संसद ने पारित किया ऐतिहासिक ‘जीएसटी’ विधेयक

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राज्य सभा द्वारा 6 अप्रैल को ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पारित होते ही देश में एक नई सरल कर-प्रणाली का अध्याय शुरू हो गया। सच तो यह है कि जीएसटी आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार है। यह सरल कर प्रक्रिया को लागू करने पर जोर देता है और इस कर के ऊपर कोई कर नहीं लगता। जीएसटी राज्यों के बीच वस्तुओं की आवाजाही में मदद करता है और राजस्व में बढ़ोत्तरी के साथ साथ कर चोरी पर लगाम लगाता है। जीएसटी लागू होने के बाद व्यापार में आसानी होगी और लालफीताशाही में कमी आएगी।

राज्य सभा ने 6 अप्रैल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक से जुड़े चारों बिलों को मंजूरी दे दी। जीएसटी से जुड़े चार विधेयक हैं-केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी-जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई-जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी-जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017। गौरतलब है कि जीएसटी को लोकसभा को पहले ही (29 मार्च) पारित कर चुकी है। जीएसटी से जुड़े विधेयकों को पारित होने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों को बधाई दी। वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा बताया। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने भी नए टैक्स सिस्टम को ‹ऐतिहासिक› करार दिया। नयी कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को सुरक्षित रखा जायेगा। कृषि पर कर नहीं लगेगा। जिन खाद्य वस्तुओं पर फिलहाल शून्य कर है, जीएसटी में भी कर नहीं लगेगा।

वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दरें तय की गयी हैं। लक्जरी कारों, बोतल बंद सॉफ्ट ड्रिंक, तंबाकू उत्पाद जैसी अहितकर वस्तुओं एवं कोयला जैसी पर्यावरण से जुड़ी सामग्री पर इसके ऊपर सेस भी लगाने की बात है। 28 प्रतिशत से अधिक लगने वाला सेस मुआवजा कोष में जायेगा और जिन राज्यों को नुकसान हो रहा है, उन्हें इसमें से राशि दी जायेगी।

लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद सभी अन्य कर हटा दिए जाएंगे और इसके बाद सामान थोड़े सस्ते हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी अन्य कर जैसे राज्यों में प्रवेश कर को जीएसटी को लागू करने के बाद हटा दिया जाएगा।

उन्होंने कहा, “एक बार जब सभी किस्म के करों को हटा दिया जाएगा तो वस्तुएं थोड़ी सस्ती हो जाएंगी।” श्री जेटली ने कहा, “भारत आर्थिक रूप से अभी भी अलग-अलग इकाई बना हुआ है। राज्यों की सीमाओं पर कर चुकाने के इंतजार में ट्रकों की बड़ी-बड़ी लाइनें लगी होती हैं। यहां सामानों की मुक्त आवाजाही नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य पदार्थों पर कोई कर नहीं वसूला जाएगा।

उन्होंने कहा, “परिषद ने पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में शामिल करने का फैसला इसे लागू करने के एक साल बाद करेगी। फिलहाल सांविधानिक रूप से पेट्रोलियम पदार्थ जीएसटी के अंतर्गत हैं, लेकिन उन पर कर की दर शून्य रखी गई है। इसलिए जब परिषद इस पर जीएसटी के तहत कर लगाने का फैसला करती है, तो हमें संविधान संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी।”

श्री जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद पहली संघीय निर्णय करने वाली संस्था है। संविधान संशोधन के आधार पर जीएसटी परिषद को मॉडल कानून बनाने का अधिकार दिया गया। जहां तक कानून बनाने की बात है तो यह संघीय ढांचे के आधार पर होगा, वहीं संसद और राज्य विधान सभाओं की सर्वोच्चता बनी रहेगी। हालांकि इन सिफारिशों पर ध्यान रखना होगा, क्योंकि अलग अलग राज्य अगर अलग दर तय करेंगे तो अराजक स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। यह इसकी सौहार्दपूर्ण व्याख्या है और इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।