प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 19 सितंबर को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (एडब्ल्यूडब्ल्यूएस) और आंगनवाड़ी सहायिकाओं (एडब्ल्यूएचएस) का मानदेय बढ़ाने तथा आंगनवाड़ी सेवाओं (समेकित बाल विकास सेवा अम्ब्रेला स्कीम) के तहत आंगनवाड़ी सहायिकाओं को कार्य निष्पादन के अनुरुप प्रोत्साहन राशि दिए जाने को मंजूरी दे दी। इसके लिए 1 अक्टूबर 2018 से 31 मार्च 2020 की अवधि के लिए केन्द्र सरकार के हिस्से के रूप में कुल 10649.41 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा।
मानदेय बढ़ाए जाने से करीब 27 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लाभान्वित होंगी। आंगनवाड़ी सेवा (अंब्रेला आईसीडीएस) योजना एक वृहत योजना है जिसके तहत देशभर में एडब्ल्यूसी/गांव स्तर के लाभार्थी हैं। बढ़ा हुआ मानदेय निम्न है:
.कार्यकर्ताओं की श्रेणी पुरानी दरें /प्रति माह संशोधित दरें/ प्रति माह
. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता 3000/-रुपये 4500/- रुपये
.आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (मिनी-एडब्ल्यूसी) 2250/- रुपये 3500/- रुपये
.आंगनवाड़ी सहायिका 1500/- रुपये 2250/- रुपये (*)
(*)आंगनवाड़ी केन्द्रों के बेहतर संचालन के लिए कार्यप्रदर्शन के हिसाब से आंगनवाड़ी सहायिकाओं के लिए प्रतिमाह 250/- रुपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि के भुगतान को भी मंजूरी दी गयी है।
मानदेय तथा प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी
1 अक्टूबर 2018 से प्रभावी होगी
प्रभाव : इससे नवजात शिशुओं में कुपोषण और रक्त अल्पता तथा जन्म के समय कम वजन जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी, किशोरवय बालिकाओं का सशक्तिकरण, कानूनी मामलों में उलझे बच्चों को सुरक्षा उपलब्ध कराने और कामकाजी महिलाओं के बच्चों की देखभाल के लिए सुरक्षित स्थान भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
इसके अलावा लक्षित उद्देश्यों की प्राप्ति और ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए संबंधित मंत्रालयों तथा राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के बीच समन्वय तथा उन्हें सही दिशा-निर्देश जारी करने और उनके प्रदर्शन पर निगरानी रखने की व्यवस्था को भी बेहतर बनाया जा सकेगा।
पृष्ठभूमि : बाल विकास सेवा योजना (आईसीडीएस) का उद्देश्य छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करना है। इस योजना के लाभार्थियों में इन बच्चों के अलावा गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं भी शामिल हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी सहायिकाओं को दिये जाने वाले मानदेय में पिछली बढ़ोतरी 2011 में की गई थी। जीवन यापन तथा बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार के खर्चों में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए मानदेय में 2017 में भी वृद्धि की गई थी।