काले धन की लड़ाई में सबसे ज्यादा युवाओं ने साथ दिया: नरेंद्र मोदी

| Published on:

राष्ट्रीय युवा महोत्सव, रोहतक

प्रधानमंत्री ने युवाओं को 3-सी का मूल मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि युवा कलेक्टिविटी, कनेक्टिविटी और क्रिएटिविटी पर ध्यान दें, क्योंकि देश के युवा ही देश को नई दिशा दे सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा की ये धरती वेदों की है, उपनिषदों की है, गीता की है। ये वीरों की कर्म-वीरों की है, जय जवान-जय किसान की धरती है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 12 जनवरी को रोहतक में राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत युवाओं को युवा दिवस की शुभकामनाओं से की और इसके बाद स्वामी विवेकानंद के बताए गए मार्ग को युवाओं, उनके प्रदेश, देश और पूरी दुनिया के लाभकारी बताया। इस दौरान उन्होंने युवाओं का धन्यवाद किया और कहा कि कालेधन की लड़ाई में सबसे ज्यादा साथ देश के युवाओं ने दिया। श्री मोदी ने कहा देश की 80 करोड़ आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की आयु के युवाओं की है। उन्होंने कहा, ‘युवा डिजिटल इंडिया बनाने में सहयोग करें।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष राष्ट्रीय युवा महोत्सव का शुभांकर बेटी के रूप में चुना गया है। दुलार से इसे नाम दिया गया है ‘‘म्हारी लाडो’। इस महोत्सव के माध्यम से ‘‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’अभियान के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास बहुत ही सराहनीय है। हरियाणा से ही केंद्र सरकार ने ‘‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का इस क्षेत्र में बड़ा असर दिख रहा है। बदलाव की शुरुआत हुई है। सेक्स रेश्यो में काफी बदलाव आया है। पूरे देश के लिये ये बदलाव बढ़ रहा है। मैं हरियाणा के लोगों को इसके लिए खास तौर पर बधाई देता हूं। ये दर्शाता है कि जब लोग ठान लेते हैं तो असंभव भी संभव हो जाता है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही पूरे देश के लिये गौरवपूर्ण स्थिति हरियाणा निर्माण करके दिखाएगा।

यही नहीं, प्रधानमंत्री ने युवाओं को 3-सी का मूल मंत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि युवा कलेक्टिविटी, कनेक्टिविटी और क्रिएटिविटी पर ध्यान दें, क्योंकि देश के युवा ही देश को नई दिशा दे सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा की ये धरती वेदों की है, उपनिषदों की है, गीता की है। ये वीरों की कर्म-वीरों की है, जय जवान-जय किसान की धरती है। ये सरस्वती की पावन धरा है। अपनी संस्कृति, अपने मूल्यों को सहेजकर आगे बढ़ने का लगातार प्रयास, ये इस धरती से सीखा जा सकता है। श्री मोदी ने कहा कि आज राष्ट्रीय युवा दिवस है। स्वामी विवेकानंद जी की जन्म जयंती। मैं आप सभी के माध्यम से देश के हर नौजवान को इस विशेष दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। स्वामी विवेकानंद इस बात का सबसे उत्तम उदाहरण हैं कि अल्प अवधि में भी कितना कुछ हासिल किया जा सकता है। उनका जीवन बहुत कम समय का था। स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति के असीम प्रेरक हैं। स्वामी विवेकानंद कहते थे- हमारे देश को इस समय आवश्यकता है लोहे की तरह ठोस मांसपेशियों और मजबूत स्नायु वाले शरीरों की। आवश्यकता है इस तरह की दृढ़ इच्छा-शक्ति-संपन्न युवाओं की।

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ऐसे युवाओं का निर्माण करना चाहते थे, जिनमें बिना भेद-भाव के एक दूसरे के प्रति प्रेम व विश्वास हो। युवा वह होता है, जो बिना अतीत की चिंता किए अपने भविष्य के लक्ष्यों की दिशा में काम करता है। आप सभी युवा जो काम आज करते हैं, वही तो कल जाकर देश का भविष्य बन जाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश के 80 करोड़ से ज्यादा लोगों की आयु इस समय 35 वर्ष से कम है। स्वामी विवेकानंद के बताए मार्ग पर चलकर के आज भारत में एक ऐसे युग की शुरुआत करने की क्षमता है, जो विश्व गुरू बन सकता है।

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि इस बार राष्ट्रीय युवा महोत्सव की थीम है- यूथ फॉर डिजिटल इंडिया। इस महोत्सव के माध्यम से युवाओं को रोजमर्रा की जिंदगी में डिजिटल तरीके से लेन-देन की ट्रेनिंग दी जाएगी। मेरी इस महोत्सव में ट्रेनिंग लेने वाले हर युवा से अपील है कि जब वो यहां से ट्रेनिंग लेकर जाएं तो अपने आसपास के कम से कम 10 परिवारों को डिजिटल ट्रांजेक्शन करना सिखाएं। लेसकैश अर्थव्यवस्था बनाने में आप सभी युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है। देश को कालेधन और भ्रष्टाचार से मुक्त कराने की लड़ाई में ये आप लोगों का महत्वपूर्ण योगदान होगा।

श्री मोदी ने कहा कि हरियाणा के भविष्य को संवारने में यहां का युवा वर्ग एक बड़ी भूमिका निभा रही है। हरियाणा के युवा खिलाड़ियों ने अनेक अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक हासिल कर सदा-सर्वदा पूरे देश का मान बढ़ाया है। पूरे देश में विकास की नई बुलंदियों को छूने के लिए युवा शक्ति के और अधिक योगदान की आवश्यकता है। भारत का लक्ष्य अपने युवकों को, इस सदी को भारत की सदी बनाने के लिए क्षमताएं एवं कौशल प्रदान करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय युवा महोत्सव आप सभी को अपनी प्रतिभा के प्रर्दशन के लिए एक मंच प्रदान करता है। अलग-अलग सांस्कृतिक परिवेश से आए हुए आप सभी नौजवानों को यहां एक दूसरे को जानने का समझने का मौका मिलेगा। यही तो एक भारत-श्रेष्ठ भारत का वास्तविक अर्थ है।

श्री मोदी ने कहा कि एक भारत-श्रेष्ठ भारत एक प्रयास है देश की सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोने का। हमारे देश में भाषाएं भले अलग-अलग हों, खान-पान अलग-अलग हों, रहने का तरीका अलग-अलग हो, रीति-रिवाज अलग-अलग हों, लेकिन आत्मा एक ही है। उस आत्मा का नाम है – भारतीयता। और इस भारतीयता के लिये मैं और आप हम सब गर्व करते हैं।

उन्होंने कहा कि एक राज्य के नौजवान दूसरे राज्य के युवाओं से मिलेंगे तो उन्हें भी नया अनुभव होगा, एक दूसरे के प्रति सम्मान बढ़ेगा, समझ बढ़ेगी। लोग जब साथ रहते हैं, मिलते-जुलते हैं तो समझ आता है कि ये खान-पान और भाषाई अंतर सतही हैं। गहराई से देखें तो स्पष्ट होता है कि हमारे मूल्य, हमारी मानवीयता, हमारा दर्शन एक जैसा ही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष देश पंडित दीनदयाल उपाध्याय की शताब्दी मना रहा है। देश के नौजवानों के लिए पंडित जी का मंत्र था- चरैवति-चरैवति, चरैवति यानी चलते रहो, चलते रहो, रुकना नहीं है, थमना नहीं, राष्ट्र निर्माण के पथ पर चलते जाना है।

श्री मोदी ने  नौजवानों से कहा कि एक दूसरे से संपर्क करिए, सामूहिक जिम्मेदारी निभाना सीखिए और नए विचारों पर काम करिए। अपने नए विचारों को ये सोचकर समाप्त मत होने दीजिए कि ये तो बहुत छोटे हैं या फिर दूसरे लोग क्या कहेंगे। याद रखिए कि दुनिया में ज्यादातर बड़े और नए विचारों को पहले खारिज ही किया गया है। जो भी मौजूदा सिस्टम होता है, वो नए विचारों का विरोध करता है, लेकिन मुझे विश्वास है कि हमारे देश की युवाशक्ति के आगे ऐसा हर विरोध ठंडा पड़ जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से पचास से भी ज्यादा वर्ष पूर्व एकात्म मानववाद पर बोलते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जो कहा था, उसमें भी देश के युवाओं के लिए बड़ा संदेश है। दीन दयाल उपाध्याय जी ने राष्ट्र निर्माण और देश में मौजूद बुराइयों से लड़ने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था-

“हमें अनेक रूढ़ियां खत्म करनी होंगी। बहुत से सुधार करने होंगे, जो हमारे मानव का विकास और राष्ट्र की एकात्मता की वृद्धि में पोषक हों, वह हम करेंगे और जो बाधक हो, उसे हटाएंगे। ईश्वर ने जैसा शरीर दिया है, उसमें मीनमेख निकालकर अथवा आत्मग्लानि लेकर चलने की आवश्यकता नहीं है, पर शरीर में फोड़ा होने पर उसका ऑपरेशन तो आवश्यक है। सजीव और स्वस्थ अंगों को काटने की जरूरत नहीं है। आज यदि समाज में छुआछूत और भेदभाव घर कर गए हैं, जिसके कारण लोग मानव को मानव समझकर नहीं चलते और जो राष्ट्र की एकता के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं, हम उनको खत्म करेंगे”।

श्री मोदी ने कहा कि पंडित जी के ये आह्वान आज भी उतनी ही अहमियत रखता है। आज भी देश में छुआछूत है, भ्रष्टाचार है, कालाधन है, अशिक्षा है, कुपोषण है। इन सभी बुराइयों को खत्म करने के लिए देश के युवा को अपनी शक्ति झोंकनी होगी। अभी कुछ दिनों पहले सरकार ने कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई को जितना समर्थन मेरे नौजवान दोस्तों ने दिया है, वो इस बात का सबूत है कि समाज में व्याप्त बुराई को मिटाने की आप सभी में कितनी जबरदस्त इच्छाशक्ति है।