सरदार वल्लभ भाई पटेल

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(31 अक्टूबर 1875 – 15 दिसंबर, 1950)

सरदार वल्लभ भाई पटेल का उपनाम सरदार पटेल है। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875, नाडियाड गुजरात में हुआ था। सरदार पटेल बैरिस्टर और राजनेता थे। भारत की आज़ादी के बाद पहले तीन वर्ष तक वह उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी रहे। 1991 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया। दृढ़ व्यक्तित्व के लिए ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी ने उन्हें ‘सरदार’ और ‘लौह पुरुष’ की उपाधि दी।

जीवन-परिचय

सरदार पटेल का जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था। सरदार पटेल ने करमसद में प्राथमिक विद्यालय और पेटलाद स्थित उच्च विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उन्होंने अधिकांश ज्ञान स्वाध्याय से अर्जित किया। वक़ालत के पेशे में तरक्की करने के लिए कृतसंकल्प पटेल ने मिड्ल टेंपल के अध्ययन करने के लिए अगस्त 1910 में लंदन की यात्रा की। वहां उन्होंने मनोयोग से अध्ययन किया और अंतिम परीक्षा में उच्च प्रतिष्ठा के साथ उत्तीर्ण हुए। 1917 से 1924 तक सरदार पटेल ने अहमदनगर के पहले भारतीय निगम आयुक्त के रूप में सेवा प्रदान की और 1924 से 1928 तक वह इसके निर्वाचित नगरपालिका अध्यक्ष रहे। 1928 में पटेल ने बढ़े हुए करों के ख़िलाफ़ बारदोली संघर्ष का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।

बारदोली आन्दोलन के कुशल नेतृत्व के कारण उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि मिली और उसके बाद देश भर में राष्ट्रवादी नेता के रूप में उनकी पहचान बन गई। उन्हें व्यावहारिक, निर्णायक और यहां तक की कठोर भी माना जाता था तथा अंग्रेज़ उन्हें एक ख़तरनाक शत्रु मानते थे। बलपूर्वक आर्थिक और सामाजिक बदलाव लाने की आवश्यकता के बारे में सरदार पटेल जवाहरलाल नेहरू से असहमत थे। वह मुक्त उद्यम में यक़ीन रखते थे। मार्च 1931 में पटेल ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के करांची अधिवेशन की अध्यक्षता की। गृहमंत्री बनने के बाद भारतीय रियासतों के विलय की ज़िम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई। उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए लगभग छह सौ छोटी-बड़ी रियासतों का भारत में विलय कराया। सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ।