गोवा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन : आतंक को जन्म देने वाला देश भारत का पड़ोसी है

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गोवा में 15-16 अक्टूबर को हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत के लिए आतंकवाद का मुद्दा अहम रहा। दरअसल, दशकों से आतंकवाद की मार झेल रहे भारत को ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान इस मसले पर एक राय बनाने में कामयाबी मिली। ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद को पूरी दुनिया के लिए खतरा बताते हुए इससे कड़ाई से निपटने पर जोर दिया। साथ ही श्री मोदी ने ब्रिक्स के मंच से पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उसे आतंकवाद की जन्मभूमि करार दिया।

गोवा में संपन्न हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 16 अक्टूबर को कहा कि आतंकवाद क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए ‘सबसे गंभीर’ खतरा है और भारत के पड़ोस में एक देश आतंकवाद की ‘जन्मभूमि’ है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह देश ऐसी सोच को पाल-पोस रहा है जो सरेआम यह कहती है कि राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवाद जायज है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूसी श्री राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति श्री शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति श्री जैकब जुमा और ब्राजीलियाई नेता श्री माइकल टेमर को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि दुनिया में आतंकवाद के मॉड्यूल इस ‘जन्मभूमि’ से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अपने क्षेत्र में आतंकवाद ने शांति, सुरक्षा और विकास के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है। दुखद है कि इसकी जन्मभूमि भारत के पड़ोस में एक देश है। दुनिया भर में आतंकवाद का मॉड्यूल इसी जन्मभूमि से जुड़ा हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिक्स के तौर पर हमें खड़े होने और मिलकर काम करने की जरूरत है। ब्रिक्स को इस खतरे के खिलाफ एक सुर में बोलना होगा।’’
यही नहीं प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 15 अक्टूबर को चीन और रूस के राष्ट्राध्यक्षों से अपनी द्विपक्षीय मुलाकातों में पाकिस्तान की धरती से पैदा होने वाले आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को पुरजोर ढंग से रखा था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को सहयोग देने वालों को दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने इस विश्वास को लेकर एकजुट हैं कि आतंकवाद और इसके समर्थकों को पुरस्कृत नहीं, बल्कि दंडित करना होगा।’’
मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकात की
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 16 अक्टूबर को गोवा में ब्रिक्स-बिम्सटेक आउटरीच सम्मेलन से पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री मैत्रिपाला सिरीसेना से मुलाकात की और द्विपक्षीय वार्ता की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने दोनों नेताओं की तस्वीर के साथ ट्विटर पर लिखा कि द्विपक्षीय कूटनीति के साथ सुबह एक व्यस्त दिन की शुरुआत। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला से मुलाकात की। गौरतलब है कि ‘द बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टरल टेक्निकल एंड इकोनोमिक कोऑपरेशन ;बिम्सटेकद्ध’ में भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका हैं।
2020 तक ब्रिक्स के बीच 500 अरब डॉलर तक व्यापार पहुंचाने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन से पहले सदस्य देशों से 2020 तक अपने बीच के व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का आह्वान किया। ब्रिक्स के नेताओं को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि 2015 में ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार 250 अरब डॉलर का था, 2020 तक इसे बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि सभी पांचों देशों के उद्यमी अपने संबंधों को और बढ़ाएं और सरकारें इसमें अपना पूरा सहयोग दें। उन्होंने कहा कि कर और सीमा शुल्क पर सहयोग का हमारा प्रारूप इस दिशा में एक अच्छी शुरुआत है। श्री मोदी ने कहा कि विश्व में मौजूद सुरक्षा चुनौतियों और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच ब्रिक्स शांति की रोशनी बनकर सामने आया है, इसने बीते साल वैश्विक परिवर्तन और विकास के एजेंडे के निर्धारण में बड़ी भूमिका निभाई।
इससे पहले प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ब्रिक्स व्यापार परिषद से आग्रह किया कि वह आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सदस्य देशों के साथ मिल कर काम करें। उन्होंने कहा कि प्रथम ब्रिक्स व्यापार मेला जैसे समारोह व्यापारिक जागरूकता और वाणिज्यिक आदान-प्रदान बढ़ाने में मदद करते हैं। श्री मोदी ने कहा कि हम आपसी व्यापार बढ़ाने, व्यापार के अवसर बढ़ाने, निवेश संबंधों के निर्माण, नवाचार को बढ़ावा देने और अंतर ब्रिक्स वाणिज्य की बाधाएं दूर करने के हमारे साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ब्रिक्स व्यापार परिषद् पर भरोसा करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने दो दिन पहले नई दिल्ली में पहले ब्रिक्स व्यापार मेले की मेजबानी की थी, जिनमें आप सभी देशों ने सक्रियता से भाग लिया। व्यापारिक जागरूकता बढ़ाने और वाणिज्यिक आदान-प्रदान के लिए ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।