भारत के 14वें राष्ट्रपति बने रामनाथ कोविंद

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राजग के उम्मीदवार और बिहार के राज्यपाल रहे श्री रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। गत 20 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के आए नतीजे में उन्होंने 65 फीसद से अधिक वोट हासिल कर जीत दर्ज की। राष्ट्रपति चुनाव के लिए नियुक्त निर्वाचन अधिकारी श्री अनूप मिश्र ने बताया कि कोविंद को 65.65 फीसद मत मिले, जबकि विपक्ष की उम्मीदवार श्रीमती मीरा कुमार को 34.35 फीसद वोट मिले।

श्री कोविंद ने करीब 31 फीसद मतों के अंतर से श्रीमती मीरा कुमार को पराजित किया। 71 वर्षीय श्री कोविंद को 2930 मत प्राप्त हुए जिसका मूल्य 7,02,044 मत है। श्री कोविंद भाजपा के पहले सदस्य हैं जो राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। श्रीमती मीरा कुमार को 1844 मत प्राप्त हुए जिसका मूल्य 3,67,314 है।
श्री कोविंद को 522 सांसदों के वोट मिले जिसका मूल्य 369576 है, जबकि श्रीमती कुमार को 225 सांसदों के मत प्राप्त हुए जिनका मूल्य 159300 है। राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में 4,896 मतदाता है जिनमें 4,120 विधायक और 776 सांसद शामिल हैं। श्री कोविंद ने श्रीमती मीरा कुमार को 3.34 लाख मतों से हराया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्री रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर बधाई देते हुए निर्वाचक मंडल में उन्हें मिले व्यापक समर्थन पर प्रसन्नता जाहिर की। प्रधानमंत्री ने विपक्ष की उम्मीदवार श्रीमती मीरा कुमार को उनके अभियान के लिए बधाई दी और कहा कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों की भावना के अनुरूप रहा।

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने श्री कोविंद को राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर बधाई दी और उम्मीद जताई कि उनके उत्तराधिकारी देश को खुशहाली और लोकतंत्र के रास्ते पर आगे ले जाएंगे। श्री मुखर्जी ने अपने संदेश में कहा कि भारत गणराज्य के 14वें राष्ट्रपति के रूप में आपके निर्वाचन पर मैं आपको दिल की गहराइयों से बधाई देता हूं।

राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद श्री रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में बारिश के बीच अपने बचपन के ‘कच्चे’ घर को याद किया। देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद श्री कोविंद ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान की रक्षा करना और इसकी गरिमा को अक्षुण्ण रखना उनका कर्त्तव्य होगा। उन्होंने कहा कि मैंने कभी राष्ट्रपति बनने के बारे में न तो सोचा था और न कल्पना की थी, लेकिन समाज और देश की उनकी ‘अथक सेवा’ उनको इस पद तक लेकर आई है। श्री कोविंद ने अपने अकबर रोड स्थित आवास पर कहा कि अथक सेवा की यह भावना ‘भारतीय परंपरा’ है और उनका निर्वाचन भारतीय लोकतंत्र की महानता का प्रतीक है।

निर्वाचित राष्ट्रपति ने कहा कि आज देश में ऐसे बहुत सारे रामनाथ कोविंद होंगे जो बारिश में भीग रहे होंगे, खेती का काम कर रहे होंगे, मजदूरी कर रहे होंगे और पसीना बहा रहे होंगे, ताकि शाम में उनको भोजन मिल सके। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि परौंख गांव का रामनाथ कोविंद उनके प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रपति भवन जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजेंद्र प्रसाद, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी जैसे व्यक्तित्व इस पद पर रहे और अब इस पद के लिए अपने निर्वाचन को वे अपने लिए बड़ी जिम्मेदारी मानते हैं।

संस्कृत के एक श्लोक को उद्धृत करते हुए श्री कोविंद ने कहा कि वे देश की सेवा और सबको खुश करने के लिए अथक रूप से काम करेंगे। श्री कोविंद ने अपनी प्रतिद्वंद्वी श्रीमती मीरा कुमार को शुभकामना दी।

कानपुरवासी श्री कोविंद ने देश के प्रथम नागरिक के रूप में निर्वाचित होकर नई तारीख लिख दी है। उन्होंने देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के चुनाव में एक जीत दर्ज की। उत्तर प्रदश में कानपुर देहात के परौंख गांव स्थित उनके पैतृक आवास में जश्न का माहौल रहा।

जीवन-वृत्त

सार्वजनिक जीवन और समाज में समतावाद तथा अखण्डता के पैरोकार रहे वकील, वरिष्ठ राजनेता श्री रामनाथ कोविंद का जन्म 01 अक्टूबर, 1945 को उत्तर प्रदेश में कानपुर के निकट परौंख में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री मैकूलाल और माता का नाम श्रीमती कलावती था। 25 जुलाई, 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण करने से पहले श्री कोविंद ने 16 अगस्त, 2015 से 20 जून, 2017 तक बिहार के 36वें राज्यपाल के रूप में अपनी सेवा दी ।

शैक्षिक योग्यता और व्यावसायिक पृष्ठभूमि

श्री कोविंद ने अपनी स्कूली शिक्षा कानपुर में ग्रहण की और कानपुर विश्वविद्यालय से बी.कॉम तथा एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1971 में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में नामांकन किया। श्री कोविंद 1977 से लेकर 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में केन्द्र सरकार के वकील रहे तथा 1980 से 1993 तक उच्चतम न्यायालय में केन्द्र सरकार के वकील रहे। 1978 में वे उच्चतम न्यायालय के ‘एडवोकेट-ऑन-रिकार्ड’ बने। 1993 तक उन्होंने कुल 16 साल तक दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में वकालत की।

संसदीय और सार्वजनिक जीवन

श्री कोविंद को अप्रैल, 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा का सदस्य चुना गया। उन्होंने लगातार दो बार राज्य सभा के सदस्य के रूप में मार्च, 2006 तक कार्य किया। श्री कोविंद ने विभिन्न संसदीय समितियों जैसे अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण संबंधी संसदीय समिति, गृह मामलों की संसदीय समिति, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पर संसदीय समिति, सामाजिक न्याय और अधिकारिता संबंधी संसदीय समिति और कानून और न्याय संबंधी संसदीय समितियों में सेवा की। वह राज्य सभा हाउस कमेटी के चेयरमैन भी रहे। श्री कोिवंद भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं उत्तर प्रदेश भाजपा के महामंत्री का दायित्व सम्भाल चुके हैं।

श्री कोविंद बी.आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान कोलकाता के बोर्ड ऑफ गवर्नस के सदस्य भी रहे। वह संयुक्त राष्ट्र में गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी रहे और अक्टूबर, 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया।

इन पदों पर किया कार्य

2015-17: बिहार के राज्यपाल

1994-2006: उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्य

1971-75 और 1981: महासचिव, अखिल भारतीय कोली समाज

1977-79: दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वकील

1982-84: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के अधिवक्ता

व्यक्तिगत विवरण

श्री कोविंद का विवाह 30 मई, 1974 को श्रीमती सविता कोविंद से हुई। श्री कोविंद के पुत्र का नाम श्री प्रशांत कुमार और पुत्री का नाम सुश्री स्वाति है। पढ़ने-लिखने के शौकीन राष्ट्रपति श्री कोविंद को राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों, कानून और इतिहास तथा धर्म संबंधी किताबें पढ़ने में गहरी दिलचस्पी है।
अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन के दौरान श्री कोविंद ने कई देशों की यात्रा की है। संसद सदस्य के रूप में उन्होंने थाईलैंड, नेपाल, पाकिस्तान, सिंगापुर, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा भी किया है।