देश भर के 400 से अधिक साहित्यकारों ने दिया नरेन्द्र मोदी को अपना समर्थन

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भारतीय साहित्यकार संगठन की पहल पर भारतीय भाषाओं के 400 से अधिक साहित्यकारों ने लोकसभा चुनाव को लेकर देश के यशस्वी नेता श्री नरेन्द्र मोदी को अपना समर्थन दिया।
गत 20 अप्रैल को नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक पत्रकार-वार्ता में भारतीय साहित्यकार संगठन के अध्यक्ष श्री दयाप्रकाश सिन्हा एवं महामंत्री प्रो. कुमुद शर्मा ने यह जानकारी दी। पत्रकार-वार्ता को प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. नरेन्द्र कोहली, सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सूर्यकांत बाली और डॉ. अवनिजेश अवस्थी ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर प्रो. कुमुद शर्मा ने संगठन द्वारा जारी अपील का पाठ किया, जिसमें कहा गया है कि हम सभी साहित्यकार देशवासियों से अपील करते हैं कि आप अपना बहुमूल्य वोट देश की अखंडता, सुरक्षा, स्वाभिमान, संप्रभुता, सांप्रदायिक सद्भाव, सर्वांगीण विकास आदि को बनाए रखने के लिए दें। अपील में आगे आह्वान किया गया है कि अखिल विश्व में अपने भारतवर्ष को प्रतिष्ठित करने, राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध एवं अंतिम जन तक विकास की नई धारा प्रवाहित करनेवाले यशस्वी नेता श्री नरेन्द्र मोदी को अपना समर्थन दें। प्रो. शर्मा ने कहा कि सशक्त लोकतंत्र के लिए हम उन्हें चुनें जो नैतिक और पारदर्शी सरकार दे सकें। उन्होंने कहा कि वर्तमान नेतृत्व ने त्याग और तपस्या की मिसाल कायम करते हुए देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया है। हमें मौजूदा सरकार से बहुत उम्मीदें हैं।

हमारे विरोधी इकट्ठे हो रहे हैं। वे कहते हैं कि यहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। लेकिन सच यह है कि जितनी स्वतंत्रता यहां है, उतनी कहीं नहीं है। डॉ. कोहली ने साहित्य‍कारों का आह्वान करते हुए कहा कि आप किसको चुन रहे हैं, इसका ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि कलयुग में शक्ति संघ में होती है। आप देश की रक्षा के लिए नहीं लड़ते हैं तो अधर्म कर रहे हैं। हमें राष्ट्रीयता का पक्ष लेकर सात्विक व्यक्तित्व को चुनना होगा।

सुप्रसिद्ध साहित्य‍कार डॉ. अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि लोकतंत्र में वोट देना महत्त्वपूर्ण होता है। हमारा कर्तव्य है कि लोकतंत्र के महापर्व में नागरिक जागृत हों। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि झूठ का सहारा लिया जा रहा है। हम तथ्य और सत्य के साथ आगे बढ़ें और भारत के पक्ष में मतदान करें। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सूर्यकांत बाली ने स्त्री सम्मान का मुद्दा उठाते हुए पिछले तीन-चार दिनों में घटी तीन घटनाओं पर क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि आजमगढ़ में एक नेता द्वारा जयाप्रदा का अपमान किया गया, प्रियंका चतुर्वेदी का अपमान हुआ और प्रज्ञा ठाकुर के जो बयान सामने आए हैं वे रोंगटे खड़े करनेवाले हैं। डॉ. बाली ने सीता, द्रौपदी, दुर्गा से जुड़े प्रसंगों का उल्लेाख करते हुए कहा कि जब-जब स्त्री का अपमान हुआ है, तब-तब इसके प्रतिरोध के लिए समाज के अंदर नयी चेतना आई है।

उन्होंने कहा कि आज हमें यह तय करना है कि क्या स्त्री का अपमान करनेवाले को समर्थन देंगे या फिर उन्हें जिनकी दृष्टि है ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’। भारतीय साहित्यकार संगठन के अध्यक्ष श्री दयाप्रकाश सिन्हा ने कहा कि प्राचीन काल से साहित्यकारों ने इस देश की राष्ट्रीयता को पुष्ट‍ किया है। लेकिन कम्युटनिस्टों ने साहित्य का दुरुपयोग किया है, अनेक पुरस्कारों और कुचक्रों के माध्यिम से साहित्य का अहित किया। इस अभियान से संबंिधत विस्तृत जानकारी www.writers4india.com पर प्रस्तुत की गई है।