व्यापारियों और स्वरोजगार व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना की शुरुआत

| Published on:

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 12 सितंबर को रांची में व्यापारियों और स्वरोजगार व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना शुरू की। यह पेंशन योजना उन व्यापारियों (दुकानदारों/खुदरा व्यापारियों और स्वरोजगार में लगे व्यक्तियों) के लिए है जिनका वार्षिक कारोबार 1.5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है। झारखंड की राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, झारखंड के मुख्यमंत्री श्री रघुबर दास, जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

यह पेंशन योजना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूसरे कार्यकाल की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। वर्ष 2019-20 तक 25 लाख लाभार्थियों तथा 2023-2024 तक 2 करोड़ लाभार्थियों को इस योजना में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना से देश के लगभग 3 करोड़ व्यापारियों के लाभान्वित होने की उम्मीद है।

इस राष्ट्रव्यापी शुरुआत से इस योजना के तहत भावी लाभार्थियों के लिए नामांकन की सुविधा देश भर में स्थित 3.50 लाख कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा लोग www.maandhan.in/vyapari पोर्टल पर जाकर भी स्वयं नामांकन कर सकते हैं। पात्र व्यापारी इस योजना के तहत अपने नजदीकी सीएससी पर जाकर नामांकन करा सकते हैं।

नामांकन के समय लाभार्थी को अपना आधार कार्ड और बचत बैंक/जन-धन खाता पासबुक ले जाना आवश्यक है। लाभार्थी की आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। 40 लाख से अधिक वार्षिक व्यापार वाले व्यापारियों के लिए जीएसटीआईएन की जरूरत है। योजना के तहत लाभार्थियों के लिए नामांकन नि:शुल्क है। नामांकन स्व-प्रमाणन पर आधारित है।

सरकार ने व्यापरियों (दुकानदारों/खुदरा व्यापारियों और स्वरोजगार में लगे व्यक्तियों) के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए व्यापारियों और स्वरोजगार में लगे व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना को मंजूरी दी। यह 18 से 40 वर्ष की आयु के व्यापारियों के लिए एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है।

इसमें लाभार्थी की आयु 60 वर्ष होने पर न्यूनतम 3,000 रुपये मासिक पेंशन देने का प्रावधान है। लाभार्थी को आयकर दाता नहीं होना चाहिए तथा उसे ईपीएफओ/ईएसआईसी/एनपीएस (सरकार)/पीएम-एसवाईएम का सदस्य भी नहीं होना चाहिए।

इस योजना के तहत केंद्र सरकार का मासिक अंशदान में 50% योगदान होगा और शेष 50% अंशदान लाभार्थी द्वारा किया जाएगा। मासिक योगदान को कम रखा गया है। उदाहरण के लिए एक लाभार्थी को 29 वर्ष की आयु होने पर केवल 100 रुपये प्रति माह का छोटा सा योगदान करना आवश्यक है।