भारत ने किया ‘चंद्र मिशन-2’ का सफल प्रक्षेपण

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रूस, अमेरिका, चीन के बाद चांद पर उतरने वाला चौथा देश होगा भारत

भारत ने ‘‘अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने” के उद्देश्य से अपने दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ का 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। ‘बाहुबली’ नाम के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-मार्क 43.43 मीटर लंबे जीएसएलवी मार्क III एम-1 ने प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद यान को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।

चंद्रयान-2 ने अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर चांद की ओर उड़ान भरी। यह प्रक्षेपण अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की धाक जमाएगा और चांद के बारे में दुनिया को नई जानकारी उपलबध कराएगा। इसरो ने 18 जुलाई को यान के प्रक्षेपण की नयी तारीख की घोषणा करते हुए कहा था ‘‘चंद्रयान-2 अनगिनत सपनों को चांद पर ले जाने के लिए तैयार है। 22 जुलाई 2019 को अपराह्न दो बजकर 43 मिनट पर प्रक्षेपण के लिए हमारे साथ जुड़िये।”

43.43 मीटर लंबे जीएसएलवी मार्क III एम-1 ने आसमान में छाए बादलों को चीरते हुए प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद 3,850 किलोग्राम वजनी ‘चंद्रयान-2’ को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। प्रक्षेपण के बाद इसरो के वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे। पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के साथ ही यान ने भारत के महत्वाकांक्षी मिशन के पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया।

राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग पर इसरो के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया, “श्रीहरिकोटा से चन्द्रयान-2 का ऐतिहासिक प्रक्षेपण हर भारतीय के लिए एक गर्व का क्षण है। भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए @ISRO के सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। मेरी कामना है कि टेक्नॉलॉजी के नए-नए क्षेत्रों में ‘इसरो’ नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचे।”

उपराष्ट्रपति श्री एम. वैंकेया नायडू ने चन्द्रयान-2 के सफल लॉन्च के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अंतरिक्ष विभाग के वैज्ञानिकों और कर्मियों को बधाई दी। उपराष्ट्रपति ने इस बात की बहुत सराहना की कि चन्द्रयान-2 और प्रक्षेपण वाहन पूरी तरह भारत में ही निर्मित है।

उन्होंने कहा, “यह निश्चित रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति का सुनहरा अध्याय और मील का पत्थर है।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि चन्द्रमा की उस सतह पर उतर कर चन्द्रयान-2 परियोजना सफलतापूर्वक पूरी हो जाएगी, जहां अब तक कोई भी मानव निर्मित वस्तु नहीं पहुंच सकी है।

श्री नायडू ने कहा, “यह पहल बाहरी अंतरिक्ष की खोज में भारत के योगदान के मद्देनजर एक बड़ी छलांग है तथा भारत उन तीन देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने इसी तरह के चुनौतीपूर्ण अभियानों का आयोजन किया है। यह निश्चित रूप से पिछले तीन वर्षों के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी में देश की तेज प्रगति का जीवंत प्रमाण है।”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए ट्वीट किया, ‘‘चंद्रयान-2 अपने आप में विशिष्ट है क्योंकि यह चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में खोज और अध्ययन करेगा जो किसी विगत मिशन में नहीं हुआ है। मिशन, चंद्रमा के बारे में नयी जानकारी उपलब्ध कराएगा।”

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के साथ गया ‘चंद्रयान-2’ चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने से पहले 15 महत्वपूर्ण अभियान चरणों से गुजरेगा। यान के सितंबर के पहले सप्ताह में चांद पर उतरने की उम्मीद है।

प्रक्षेपण के बाद इसरो प्रमुख डॉ. के. सिवन ने मिशन के सफल होने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह चंद्रमा की ओर भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है। डॉ. सिवन ने इस चुनौतीपूर्ण मिशन में शामिल रही प्रक्षेपण यान और उपग्रह टीमों को बधाई दी।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। मुझे यह घोषित करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि जीएसएलवी एमकेIII-एम1 यान ने चन्द्रयान-2 को 6,000 किलोमीटर की एक कक्षा तक सफलतापूर्वक पहुंचा दिया, जो वांछित कक्षा से अधिक एवं बेहतर है।’’
डॉ. सिवन ने कहा, ‘‘आज चंद्रमा तक पहुंचने की भारत की ऐतिहासिक यात्रा तथा अब तक खोजे नहीं गये तथ्यों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक प्रयोग करने हेतु दक्षिणी ध्रुव के निकटवर्ती स्थान पर उतरने की शुरुआत है। 15 जुलाई, 2019 को इसरो ने बड़ी कुशलता के साथ एक तकनीकी गड़बड़ी का पता लगा लिया था। टीम इसरो ने 24 घंटे के भीतर ही इस गड़बड़ी पर काम करके, उसको ठीक कर सुधार दिया था। अगले डेढ़ दिन तक इस बात का पता लगाने के लिए आवश्यक परीक्षण किये गये कि सुधार उचित और सही दिशा में किये गये हैं अथवा नहीं। आज इसरो ने शानदार सफलता हासिल की।’

डॉ. सिवन ने कहा कि यान को चंद्रमा के पास पहुंचने से पहले, अगले डेढ़ महीने में 15 ‘‘बेहद महत्वपूर्ण अभियान चरणों” से गुजरना होगा।” उन्होंने कहा कि उसके बाद वह दिन आएगा, जब चंद्रमा पर दक्षिणी ध्रुव के नजदीक सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए 15 मिनट तक “हमारे दिलों की धड़कनें बढ़ जाएंगी।” यह सबसे जटिल चरण होगा।

गौरतलब है कि गत 15 जुलाई को रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण टाल दिया गया था। उस दिन इसका प्रक्षेपण तड़के दो बजकर 51 मिनट पर होना था, लेकिन प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले रॉकेट में तकनीकी खामी का पता चलने के बाद ‘चंद्रयान-2’ की उड़ान टाल दी गई थी। समय रहते खामी का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक समुदाय ने इसरो की सराहना की थी।

‘चंद्रयान-2’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। इससे चांद के अनसुलझे रहस्य जानने में मदद मिलेगी। यह ऐसी नयी खोज होगी जिसका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा।

पहले चंद्र मिशन की सफलता के 11 साल बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-मार्क III के जरिए 978 करोड़ रुपये की लागत से बने ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण किया।

इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2’ के साथ रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। स्वदेशी तकनीक से निर्मित ‘चंद्रयान-2’ में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं।

लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। दूसरी ओर, 27 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ का मतलब संस्कृत में ‘बुद्धिमता’ है। ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ के बीच संकेत प्रसारित करेगा। लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है। ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स) संचालित 6-पहिया वाहन है।

चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के लिए संसद के दोनों सदनों ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी
संसद के दोनों सदनों ने 22 जुलाई को देश के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पर संबंधित वैज्ञानिकों एवं परियोजना से जुड़े लोगों को बधाई दी और कहा कि यह पूरे देश के लिए गौरव का क्षण है। इसके सफल प्रक्षेपण के कुछ देर बाद ही लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। यह देश के लिए गौरवशाली क्षण है।

उन्होंने कहा कि इस प्रक्षेपण के साथ ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की शक्ति और क्षमता को बढ़ावा मिला है। श्री बिरला ने कहा कि यह इसरो के वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में संभव हुआ है। हम वैज्ञानिकों को बधाई देते हैं। सदस्यों ने मेजें थपथपा कर इस उपलब्धि के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की।

राज्यसभा के सभापति श्री एम वेंकैया नायडू ने भी उच्च सदन में इस उपलब्धि का जिक्र किया। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए देशवासियों, वैज्ञानिकों, इसरों के कर्मचारियों तथा अंतरिक्ष विभाग को बधाई दी। श्री नायडू ने कहा कि चंद्रयान-2 पूरी तरह से भारत में डिजायन और तैयार किया गया है तथा इसलिए वैज्ञानिक विशेष प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इस कामयाबी से देश का गौरव तथा विश्वास बढ़ा है। यह कामयाबी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा देश के लिए सुनहरा अध्याय होगी।

चन्द्रयान पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है : नरेन्द्र मोदी

हृदय से भारतीय, भाव से भारतीय!

देश के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि विशेष पल जो हमारे गौरवशाली इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। चन्द्रयान-2 के लांच से विज्ञान में नई ऊंचाइयां छूने के लिए हमारे वैज्ञानिकों की क्षमता और 130 करोड़ भारतीयों की प्रतिबद्धता प्रकट होती है। आज हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा है।

उन्होंने कहा कि हृदय से भारतीय, भावना से भारतीय! हर भारतीय के लिये प्रसन्नता का विषय है कि चन्द्रयान-2 पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है। चन्द्रमा के धरातल का विश्लेषण करने के लिए चन्द्रयान-2 में चन्द्रमा के संबंध में दूर संवेदन के लिए एक आर्बिटर तथा लैंडर– रोवर मॉड्यूल होगा।

श्री मोदी ने कहा कि चन्द्रयान-2 इसलिए विशिष्ट है, क्योंकि यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र का अध्ययन और जांच करेगा, जहां अभी तक कोई खोज नहीं हुई थी। इस क्षेत्र से पहले नमूने भी कभी नहीं लिये गए। इस मिशन से चन्द्रमा के बारे में नई जानकारियां मिलेंगी।

उन्होंने कहा कि चन्द्रयान-2 जैसे प्रयासों से हमारे प्रतिभाशाली युवाओं को विज्ञान, उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान और नवाचार के प्रति प्रोत्साहन मिलेगा। चन्द्रयान को धन्यवाद, भारत के चन्द्र कार्यक्रम को बहुत बढ़ावा मिलेगा। चन्द्रमा के बारे में हमारे मौजूदा ज्ञान में बहुत वृद्धि होगी।”

एक महान राष्ट्र को इस अतुलनीय उपलब्धि पर गर्व है: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग को देश के लिए ऐतिहासिक एवं गौरवपूर्ण क्षण बताते हुए इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) एवं इस मिशन में कार्यरत सभी वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई दी।

श्री शाह ने कहा कि चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग के साथ ही हिंदुस्तान ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए मिसाल कायम की है। एक महान राष्ट्र को इस अतुलनीय उपलब्धि पर गर्व है, क्योंकि हम चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव के हिस्से पर उतरने की कोशिश करेंगे जहां आज तक कोई भी देश पहुंच नहीं पाया है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को भी धन्यवाद दिया और कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी का शुक्रिया अदा करता हूं कि वे हमारे संस्थानों को इस तरह के शानदार काम करने के लिए सदैव प्रेरित करते रहते हैं।

श्री शाह ने कहा कि इसरो ने हाल के वर्षों में एक साथ 104 उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित करने के साथ-साथ मंगलयान और चंद्रयान-1 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर पूरे विश्व को अचंभित कर दिया है। यह समस्त देशवासियों के लिए गौरवान्वित करने वाला है। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग इस दिशा में एक और मील का पत्थर है।

130 करोड़ भारतीयों के लिए यह गर्व का विषय : जगत प्रकाश नड्डा

130 करोड़ भारतीयों के लिए यह गर्व का विषय है, कि पूर्णतया स्वदेशी #Chandrayaan2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर कर चंद्रमा की सतह का अध्ययन, विश्लेषण आदि शोध कार्य करेगा। जहां पर अभी तक कोई नहीं पहुंच पाया आज वहां भारत की पहुंच है। इस अभियान से जुड़ी
@isro टीम को हृदय से बधाई।

विदेशी मीडिया में भी हुई चंद्रयान-2 की ‘प्रशंसा’

इसरो के चंद्रयान-2 मिशन की सभी देशों में प्रशंसा हुई। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग के लिए इसरो को बधाई दी। अमेरिकी मीडिया ने भी भारत के इस मिशन को सराहा।

नासा ने इसरो को दी बधाई

चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग के लिए अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसरो को बधाई दी। नासा ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘चंद्रयान 2 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के लिए इसरो को बधाई। आपके इस मिशन में हम अपने डीप स्पेस नेटवर्क से सहयोग कर गर्व का अनुभव कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में जो आपको नई जानकारी प्राप्त होगी, उस जगह पर अगले कुछ वर्षों में हम अपने अर्टेमिस मिशन में अंतरिक्षयात्रियों को भेजेंगे।’

चंद्रयान-2 ने भारत के सम्मान को बढ़ाया : वाशिंगटन पोस्ट

नासा के बधाई संदेश के बाद दुनिया की मीडिया में चंद्रयान-2 सुर्खियां बन गया। वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि चंद्रयान-2 अपने मिशन पर ऐसे समय रवाना हुआ है जब चंद्रमा पर मनुष्य के कदम रखने के 50 साल पूरे हुए हैं। अमेरिका का पहला मानवयुक्त मिशन अपोलाे-II, 20 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर उतरा था। अखबार ने कहा कि भारत ने 2022 तक अंतरिक्ष में मानवयुक्त मिशन भेजने की घोषणा की है। भारत की कम बजट वाली और स्वदेश निर्मित अंतरिक्ष तकनीक ने राष्ट्रीय सम्मान एवं आकांक्षाओं को बढ़ाया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने की प्रशंसा

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ‘लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान मिशन की शेष चीजें यदि व्यस्थित तरीके से आगे बढ़ीं तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत 200,000 मील से ज्यादा दूर चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान-2 चंद्रमा के रहस्यमयी दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। चंद्रमा का यह हिस्सा अभी तक अछूता रहा है और दुनिया का कोई भी चंद्र मिशन अब तक इस क्षेत्र में नहीं पहुंचा है।’