‘गगनयान मिशन’ भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि: नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नये वर्ष और नये दशक के अपने पहले मन की बात कार्यक्रम में 26 जनवरी को ‘गगनयान’ मिशन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत 2022 में अपनी आजादी के 75 वर्ष मनाएगा और देश को गगनयान मिशन के जरिए अंतरिक्ष में किसी भारतीय को पहुंचाने के अपने संकल्प को पूरा करना होगा।

उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन 21वीं शताब्दी में भारत के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगा। यह नये भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। प्रधानमंत्री ने भारतीय वायुसेना के उन चार पायलटों की सराहना की, जिनका चयन मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में किया गया है और उन्हें रूस में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

श्री मोदी ने कहा कि ये होनहार युवा भारत के कौशल, प्रतिभा, क्षमता, साहस और सपनों का प्रतीक हैं। हमारे चारों मित्र कुछ ही दिनों में प्रशिक्षण के लिए रूस जाने वाले हैं। मुझे विश्वास है कि उनके इस प्रयास से भारत और रूस की मैत्री और सहयोग में एक नया स्वर्णिम अध्याय लिखा जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक वर्ष के प्रशिक्षण के बाद इन अंतरिक्ष यात्रियों के कंधों पर देश की उम्मीदों और आकांक्षाओं तथा अंतरिक्ष में उड़ान भरने की जिम्मेदारी होगी। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर मैं चारों युवाओं, भारतीय तथा रूसी वैज्ञानिकों और इस मिशन से जुड़े इंजीनियरों को बधाई देता हूं।

हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा कि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है और शांति हर सवाल के जवाब का आधार होना चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील की कि एकजुटता से हर समस्या के समाधान का प्रयास हो और भाईचारे के जरिये हर विभाजन और बंटवारे की कोशिश को नाकाम करें।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम इक्कीसवीं सदी में हैं, जो ज्ञान-विज्ञान और लोकतंत्र का युग है। क्या आपने किसी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहां हिंसा से जीवन बेहतर हुआ हो?’’ उन्होंने पूछा, ‘‘क्या आपने ऐसी किसी जगह के बारे में सुना है, जहां शांति और सद्भाव जीवन के लिए मुसीबत बने हों?”
श्री मोदी ने कहा कि हिंसा, किसी समस्या का समाधान नहीं करती। दुनिया की किसी भी समस्या का हल, कोई दूसरी समस्या पैदा करने से नहीं, बल्कि अधिक-से-अधिक उसका समाधान ढूंढ़कर ही हो सकता है।

जल शक्ति अभियान में तेजी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि जल शक्ति अभियान लोगों की भागीदारी से गति पकड़ रहा है। उन्होंने देश के प्रत्येक कोने में जल संरक्षण के लिए कुछ विस्तृत और नवोन्मेषी प्रयासों को साझा किया।

राजस्थान में जालौर जिले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां दो ऐतिहासिक कुओं को कूड़ा फेंकने और गंदे पानी का स्थान बना दिया गया था, लेकिन एक दिन भद्रायन और थानावाला पंचायतों के सैकड़ों लोगों ने जल शक्ति अभियान के अंतर्गत उसमें नई जान डालने का संकल्प लिया। वर्षा से पहले लोग उसकी सफाई में जुट गए और उस कुएं से कूड़ा और काई निकाली। इस अभियान में कुछ दान की गई राशि; अन्य प्रकार के श्रम का इस्तेमाल किया गया। इसके परिणामस्वरूप ये कुएं इस समय लोगों की जीवन रेखा हैं।

इसी प्रकार से उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में गांव वालों के सामूहिक प्रयास से सराही झील जीवंत हो गई। एक अन्य उदाहरण अलमोड़ा-हल्द्वानी राजमार्ग पर स्यूनराकोट गांव में जन भागीदारी का है। यहां गांव वालों ने खुद सुनिश्चित किया कि पानी उनके गांव तक पहुंचे। लोगों ने धनराशि जमा की और श्रम दान किया। गांव में एक पाइप बिछाई गई और पम्पिंग स्टेशन लगाया गया। इससे दशकों पुरानी जल संकट की समस्या का समाधान हो गया।

प्रधानमंत्री ने सभी से आग्रह किया कि वे #Jalshakti4India का इस्तेमाल करते हुए जल संरक्षण और जल सिंचाई के ऐसे प्रयासों की अपनी कहानियां साझा करें। जल संरक्षण और जल सुरक्षा के लिए जल शक्ति अभियान की शुरुआत जुलाई 2019 में पिछले मानसून में की गई थी। इस अभियान में पानी की कमी वाले जिलों और ब्लॉकों पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है।