अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या 70 प्रतिशत बढ़ी

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                         जीएसटी सहकारी संघवाद का आदर्श उदाहरण

एक जुलाई को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए एक वर्ष हो गए। जीएसटी लागू होने के एक साल के भीतर ही अप्रत्यक्ष करदाताओं का आधार 70 प्रतिशत बढ़ गया। इसके लागू होने से चेक-पोस्ट समाप्त हो गये। ई-वे (इलेक्ट्रॉनिक वे) प्रणाली को लागू किए जाने से देशभर में वस्तुओं की बाधामुक्त आवाजाही सुनिश्चित हुई। ‘एक राष्ट्र-एक कर’ का सपना साकार हुआ। व्यापार करने में सुगमता आई। जीएसटी से ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिला। इसके तहत कई प्रकार के करों को समावेशित किए जाने से अप्रत्यक्ष करों की एक समन्वित प्रणाली ने भारत को एक आर्थिक संघ बनाने का रास्ता प्रशस्त हुआ। सच तो यह है कि जीएसटी सहकारी संघवाद का आदर्श उदाहरण है।

जीएसटी को लागू किए जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था में रूपांतरकारी परिवर्तन आया। जीएसटी से बहु-स्तरीय, जटिल अप्रत्यक्ष कर संरचना की जगह एक सरल, पारदर्शी एवं प्रौद्योगिकी आधारित कर व्यवस्था अस्तित्व में आई। यह व्यवस्था अंतःराज्य व्यापार एवं वाणिज्य की बाधाओं को समाप्त कर भारत को एकल, एकसमान बाजार में बदल दिया।

निर्यातकों, छोटे व्यापारियों एवं उद्यमियों, कृषि एवं उद्योग, आम उपभोक्ताओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों को होने वाले लाभ की वजह से जीएसटी का अर्थव्यवस्था पर कई प्रकार से सकारात्मक प्रभाव पड़ा। यही नहीं, सरकार ने जीएसटी पोर्टल पर तकनीकी गड़बड़ियों के कारण करदाताओं को होने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए एक आईटी समस्या समाधान तंत्र विकसित किया।

मर्सिडीज, दूध पर नहीं लग सकता एक ही दर से कर: नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत सभी वस्तुओं पर एक ही दर से कर लगाने की अवधारणा को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मर्सिडीज कार और दूध पर एक ही दर से कर नहीं लगाया जा सकता।

श्री मोदी ने कहा कि जीएसटी के तहत सभी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत की एक समान दर से कर लगाने की कांग्रेस पार्टी की मांग को यदि स्वीकार किया जाता है तो इससे खाद्यान्न और कई जरूरी वस्तुओं पर कर बढ़ जायेगा।

श्री मोदी ने कहा कि जीएसटी समय के साथ बेहतर होने वाली प्रणाली है। इसे राज्य सरकारों, व्यापार जगत के लोगों और संबंध पक्षों से मिली जानकारी और अनुभवों के आधार इसमें लगातार सुधार किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह काफी आसान होता कि जीएसटी में केवल एक ही दर रहती, लेकिन इसका यह भी मतलब होगा कि खाद्य वस्तुओं पर कर की दर शून्य नहीं होगी। क्या हम दूध और मर्सिडीज पर एक ही दर से कर लगा सकते हैं?’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिये कांग्रेस के हमारे मित्र जब यह कहते हैं कि हमारे पास जीएसटी की केवल एक दर होनी चाहिये, उनके कहने का मतलब है कि वह खाद्य पदार्थों और दूसरी उपभोक्ता जिंसों पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाना चाहते हैं। जबकि वर्तमान में इन उत्पादों पर शून्य अथवा पांच प्रतिशत की दर से कर लगाया जा रहा है।’’

श्री मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से जहां 66 लाख अप्रत्यक्ष करदाता ही पंजीकृत थे, वहीं एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद इन करदाताओं की संख्या में 48 लाख नये उद्यमियों का पंजीकरण हुआ है।

जून 2018 के महीने में 95,610 करोड़ रुपये का जीएसटी राजस्व संग्रह

जून 2018 के महीने में 95,610 करोड़ रुपये का कुल सकल राजस्व संग्रह किया गया जिसमें से सीजीएसटी 15,968 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 22,021 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 49,498 करोड़ रुपये (आयातों पर संग्रहित 24,493 करोड़ रुपये सहित) एवं 8,122 करोड़ रुपये (आयातों पर संग्रहित 773 करोड़ रुपये सहित) हैं।

जून महीने में निपटान के बाद केंद्र सरकारों एवं राज्य सरकारों द्वारा अर्जित कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 31,645 करोड़ रुपये एवं एसजीएसटी के लिए 36,683 करोड़ रुपये है। वर्तमान महीने में 95,610 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह किया गया, जबकि पिछले महीने के दौरान यह राजस्व राशि 94,016 करोड़ रुपये थी। इसके अतिरिक्त, जून 2018 के महीने में 95,610 करोड़ रुपये का कुल सकल राजस्व संग्रह किया गया, जबकि पिछले वित वर्षों में जीएसटी संग्रह का मासिक औसत 89,885 करोड़ रुपये था।

जून, 2018 के महीने में, अतिरिक्त अस्थायी निपटान किया गया है और केंद्र एवं राज्यों के बीच 50,000 करोड़ रुपये का निपटारा किया गया है। कथित अस्थायी निपटान फरवरी, 2018 में किए गए 35,000 करोड़ रुपये के पहले के अस्थायी निपटान के अतिरिक्त किया गया है।