भारत ने भविष्य के लिए प्रेरणा का आधार तैयार किया : नरेन्द्र मोदी

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                                                      ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ राष्ट्र को समर्पित

 

लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को उनकी 143 वीं जयंती पर राष्ट्र को समर्पित किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर को दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया। ‘स्टैच्यू आफ यूनिटी’ जहां राष्ट्रीय गौरव और एकता की प्रतीक है, वहीं यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल तथा परियोजना प्रबंधन क्षमताओं का सम्मान भी है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर को विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को राष्ट्र को समर्पित किया। लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 143 वीं जयंती पर 182 मीटर की उनकी प्रतिमा गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया में राष्ट्र को समर्पित की गई। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के लोकार्पण के दौरान भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह, गुजरात के राज्यपाल श्री ओ. पी. कोहली और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी मौजूद थे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने मिट्टी और नर्मदा नदी के पानी को कलश में भरकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने बटन दबाकर प्रतिमा के वर्चुअल अभिषेक की शुरुआत की।

प्रधानमंत्री ने वॉल ऑफ यूनिटी का उद्घाटन किया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रतिमा के नीचे प्रधानमंत्री ने विशेष पूजा की। प्रधानमंत्री ने संग्रहालय तथा प्रदर्शनी और दर्शक दीर्घा को भी देखा। यह दीर्घा 153 मीटर ऊंची है और एक साथ इसे 200 आगुंतक देख सकते है। यहां से सरदार सरोवर बांध, इसके जलाशय तथा सतपुड़ा और विंध्य पर्वत शृंखलाओं का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। इस समारोह में भारतीय वायु सेना के विमान और सांस्कृतिक दस्तों ने करतब दिखाए।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि आज पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। उन्होंने कहा कि आज का दिन भारत के इतिहास में विशेष महत्व का दिन है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण के साथ भारत ने आज भविष्य के लिए स्वयं को विशाल प्रेरणा दी है।

प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा को भारत के शाश्वत अस्तित्व का प्रतीक बताते हुए कहा कि सरदार पटेल ने सैकड़ों रियासतों का विलय कर और देश का एकीकरण करके इसे तोड़ने की साजिश को परास्त करने का काम किया। श्री मोदी ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश को बांटने की हर तरह की कोशिश का पुरजोर जवाब दें। इसलिए हमें हर तरह से सतर्क रहना है। समाज के तौर पर एकजुट रहना है।

उन्होंने कहा कि आज देश के लिए सोचने वाले युवाओं की शक्ति हमारे पास है। देश के विकास के लिए यही एक रास्ता है, जिसको लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है। देश की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता को बनाए रखना एक ऐसा दायित्व है, जो सरदार पटेल देकर गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई बार तो मैं हैरान रह जाता हूं, जब देश में ही कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति से जोड़कर देखते हैं। सरदार पटेल जैसे महापुरुषों, देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए भी हमारी आलोचना होने लगती है। ऐसा अनुभव कराया जाता है मानो हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। उन्होंने जोर दिया कि करोड़ों भारतीयों की तरह उनके मन में एक ही भावना थी कि जिस व्यक्ति ने देश को एक करने के लिए इतना बड़ा पुरुषार्थ किया हो, उसको वो सम्मान अवश्य मिलना चाहिए जिसका वो हकदार है।

देश के एकीकरण में सरदार पटेल के योगदान को रेखांकित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि जिस कमज़ोरी पर दुनिया उस समय ताने दे रही थी, उसी को ताकत बनाते हुए सरदार पटेल ने देश को रास्ता दिखाया। उन्होंने कहा कि उसी रास्ते पर चलते हुए संशय में घिरा वह भारत आज दुनिया से अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है। दुनिया की बड़ी आर्थिक और सामरिक शक्ति बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ये प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को यह याद दिलाने के लिए है कि ये राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा।

श्री मोदी ने कहा कि सरदार साहब का सामर्थ्य तब भारत के काम आया था, जब देश साढ़े पांच सौ से ज्यादा रियासतों में बंटी थी। दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति घोर निराशा थी। निराशावादियों को लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से ही बिखर जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल के इसी संवाद से एकीकरण की शक्ति को समझते हुए उन्होंने अपने राज्यों का विलय कर दिया। देखते ही देखते, भारत एक हो गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कच्छ से कोहिमा तक, करगिल से कन्याकुमारी तक आज अगर बेरोकटोक हम जा पा रहे हैं तो ये सरदार साहब की वजह से, उनके संकल्प से ही संभव हो पाया है।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने संकल्प न लिया होता, तो आज गिर के शेर को देखने के लिए, सोमनाथ में पूजा करने के लिए और हैदराबाद चार मीनार को देखने के लिए वीज़ा लेना पड़ता। उनका संकल्प न होता, तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

श्री मोदी ने कहा कि देश के लोकतंत्र से सामान्य जन को जोड़ने के लिए वह समर्पित रहे। महिलाओं को भारत की राजनीति में सक्रिय योगदान का अधिकार देने के पीछे भी सरदार पटेल का बहुत बड़ा रोल रहा है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल चाहते थे कि भारत सशक्त, सुदृढ़, संवेदनशील, सतर्क और समावेशी बने। हमारे सारे प्रयास उनके इसी सपने को साकार करने की दिशा में हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का ये स्मारक उनके प्रति करोड़ों भारतीयों के सम्मान, हमारे सामर्थ्य का प्रतीक तो है ही, ये देश की अर्थव्यवस्था, रोज़गार निर्माण का भी महत्वपूर्ण स्थान होने वाला है। इससे हज़ारों आदिवासियों को हर वर्ष सीधा रोज़गार मिलने वाला है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान सरकार की जन कल्याण योजनाओं का जिक्र किया। इसमें गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने, शौचालयों का निर्माण, हर बेघर को पक्का घर, गांव-गांव में बिजली सुविधा मुहैया कराने की पहल शामिल है। उन्होंने प्रतिमा के निर्माण में शामिल कामगारों, शिल्पकारों तथा शिल्पकार श्री राम सुतार की टीम को धन्यवाद दिया।

उल्लेखनीय है कि यह प्रतिमा अमेरिका में स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ से करीब दो गुनी ऊंची है और गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास साधु बेट नामक छोटे द्वीप पर स्थापित की गई है। इस प्रतिमा के निर्माण में 70,000 टन से ज्यादा सीमेंट, 18,500 टन री-एंफोंर्समेंट स्टील, 6,000 टन स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसा का इस्तेमाल हुआ है।