई है। भारत ने नेपाल के लोगों को अपने यहां काम करने और शिक्षा ग्रहण करने जैसी कई अहम सुविधाएं दे रखी हैं। दोनों के बीच दशकों से एक मैत्री संधि चली आ रही है, जो आपसी संबंधों की प्रगाढ़ता का एक और प्रमाण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ और दोनों तरफ के प्रतिनिधिमंडलों के बीच जलमार्ग और रेलमार्ग के जरिए संपर्क और आवाजाही बढ़ाने पर भी बात हुई। दूसरी तरफ, ओली की यहां आना भारत के लिए भी अहम था, क्योंकि यह आपसी भरोसे की बहाली का मौका था, खुद को आश्वस्त करने का भी, कि नेपाल चीन के पाले में नहीं है। अगर भारत चीन के प्रति नेपाल के आकर्षण को रोकना चाहता है तो उसका पहला तकाजा यह है कि नेपाल में भारत की मदद से शुरू की गई परियोजनाएं जल्द से जल्द पूरी हों।
—(जनसत्ता, अप्रैल 9,2018)

प्रस्तुति: पंकज आनंद