कालाधन एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान विजय पथ पर अग्रसर

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जैसे–जैसे ‘रिफॉर्म, परफॉर्म एवं ट्रांसफॉर्म’ के परिणाम चमत्कारिक रूप से सामने आते जा रहे हैं, कांग्रेसनीत विपक्ष के लिए केंद्र की भाजपानीत राजग सरकार की कोई तर्कपूर्ण आलोचना प्रस्तुत करना कठिन होता जा रहा है। कालाधन एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठाये जा रहे हर कदम का विरोध कर कांग्रेस ने यह प्रमाणित कर दिया है कि वह अपने अतीत से कोई सबक नहीं लेना चाहती। कांग्रेस को यह याद रखना चाहिए कि जनता ने उसे सत्ता से बाहर का रास्ता इसलिए भी दिखाया है कि उसने कालाधन एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोई भी कदम उठाने से इंकार कर दिया था। इसके शासन में 12 लाख करोड़ से भी अधिक घपलों एवं घोटालों से भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई थी। यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर कालाधन पर एसआईटी की जांच नहीं बिठाया तथा कालेधन के कारोबारियों को अपने लूटे हुए धन को ठिकाने लगाने का सुनहरा अवसर दिया। अब भी इसे नोटबंदी तथा जीएसटी का विरोध करने में कोई शर्म नहीं, जिससे भारत में साफ–सुथरी अर्थव्यवस्था की नींव रखी जा रही है। इस सबका परिणाम देश में सकारात्मक वातावरण में देखा जा सकता है, जब सेंसेक्स रिकार्ड तोड़ छलांगें लगा रहा है। कांग्रेस तथा इसके सहयोगियों द्वारा 8 नवंबर, जब पिछले वर्ष इसी दिन प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐतिहासिक निर्णय लिया था, को ‘काला दिवस’ मनाने का ऐलान कर कालेधन के कारोबारियों तथा भ्रष्टाचारियों के प्रति अपना समर्थन खुलकर जता दिया है। इसकी कड़ी भर्त्सना की जानी चाहिए।

जबकि 8 नवंबर को पूरा देश ‘कालाधन विरोधी दिवस’ मना रहा है तब यह समझना भी आवश्यक है कि इस ऐतिहासिक कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है तथा पूरे विश्व का विश्वास अर्जित कर पाई है। एक ओर जबकि बाजार उठान पर है कई फर्जी कंपनियों को बंद किया जा चुका है और संदेहास्पद खातों की जांच की जा रही है। भारत अब ‘लेस कैश इकोनॉमी’ की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है तथा बैंक खातों में जमा धन अब व्यवस्था के प्रति जवाबदेह है। इससे देश के कर–आधार में जो व्यापक वृद्धि दर्ज हुई है वह अद्भुत है। करदाताओं की संख्या में भी जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। आतंकवाद–नक्सलवाद–माओवाद तत्वों के संसाधनों को भी गहरा धक्का लगा है, जो उनके गतिविधियों में भारी गिरावट से समझा जा सकता है। देश में बैंक ब्याज में जो कमी हुई है उससे देश के एक बड़े वर्ग को सीधा लाभ मिल रहा है। ‘रियल स्टेट’ बाजार जिसे काला धन खपाने का एक बड़ा माध्यम भ्रष्टाचारियों के द्वारा बना दिया गया था तथा जिस सेक्टर में कीमतें आसमान छू रही थीं, अब उस पर लगाम लग चुकी है तथा एक आम आदमी भी अपने लिए घर का सपना पूरा कर सकता है। एक जो सबसे बड़ा परिवर्तन गिनाया जा सकता है वह है भारत की साफ–सुथरी अर्थव्यवस्था में परिवर्तित होना तथा ‘सब चलता है’ की मानसिकता से निकलकर ‘हो सकता है’ की प्रवृत्ति का उदय होना है। इससे विश्व में भारत का कद बहुत ही बढ़ा है तथा भारत अब सम्मान के साथ देखा जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को अब अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप, पारदर्शी, उत्तरदायी और प्रभावी अर्थव्यवस्था के रूप में गिना जाने लगा है। कई प्रकार के संशय और आलोचना को पार करते हुए ‘नोटबंदी’ ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक परिदृश्य में उभरने का आधार तैयार कर दिया है।

एक ओर जहां नोटबंदी और जीएसटी का सकारात्मक प्रभाव अब महसूस किया जाने लगा है, ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की सूची में भारत ने 30 स्थानों की छलांग लगाकर एक बड़ी सफलता अर्जित की है। इस बात का ध्यान रखना होगा कि अभी ‘नोटबंदी एवं जीएसटी’ जैसे हाल के बड़े सुधारों को इस सर्वे में शामिल नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण के बाद से भारत इस तालिका में लगातार अपने स्थान का सुधार करता जा रहा था तथा पूर्व के वर्षों में 142 से 130 तक की यात्रा हो चुकी थी। प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि, कड़ी मेहनत एवं दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति के कारण 130 से 100 तक की छलांग को समीक्षक असाधारण उपलब्धि मान रहे हैं। कालाधन एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध जबरदस्त युद्ध छेड़कर प्रधानमंत्री ने देश के राजनैतिक नेतृत्व पर लोगों का विश्वास पुन: जगा दिया है तथा पूरे विश्व में भारत के उदय के प्रति अब लोग आश्वस्त दिख रहे हैं। कांग्रेस का बार–बार खोखले नारे लगाना अब उसे महंगा पड़ रहा है तथा उसका आधार अब काफी हद तक सिकुड़ चुका है। 2014 में किसी भी समीक्षक के लिये यह कहना कठिन था कि मात्र साढ़े तीन वर्षों में देश वापस पटरी पर आ जाएगा तथा कांग्रेस का इतना भयानक पतन होगा। आज जबकि सुधारों का विरोध करने वालों को जनता चुनाव–दर–चुनाव सबक सिखा रही है, प्रधानमंत्री द्वारा कालाधन एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान निरंतर विजयपथ पर अग्रसर हैं।

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