भारत की विकास यात्रा आगे बढ़ती रहेगी : नरेंद्र मोदी

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आमतौर पर हज-यात्रियों के लिए लाटरी सिस्टम है, लेकिन मैं चाहूंगा कि अकेली महिलाओं को इस लाटरी सिस्टम से बाहर रखा जाए और उनको स्पेशल केटेगरी में अवसर दिया जाए। मैं पूरे विश्वास से कहता हूं और ये मेरी दृढ़ मान्यता है कि भारत की विकास यात्रा, हमारी नारी-शक्ति के बल पर, उनकी प्रतिभा के भरोसे आगे बढ़ी है और आगे बढ़ती रहेगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 31 दिसंबर को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दौरान कहा कि कुछ बातें ऐसी होती हैं जो दिखने में बहुत छोटी लगती हैं, लेकिन एक समाज के रूप में हमारी पहचान पर दूर-दूर तक प्रभाव डालती रहती हैं। आज ‘मन की बात’ के इस कार्यक्रम के माध्यम से मैं आपके साथ ऐसी एक बात शेयर करना चाहता हूं। हमारी जानकारी में एक बात आयी कि यदि कोई मुस्लिम महिला, हज-यात्रा के लिए जाना चाहती है, तो वह ‘महरम’ या अपने पुरुष संरक्षक के बिना नहीं जा सकती है। जब मैंने इसके बारे में पहली बार सुना तो मैंने सोचा कि ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसे नियम किसने बनाए होंगें? ये भेदभाव क्यों? और मैं जब उसकी गहराई में गया तो मैं हैरान हो गया- आजादी के 70 साल के बाद भी ये प्रतिबंध लगाने वाले हम ही लोग थे।

श्री मोदी ने कहा कि दशकों से मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा था, लेकिन कोई चर्चा ही नहीं थी। यहां तक कि कई इस्लामिक देशों में भी यह नियम नहीं है, लेकिन भारत में मुस्लिम महिलाओं को यह अधिकार प्राप्त नहीं था और मुझे खुशी है कि हमारी सरकार ने इस पर ध्यान दिया। हमारी मिनिस्ट्री ऑफ़ माइनॉरिटी अफेयर्स ने आवश्यक कदम भी उठाए और ये 70 साल से चली आ रही परंपरा को नष्ट कर के इस प्रतिबंध को हमने हटा दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मुस्लिम महिलाएं, ‘महरम’ के बिना हज के लिए जा सकती हैं और मुझे खुशी है कि इस बार लगभग 1300 मुस्लिम महिलाएं ‘महरम’ के बिना हज जाने के लिए अप्लाई कर चुकी हैं और देश के अलग-अलग भागों से- केरल से ले करके उत्तर तक महिलाओं ने बढ़-चढ़ करके हज-यात्रा करने की इच्छा ज़ाहिर की है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को मैंने सुझाव दिया है कि वो यह सुनिश्चित करें कि ऐसी सभी महिलाओं को हज जाने की अनुमति मिले जो अकेले अप्लाई कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि आमतौर पर हज-यात्रियों के लिए लाटरी सिस्टम है, लेकिन मैं चाहूंगा कि अकेली महिलाओं को इस लाटरी सिस्टम से बाहर रखा जाए और उनको स्पेशल केटेगरी में अवसर दिया जाए। मैं पूरे विश्वास से कहता हूं और ये मेरी दृढ़ मान्यता है कि भारत की विकास यात्रा, हमारी नारी-शक्ति के बल पर, उनकी प्रतिभा के भरोसे आगे बढ़ी है और आगे बढ़ती रहेगी। हमारा निरंतर प्रयास होना चाहिए कि हमारी महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर समान अधिकार मिले, समान अवसर मिले, ताकि वे भी प्रगति के मार्ग पर एक-साथ आगे बढ़ सकें।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2 अक्तूबर 2014 पूज्य बापू की जन्म जयन्ती पर हम सब ने संकल्प किया है कि पूज्य बापू का जो अधूरा काम है यानी कि ‘स्वच्छ-भारत’, ‘गन्दगी से मुक्त-भारत’। पूज्य बापू जीवन-भर इस काम के लिए जूझते रहे, कोशिश भी करते रहे और हम सब ने तय किया कि जब पूज्य बापू की 150वीं जयंती हो तो उन्हें हम उनके सपनों का भारत, ‘स्वच्छ भारत’, देने की दिशा में कुछ-न-कुछ करें। स्वच्छता की दिशा में देश भर में व्यापक स्तर पर प्रयास हो रहा है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में व्यापक जन-भागीदारी से भी परिवर्तन नज़र आने लगा है।

श्री मोदी ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता के स्तर की उपलब्धियों का आकलन करने के लिए आगामी 4 जनवरी से 10 मार्च 2018 के बीच दुनिया का सबसे बड़ा सर्वे ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2018’ किया जाएगा। ये सर्वे, चार हज़ार से भी अधिक शहरों में लगभग 40 करोड़ आबादी में किया जाएगा। इस सर्वे में जिन तथ्यों का आकलन किया जाएगा उनमें हैं– शहरों में खुले में शौच से मुक्ति, कूड़े का कलेक्शन, कूड़े को उठा कर ले जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था, वैज्ञानिक तरीक़े से कूड़े की प्रोसेसिंग, व्यवहार परिवर्तन के लिए किए जा रहे प्रयास, कैपिसिटी बिल्डिंग और स्वच्छता के लिए किये गए नवीन प्रयास और इस काम के लिए जन-भागीदारी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सर्वे के दौरान, अलग-अलग दल जा करके शहरों का इंस्पेक्शन करेंगे। नागरिकों से बात करके उनकी प्रतिक्रिया लेंगे। स्वच्छता App के उपयोग का तथा विभिन्न प्रकार के सेवा-स्थलों में सुधार का एनालिसिस करेंगे। इसमें यह भी देखा जाएगा कि क्या ऐसी सारी व्यवस्था शहरों के द्वारा बनायी गई हैं, जिनसे शहर की स्वच्छता एक जन-जन का स्वभाव बने, शहर का स्वभाव बन जाए। स्वच्छता, सिर्फ़ सरकार करे ऐसा नहीं। हर नागरिक एवं नागरिक संगठनों की भी बहुत बड़ी ज़िम्मेवारी है और मेरी हर नागरिक से अपील है कि वे, आने वाले दिनों में जो स्वच्छता-सर्वे होने वाला है उसमें बढ़-चढ़ करके भाग लें और आपका शहर पीछे न रह जाए, आपका गली-मोहल्ला पीछे न रह जाए – इसका बीड़ा उठाएं।
श्री मोदी ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि घर से सूखा-कूड़ा और गीला-कूड़ा, अलग-अलग करके नीले और हरे डस्टबिन का उपयोग, अब तो आपकी आदत बन ही गई होगी। कूड़े के लिए रीड्यूस, री-यूज़ और री-साइकिल का सिद्धांत बहुत क़ारगर होता है। जब शहरों की रैंकिंग इस सर्वे के आधार पर की जाएगी- अगर आपका शहर एक लाख से अधिक आबादी का है तो पूरे देश की रैंकिंग में, और एक लाख से कम आबादी का है, तो क्षेत्रीय रैंकिंग में ऊंचे-से-ऊंचा स्थान प्राप्त करे, ये आपका सपना होना चाहिए, आपका प्रयास होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 4 जनवरी से 10 मार्च 2018, इस बीच होने वाले स्वच्छता-सर्वेक्षण में, स्वच्छता के इस स्वस्थ प्रतियोगिता में आप कहीं पिछड़ न जाएं – ये हर नगर में एक सार्वजनिक चर्चा का विषय बनना चाहिए और आप सबका सपना होना चाहिए, ‘हमारा शहर- हमारा प्रयास, ‘हमारी प्रगति-देश की प्रगति’। आइए, इस संकल्प के साथ हम सब फिर से एक बार पूज्य बापू का स्मरण करते हुए स्वच्छ-भारत का संकल्प लेते हुए पुरुषार्थ की पराकाष्ठा करें।

उन्होंने कहा कि 26 जनवरी हमारे लिए एक ऐतिहासिक पर्व है, लेकिन इस वर्ष 26 जनवरी 2018 का दिन विशेष रूप से याद रखा जाएगा। इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के लिए सभी दस आसियान देशों के नेता मुख्य अतिथि के रूप में भारत आएंगे। गणतंत्र-दिवस पर इस बार ‘एक’ नहीं बल्कि ‘दस’ मुख्य अतिथि होंगे। ऐसा भारत के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ है। 2017, आसियान के देश और भारत, दोनों के लिए ख़ास रहा है। आसियान ने 2017 में अपने 50 वर्ष पूरे किए और 2017 में ही आसियान के साथ भारत की साझेदारी के 25 वर्ष भी पूरे हुए हैं। 26 जनवरी को विश्व के 10 देशों के इन महान नेताओं का एक साथ शरीक़ होना हम सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है।

श्री मोदी ने कहा कि यह वर्ष गुरु गोविन्द सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व का भी वर्ष था। गुरु गोविन्द सिंह जी का साहस और त्याग से भरा असाधारण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। गुरु गोविन्द सिंह जी ने महान जीवन मूल्यों का उपदेश दिया और उन्हीं मूल्यों के आधार पर उन्होंने अपना जीवन जिया भी। एक गुरु, कवि, दार्शनिक, महान योद्धा, गुरु गोविन्द सिंह जी ने इन सभी भूमिकाओं में लोगों को प्रेरित करने का काम किया। उन्होंने उत्पीड़न और अन्याय के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। लोगों को जाति और धर्म के बंधनों को तोड़ने की शिक्षा दी। इन प्रयासों में उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत कुछ गंवाना भी पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी भी द्वेष की भावना को जगह नहीं दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन के हर-पल में प्रेम, त्याग और शांति का सन्देश- कितनी महान विशेषताओं से भरा हुआ उनका व्यक्तित्व था! ये मेरे लिए सौभाग्य की बात रही कि मैं इस वर्ष की शुरुआत में गुरु गोविन्द सिंह जी 350वीं जयन्ती के अवसर पर पटना साहिब में आयोजित प्रकाशोत्सव में शामिल हुआ। आइए, हम सब संकल्प लें और गुरु गोविन्द सिंह जी की महान शिक्षा और उनके प्रेरणादायी जीवन से सीख लेते हुए जीवन को ढालने का प्रयास करें।