मंत्रिपरिषद् में सभी वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व

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ह अत्यंत दुर्भाग्यजनक है कि कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों ने संसद के दोनों सदनों में हंगामा किया, जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अपने मंत्रिपरिषद् का परिचय करा रहे थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक ही कहा कि हाल ही में हुए मंत्रिपरिषद् विस्तार में महिला, पिछड़े, अनु.जा. एवं अनु.ज.जा. समुदाय को भारी प्रतिनिधित्व मिलना शायद विपक्ष को पच नहीं रहा है। ध्यान देने योग्य है कि मंत्रिपरिषद् विस्तार में 11 महिला मंत्री के अलावा पिछड़े वर्ग से 28 मंत्री, अनु.जा. वर्ग से 12 मंत्री, अनु.ज.जा. वर्ग से आठ मंत्री, अल्पसंख्यक समुदाय से पांच मंत्री एवं अन्य वर्गों से 29 मंत्रियों को स्थान मिला है। मोदी सरकार में अब देश के हर वर्गों का इंद्रधनुषी प्रतिनिधित्व तो दिखाई दे ही रहा है, साथ ही अब तक समाज के वंचित, पीड़ित एवं शोषित वर्गों को भी शासन में भागीदारी मिली है। अब तक के सबसे व्यापक प्रतिनिधित्व से युक्त यह मंत्रिपरिषद् विविधतापूर्ण एवं सर्व-समावेशी है। साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिभा एवं विशेषज्ञता से युक्त युवा एवं अनुभव का सम्मिश्रण इस मंत्रिपरिषद् में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसमंे पांच पूर्व मुख्यमंत्री, प्रदेशों के 23 पूर्व मंत्री, 38 पूर्व विधायक, 13 अधिवक्ता, छह चिकित्सक, पांच इंजीनियर, सात पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, सात पीएचडी, तीन एमबीए एवं 68 स्नातक हैं। इस मंत्रिपरिषद् में सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों से 25 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व है। इस प्रकार का समावेशी, प्रतिभा से परिपूर्ण, दक्ष एवं कार्यक्षम, युवा एवं अनुभवी एवं ‘नारी शक्ति’ से युक्त मंत्रिपरिषद् के सामने कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों का बुरी तरह से असहज होना स्वाभाविक ही है।

कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों का चेहरा हर दिन देश के सामने बेनकाब हो रहा है। एक ओर जहां कोविड-19 महामारी के विरुद्ध राष्ट्रीय संकल्प को कमजोर करने के लिए इन दलों ने लोगों के मन में संदेह एवं आशंका के बीज डालने के कुप्रयास किए, वहीं दूसरी ओर टीकाकरण अभियान में भी रोड़े डालना का कुचक्र किया। आज जब विश्व का सबसे बड़ा एवं सबसे तेज टीकाकरण अभियान हर दिन गति पकड़ रहा है, कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों की राजनीति का पर्दाफाश हो चुका है। 23 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार 43.87 करोड़ टीके पूरे देश में लोगों को लगाए जा चुके हैं। यह कोई नहीं भूल सकता कि कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों की राज्य सरकारें न केवल टीके उपलब्ध कराने में असफल रहीं, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए बहुमूल्य टीकों की बर्बादी का भी कलंक इनके माथे पर है। जब प्रदेश भाजपा सरकारें अपने राज्यों में निःशुल्क टीका देने का कार्य कर रही थीं तथा केंद्र सरकार 45+ आयुवर्ग के लोगों को निःशुल्क टीके उपलब्ध करा रही थी, गैर भाजपा-शासित राज्यों ने 18-44 आयुवर्ग के लिए टीका उपलब्ध कराने के अपने दायित्व से मुंह मोड़ लिया था। अंततः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 18-44 आयु वर्ग के लिए निःशुल्क टीकाकरण अभियान की घोषणा की जिसका परिणाम यह है कि पूरे देश में अब तेज गति से टीकाकरण अभियान चल रहा है। टीकों की उपलब्धता एवं गुणवत्ता पर संदेह का वातावरण बनाने वाला प्रोपगेंडा अब लोगों के सामने आ चुका है।

कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दल अब देश में अपना नैतिक आधार पूरी तरह से खो चुके हैं। जिस प्रकार से भाजपा कार्यकर्ताओं को तृणमूल कांग्रेस के गुंडों के द्वारा निशाना बनाया गया तथा लूट, हत्या, आगजनी एवं बलात्कार की घटनाएं हुईं, यह सब अब देश के सामने आ चुका है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार, इसका प्रशासन एवं गुंडों के कुकृत्य पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय को दी गई रिपोर्ट से ममता सरकार का लोकतंत्र-विरोधी, अमानवीय एवं बर्बर-चेहरा उजागर हुआ है। अब तक के सबसे भयावह चुनाव के बाद की हिंसा में भाजपा कार्यकर्ताओं पर राजनैतिक बदले की मानसिकता से कई प्रकार के हमले हुए एवं निरपराध लोग इस अमानवीय हिंसा, लूट एवं बलात्कार की भेंट चढ़ गए। कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों की इस विषय पर सोची-समझी चुप्पी उनके लोकतंत्र-विरोधी एवं अवसरवादी मानसिकता का परिचय देते हैं। देश कांग्रेस एवं इसके सहयोगी दलों को इस अपराधिक कृत्य के लिए कभी क्षमा नहीं करेगा।

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