प्रधानमंत्री का हुनर हाट जैसे कार्यक्रमों में भाग लेने का अनुरोध

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 फरवरी को ‘मन की बात 2.0’ की 9वीं कड़ी को संबोधित करते हुए दिल्ली में आयोजित हुनर हाट से संबंधित अपने दौरे का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “कुछ दिन पहले दिल्ली में हुनर हाट में मैंने एक छोटी सी जगह में हमारे देश की विशालता, संस्कृति, परम्पराओं, खानपान और जज्बातों की विविधताओं के दर्शन किये। वहां प्रदर्शित पारंपरिक वस्त्र, हस्तशिल्प, कालीन, बर्तन, बांस और पीतल के उत्पाद, पंजाब की फुलकारी, आंध्र प्रदेश के शानदार चमड़े के काम, तमिलनाडु की खूबसूरत चित्रकारी, उत्तर प्रदेश के पीतल के उत्पाद, भदोही की कालीन, कच्छ के तांबे के उत्पाद, अनेक संगीत वादय यंत्र, अनगिनत बातें, समूचे भारत की कला और संस्कृति की झलक वाकई अनोखी ही थी।”

प्रधानमंत्री ने हुनर हाट में भाग लेने वाले शिल्पकारों की प्रेरणादायी कहानियां भी साझा कीं। उनमें से एक कहानी एक दिव्यांग महिला की थी। प्रधानमंत्री ने कहा, “उन्होंने मुझे बताया कि पहले वह फुटपाथ पर अपनी पेंटिंग बेचती थी, लेकिन हुनर हाट से जुड़ने के बाद उनका जीवन बदल गया। आज वह न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि उन्होंने खुद का एक घर भी खरीद लिया है।”

उन्होंने कहा कि हुनर हाट कला के प्रदर्शन के लिए एक मंच तो है ही साथ-ही-साथ यह लोगों के सपनों को भी पंख दे रहा है। उन्होंने कहा, “यह एक ऐसी जगह है जहां इस देश की विविधता की अनदेखी करना असंभव ही है। यहां शिल्पकला के अलावा भारत के खान-पान की विविधता भी प्रदर्शित की गई है।”

प्रधानमंत्री ने जनता से ऐसे कार्यक्रमों में सक्रिय रुप से भाग लेने का अनुरोध करते हुए कहा, “भारत के हर हिस्से में ऐसे मेले और प्रदर्शनियों का आयोजन होता रहता है। जब भी मौका मिले भारत को जानने के लिए, भारत को अनुभव करने के लिए इनमें जरुर जाना चाहिए। इस तरह आप न सिर्फ देश की कला और संस्कृति से जुड़ेंगे, बल्कि आप देश के मेहनती कारीगरों, विशेषकर महिलाओं की समृद्धि में भी अपना योगदान दे सकेंगे।”

भारतीय युवाओं में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि काफी बढ़ रही है

‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारे देश के युवाओं में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रति रुचि लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा, “जब मैं चंद्रयान-2 के समय बेंगलुरु में था, तो मैंने देखा था कि वहां उपस्थित बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। नींद का नाम-ओ-निशान नहीं था। एक प्रकार से वे पूरी रात जागते रहे। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को लेकर उनमें जो उत्सुकता थी, वो कभी हम भूल नहीं सकते हैं।”

‘मन की बात’ में आज इन विचारों को साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों और युवाओं के इसी उत्साह को बढ़ाने के लिए तथा उनमें वैज्ञानिक अभिरुचि को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में श्रीहरिकोटा से होने वाले रॉकेट लॉचिंग को देखने के लिए एक व्यवस्था शुरू की गई है। यह सुविधा सभी के लिए है और इसके लिए ऑनलाइन बुकिंग की जा सकती है। उन्होंने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों से आने वाले समय में इस सुविधा का अवश्य लाभ उठाने का आग्रह किया।

इस संदर्भ में उन्होंने युवाओं को विज्ञान से जोड़ने के लिए इसरो के ‘युविका’ कार्यक्रम की सराहना की। ‘युविका’ का मतलब- ‘युवा विज्ञानी कार्यक्रम’ है। यह कार्यक्रम 2019 में स्कूली छात्रों के लिए आरंभ किया गया था। यह कार्यक्रम हमारे विजन, ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ के अनुरूप है।

प्रधानमंत्री ने जैव-ईंधन से विमान उड़ाने की तकनीक को संभव बनाने के लिए सीएसआईआर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम, देहरादून के वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन वैज्ञानिकों के प्रयासों से ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को भी मजबूती मिली है।

उन्होंने कहा लेह के कुशोक बाकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट से जब 10 प्रतिशत इंडियन बायो-जेट ईंधन के मिश्रण के साथ भारतीय वायुसेना के एएन-32 विमान ने उड़ान भरी, तो एक नया इतिहास बन गया और ऐसा पहली बार हुआ जब दोनों इंजनों में इस मिश्रण का इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने कहा कि इस बायो-जेट ईंधन को नॉन-एडिबल ट्री बोर्न ऑयल से तैयार किया गया है। इसे भारत के विभिन्न आदिवासी इलाकों से खरीदा जाता है। इन प्रयासों से न केवल कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, बल्कि कच्चे-तेल के आयात पर भी भारत की निर्भरता कम हो सकती है।

भारत पूरे साल कई प्रवासी प्रजातियों का आशियाना बना रहता है

‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमें जो विरासत में दिया है, जो शिक्षा और दीक्षा हमें मिली है। प्रत्येक प्राणी के प्रति दया का भाव, प्रकृति के प्रति अपार प्रेम, ये सारी बातें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अंग हैं।

प्रवासी पक्षियों के लिए टिकाऊ पर्यावास का निर्माण करने के भारत के प्रयासों, जिनकी हाल ही में गांधीनगर में सम्पन्न ‘सीओपी- 13 सम्मेलन’ काफी सराहना की गई थी, का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत पूरे साल कई प्रवासी प्रजातियों का आशियाना बना रहता है। अलग-अलग इलाकों से पांच-सौ से भी ज्यादा किस्म के पक्षी यहां आते हैं।”

उन्होंने कहा कि आने वाले तीन वर्षों तक भारत प्रवासी प्रजातियों पर होने वाले ‘सीओपी सम्मेलन’ की अध्यक्षता करेगा। उन्होंने कहा कि इस अवसर को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए इन प्रयासों के बारे में जनता अपने सुझाव जरुर भेजें। उन्होंने मेघालय में पाई जाने वाली दुर्लभ प्रजाति की मछली का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘’हमारे आस-पास ऐसे बहुत सारे अजूबे हैं, जिनका अब तक पता नहीं लगाया गया हैं। इन अजूबों का पता लगाने के लिए खोजी जुनून जरुरी होता है।”

उन्होंने महान तमिल कवयित्री अव्वैयार को उद्धृत करते हुए कहा, “कट्टत केमांवु कल्लादरु उडगड़वु, कड्डत कयिमन अड़वा कल्लादर ओलाआडू।” इसका अर्थ है कि हम जो जानते हैं, वह महज़, मुट्ठी-भर रेत के समान है, लेकिन जो हम नहीं जानते हैं, वह अपने आप में पूरे ब्रह्माण्ड के समान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस देश की विविधता के साथ भी ऐसा ही है जितना जाने उतना ही कम है। उन्होंने कहा कि हमारी जैव विविधता पूरी मानवता के लिए अनोखा खजाना है जिसे हमें संजोना है, संरक्षित रखना है।

महा-शिवरात्रि के पर्व के लिए राष्ट्र को शुभकामना

प्रधानमंत्री ने हाल ही में देशभर में मनाए गए महा-शिवरात्रि के पर्व के लिए राष्ट्र को शुभकामनाएं अर्पित कीं। उन्होंने कहा ‘महा-शिवरात्रि पर भोले बाबा का आशीर्वाद आप पर बना रहे…आपकी हर मनोकामना शिवजी पूरी करें…आप ऊर्जावान रहें, स्वस्थ रहें…और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते रहें।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आने वाले दिनों में होली का भी त्योहार है और इसके तुरंत बाद गुड़ी-पड़वा भी आने वाला है। नवरात्रि का पर्व भी इसके साथ जुड़ा होता है। राम-नवमी का पर्व भी मनाया जाएगा। पर्व और त्योहार, हमारे देश में सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। हर त्योहार के पीछे कोई-न-कोई ऐसा सामाजिक संदेश छुपा होता है जो समाज को ही नहीं, पूरे देश को एकता में बांधकर रखता है।’

साथ ही, श्री मोदी ने बिहार की एक छोटी प्रेरणादायी कहानी का उल्लेख किया जो देश-भर के लोगों को प्रेरणा से भर देने वाली है। ये वो इलाका है जो दशकों से बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा है। ऐसे में, यहां, खेती और आय के अन्य संसाधनों को जुटाना बहुत मुश्किल रहा है। मगर इन्हीं परिस्थितियों में पूर्णिया की कुछ महिलाओं ने एक अलग रास्ता चुना।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पहले इस इलाके की महिलाएं, शहतूत या मलबरी के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकून तैयार करती थीं। जिसका उन्हें बहुत मामूली दाम मिलता था। जबकि उसे खरीदने वाले लोग, इन्हीं कोकून से रेशम का धागा बनाकर मोटा मुनाफा कमाते थे। लेकिन, आज पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तस्वीर ही बदलकर के रख दी। इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से, सहयोग से उत्पादन सहकारी संघों का निर्माण किया, रेशम के धागे तैयार किये और फिर उन धागों से खुद ही साड़ियां बनवाना भी शुरू कर दिया और अब बड़ी धनराशि अर्जित कर रही हैं।