प्रधानमंत्री ने रखी संत कबीर अकादमी की आधारशिला

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 28 जून को उत्तर प्रदेश में संत कबीर नगर जिले के मगहर पहुंचे और महान संत एवं कवि कबीर दास की 500वीं पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने संत कबीर समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की और संत कबीर मजार पर चादर चढ़ाई। प्रधानमंत्री ने संत कबीर गुफा का भी दर्शन किए और संत कबीर अकादमी की आधारशिला की पहचान के रूप में एक पट्टिका का अनावरण किया। संत कबीर अकादमी महान संत के उपदेशों और विचारों को फैलाने पर जोर देगा।

इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री शिव प्रताप शुक्ला और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी भी मौजूद थे।

इस मौके पर जन सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मगहर की पवित्र भूमि पर महान संत कबीर को श्रद्धांजलि अर्पित करते ही मेरी वर्षों पुरानी इच्छा पूरी हो गई, यह वह जगह है, जहां संत कबीर, गुरू नानक और बाबा गोरखनाथ ने आध्यात्मिक चर्चा की थी। प्रधानमंत्री ने बताया कि 24 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला संत कबीर अकादमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय भाषाओं और लोक कलाओं के साथ ही संत कबीर की महान विरासत का संरक्षण करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संत कबीर भारत की आत्मा के सार का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि संत कबीर ने जाति के बंधनों का तोड़ा और आमजन की भाषा में अपनी बातें रखी। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि संत कबीर के उपदेश नये भारत के दृष्टि को आकार देने में मदद करेंगे।

संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि संत कबीर का जीवन, शब्द एवं कर्म ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन की तर्ज पर है। उन्होंने कहा कि संत कबीर की अतुलनीय विरासत ने समाज के सभी तबकों को एकजुट किया है और हम उनकी शिक्षाओं में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संदेश को आसानी से ग्रहण कर सकते हैं। उन्हें यह भी कहा कि संस्कृति मंत्रालय उन महान पुरुषों के जीवन और कर्मों पर अनेक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है, जिन्होंने भारत को एक महान राष्ट्र बनाया है।

 

इंडियन सोशल रेस्पोंसिबिलिटी नेटवर्क (आई.एस.आर.एन ) द्वारा पंडित दीन दयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित सतत विकास की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली का प्रलेखन और संकलन नामक शीर्षक का अध्ययन आरम्भ किया जा रहा है, जिसका प्रयोजन अंत्योदय आधारित सतत विकास के सफल कार्यप्रणाली को आदर्श के रूप में प्रोत्साहन और उसकी पुनरावृत्ति कर रहे अधिकाधिक संगठनों / संस्थानों / व्यक्तियों के कार्यों को लेखबद्ध करने और साझा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चिन्हित व एकत्र कर उन्हें संकलित करने का कार्य प्रारंभ किया गया है|
संगठनों / संस्थानों / व्यक्तियों से अनुरोध है कि “अंत्योदय” अर्थात “आखिरी पंक्ति के आखिरी व्यक्ति ( वंचित/ शोषित /प्रताड़ित) के उत्थान“ की संकल्पना पर आधारित व संचालित अपने कार्य की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों को साझा करें | इस सम्बन्ध में नियुक्त निर्णायक समिति द्वारा प्रमाणीकरण प्रक्रिया से चयनित सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों को इस अध्ययन की रिपोर्ट में सम्मिलित किया जायेगा, जो की राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित होगी|
इच्छुक संगठन/ संस्थान/व्यक्ति अधिक जानकारी के लिए लिंक https://goo.gl/forms/XaHXKRsKXFHSvKU72 को देखें व प्रारूप को भर कर अंतिम तिथि 30 अगस्त, 2018 तक भेजें |
यह अध्ययन रिपोर्ट आई.एस.आर.एन द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार को सौंपी जाएगी |