2018-19 की प्रथम तिमाही में 8.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि

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भाजपानीत राजग सरकार के कुशल प्रबंधन व िवकासपरक सुधारों के चलते देश की अर्थव्यवस्था में काफी तेजी आई है। उल्लेखनीय है कि विनिर्माण, कृषि और रियल एस्टेट में तेजी की वजह से अप्रैल-जून में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर 8.2% रही। यह पिछली नौ तिमाही में सबसे ज्यादा है। विकास दर लगातार चौथी तिमाही में बढ़ी है। पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में ग्रोथ 7.7% रही थी। भारत दुनिया में सबसे तेज विकास दर वाला देश बना हुआ है। दरअसल, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने 31 अगस्त को वित्त वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान स्थिर मूल्यों (2011-12) और वर्तमान मूल्यों दोनों पर ही जारी किए।

वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बढ़कर 33.74 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही में यह 31.18 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। यह 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है। वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में बुनियादी स्थिर मूल्यों (2011-12) पर तिमाही जीवीए बढ़कर 31.63 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही में 29.29 लाख करोड़ रुपये था। यह 8.0 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।

जिन क्षेत्रों ने वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में 7.0 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर दर्ज की है उनमें ‘विनिर्माण’, ‘विद्युत, गैस, जलापूर्ति एवं अन्य उपयोगी सेवाएं’, ‘निर्माण’ एवं ‘लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएं’ शामिल हैं। ‘कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन’, ‘खनन एवं उत्खनन’, ‘व्यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाओं’ और ‘वित्तीय, अचल संपत्ति एवं प्रोफेशनल सेवाओं’ की वृद्धि दर क्रमश: 5.3, 0.1, 6.7 और 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में वर्तमान मूल्यों पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के बढ़कर 44.33 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है, जो वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही में 38.97 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी। यह 13.8 फीसदी की वृद्धि दर दर्शाती है। वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में बुनियादी वर्तमान मूल्यों पर जीवीए के बढ़कर 41.02 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही में 36.34 लाख करोड़ रुपये था। यह 12.9 प्रतिशत की वृद्धि दर को दर्शाता है।

गौरतलब है कि इस जीडीपी विकास का आधार काफी व्यापक है और यह उपभोग व्यय में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि और नियत (फिक्स्ड) निवेश में 10.0 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोतरी की बदौलत संभव हो पाया है। विशेषकर फिक्स्ड निवेश में वृद्धि अत्यंत उत्साहवर्द्धक है, क्योंकि यह वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में दर्ज की गई 14.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के मुकाबले आंकी गई बढ़त को दर्शाती है। यही नहीं, यह आंकड़ा भावी विकास की दृष्टि से भी अच्छे संकेत दे रहा है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय ने जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि का श्रेय ढांचागत सुधारों पर निरंतर जोर दिए जाने और वर्तमान नीतिगत पहलों के कारगर क्रियान्वयन को दिया। उन्होंने यह भी कहा कि बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में पूंजीगत खर्च को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने तथा बुनियादी वस्तुओं एवं सेवाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए की गई विभिन्न पहलों ने न केवल इस तेज विकास में योगदान किया है, बल्कि इसकी गुणवत्ता को भी बेहतर कर दिया है।

आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव श्री सुभाष चंद्र गर्ग ने अपने ट्वीट में कहा है, ‘प्रथम तिमाही में उल्लेखनीय वृद्धि। 8.2 प्रतिशत की समग्र वृद्धि दर, विनिर्माण क्षेत्र में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि और पूंजी सृजन में 10 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में निरंतर बेहतरी का क्रम अब पूरा हो चुका है। 2018-19 में देश की विकास दर और भी तेज होनी चाहिए, जिससे भारत दुनिया में सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था आगे भी बना रहेगा।’

वित्त सचिव डॉ. हंसमुख अधिया ने अपने ट्वीट में कहा है, ‘वित्त वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में 8.2 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि देश में लागू किए गए ढांचागत सुधार जैसे कि जीएसटी के अच्छे परिणाम अब मिलने शुरू हो गए हैं। विनिर्माण क्षेत्र में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से भी मांग में व्यापक सुधार होने के संकेत मिलते हैं। यह पिछली चार तिमाहियों में आर्थिक विकास की उल्लेखनीय गति को दर्शाती है जो क्रमशः 6.3, 7, 7.7 प्रतिशत और अब 8.2 प्रतिशत आंकी गई है।’