संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान जरूरी : नरेन्द्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन हेतु 9-10 जून को चीन के प्रमुख शहर किंगदाओ की सफल यात्रा की। भारत और पाकिस्तान के इस संगठन का पूर्ण सदस्य बनने के बाद यह पहला मौका है, जब भारतीय प्रधानमंत्री इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस संगठन को नाटो के समकक्ष माना जाता है। श्री मोदी के अलावा इस शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति श्री शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति श्री व्लादिमिर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति श्री हसन रुहानी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति श्री ममनून हुसैन भी शामिल हुए।

वर्ष 2001 में स्थापित इस संगठन के भारत के अलावा रूस, चीन, किर्गीज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान सदस्य हैं। एससीओ में अभी आठ सदस्य देश है जो दुनिया की करीब 42% आबादी और वैश्विक जीडीपी के 20% का प्रतिनिधित्व करता है।

शिखर सम्मेलन के अलावा प्रधानमंत्री श्री मोदी ने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से भी मुलाकात की। मुलाकात के दौरान श्री मोदी ने वुहान में श्री जिनपिंग के साथ हुई अनौपचारिक वार्ता को भी याद किया। श्री मोदी और श्री जिनपिंग ने 27-28 अप्रैल को वुहान अनौपचारिक वार्ता में किये गये फैसलों के क्रियान्वयन की प्रगति का जायजा भी लिया।

सिर्फ भौगोलिक जुड़ाव नहीं, बल्कि लोगों का लोगों से जुड़ाव होना चाहिए: नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 10 जून को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों से एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने तथा आर्थिक वृद्धि, संपर्क सुविधाओं के विस्तार तथा आपस में एकता के लिए काम करने का आह्वान किया।

एससीओ के 18वें शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने संक्षिप्त नाम ‘सिक्योर’ के रुप में एक नयी अवधारणा रखी। इसमें ‘एस’ से आशय नागरिकों की सिक्योरिटी (सुरक्षा), ‘ई’ से इकोनामिक डेवलपमेंट (आर्थिक विकास), ‘सी’ से क्षेत्र में कनेक्टिविटी, ‘यू’ से यूनिटी (एकता), ‘आर’ से रेसपेटक्ट पार सावेरिनिटी एंड इंटिग्रिटी (संप्रभुता और अखंडता का सम्मान) और ‘ई’ से तात्पर्य (एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन) पर्यावरण सुरक्षा है।

इस क्षेत्र में परिवहन गलियारों के माध्यम से संपर्क स्थापित करने के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि संपर्क का मतलब सिर्फ भौगोलिक जुड़ाव से नहीं है, बल्कि यह लोगों का लोगों से जुड़ाव भी होना चाहिए।

चीन की ‘एक क्षेत्र एक सड़क’ (ओबीओआर) परियोजना पर परोक्ष रुप से आक्षेप करते हुए श्री मोदी ने कहा, ‘‘भारत ऐसी हर परियोजना का स्वागत करता है जो समावेशी, मजबूत और पारदर्शी हो और जो सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती हो।”

उल्लेखनीय है कि भारत ओबीओआर का लगातार कड़ा विरोध करता रहा है, क्योंकि यह विवादित पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है।

श्री मोदी ने कहा, ‘‘हम एक बार फिर उस पड़ाव पर पहुंच गए है जहां भौतिक और डिजिटल संपर्क भूगोल की परिभाषा बदल रहा है। इसलिए हमारे पड़ोसियों और एससीओ क्षेत्र में संपर्क हमारी प्राथमिकता है।”

उन्होंने कहा कि भारत एससीओ के लिए हर तरह का सहयोग देना पसंद करेगा, क्योंकि यह समूह भारत को संसाधनों से परिपूर्ण मध्य एशियाई देशों से दोस्ती बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। अफगानिस्तान को आतंकवाद के प्रभावों का ‘दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण’ बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश में शांति के लिए जो साहसिक कदम उठाए हैं, क्षेत्र में सभी लोग इसका सम्मान करेंगे। उन्होंने इसी क्रम में ईद के मौके पर अफगानी नेता द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा का भी उल्लेख किया।

श्री मोदी ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन का जो भी सफल निष्कर्ष होगा, भारत उसके लिए अपना पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में केवल छह प्रतिशत एससीओ के सदस्य देशों से आते हैं और इसे आसानी से दोगुना किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी साझा संस्कृतियों के बारे में जागरुकता फैलाकर हम इसे (पर्यटकों की संख्या) आसानी से बढ़ा सकते हैं। हम भारत में एक एससीओ फूड फेस्टिवल और बौद्ध महोत्सव का आयोजन करेंगे।”

ब्रह्मपुत्र नदी का आंकड़ा साझा करने पर चीन राजी

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 9 जून को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर चीन के राष्ट्रपति श्री शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस दौरान दोनों नेताओं ने दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत चीन भारत को ब्रह्मपुत्र नदी का आंकड़ा देगा। साथ ही, भारत अब चीन को बासमती से अलग दूसरी किस्मों के चावल का भी निर्यात करेगा। समझौते के तहत चीन बाढ़ के मौसम में प्रति वर्ष 15 मई से 15 अक्तूबर के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी के जल से संबंधित आंकड़े भारत को देगा। अन्य मौसम के दौरान नदी का जल स्तर बढ़ने पर भी वह आंकड़े उपलब्ध कराएगा।