‘सशक्त आसियान से भारत को काफी लाभ मिलेगा’

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2 से 4 नवंबर के दौरान थाईलैंड के बैंकाक की यात्रा की। यहां पर श्री मोदी ने 16वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन, 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) की तीसरी शिखर बैठक में भाग लिया।

श्री मोदी ने 3 नवंबर को बैंकॉक में 16वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने 16वें भारत–आसियान का हिस्सा बनने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए थाईलैंड को धन्यवाद दिया और अगले वर्ष शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी लेने के लिए वियतनाम के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त कीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी भारत–प्रशांत रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने कहा कि आसियान एक्ट ईस्ट पॉलिसी का केन्द्र है। एक सशक्त आसियान से भारत को काफी लाभ मिलेगा। श्री मोदी ने भूतल, समुद्र, वायु एवं डिजिटल संपर्कता में सुधार लाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि भौतिक और डिजिटल संपर्कता में सुधार की दृष्टि से एक अरब डॉलर का भारतीय ऋण लाभदायक साबित होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष के यादगार शिखर सम्मेलन और सिंगापुर अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के निर्णयों के लागू होने से भारत और आसियान एक–दूसरे के निकट आए। भारत और आसियान के लिए परस्पर लाभदायक क्षेत्रों में सहयोग एवं साझेदारी बढ़ाने के लिए भारत इच्छुक है। उन्होंने कृषि, अनुसंधान, अभियंत्रण, विज्ञान और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने और क्षमता निर्माण के लिए दिलचस्पी दिखाई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत समुद्री सुरक्षा एवं नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहता है। उन्होंने भारत–आसियान एफ. टी. ए की समीक्षा के बारे में हाल के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी में सुधार होगा।

प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय बैठकों में हिस्सा लिया

म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सूची के साथ बैठक

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 3 नवंबर को म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सूची के साथ बैठक की। प्रधानमंत्री ने लुक ईस्ट नीति और पड़ोसी पहले की नीति के तहत भारत द्वारा म्यांमार को साझेदार देश के रूप में दी जाने वाली प्राथमिकता पर बल दिया। इस दिशा में उन्होंने म्यांमार के रास्ते दक्षिण-पूर्व एशिया तक सड़क, बंदरगाह और अवसंरचना निर्माण के माध्यम से भारत के वास्तविक संपर्क में सुधार लाने की भारत की निरंतर प्रतिबद्धता पर महत्व दिया।

उन्होंने कहा कि भारत, म्यांमार की पुलिस, सेना और लोक सेवकों साथ-ही-साथ छात्रों और नागरिकों की क्षमता में विस्तार के प्रति ठोस सहायता देना जारी रखेगा। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति प्रकट की कि जनता के बीच आपसी संपर्क से उनकी साझेदारी का आधार व्यापक बनेगा।
उन्होंने दोनों देशों के बीच वायु संपर्क के विस्तार तथा म्यांमार में भारत के बढ़ते कारोबारी हितों का स्वागत किया। इन कारोबारी हितों में नवंबर, 2019 के आखिर में भारत सरकार द्वारा यांगुन में सीएलएमवी देशों (कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम) के व्यापारिक आयोजन की मेजबानी की योजना शामिल है।

प्रधानमंत्री ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बैंकॉक में आसियान/ईएएस संबंधित बैठकों के दौरान 3 नवंबर को इंडोनेशिया के राष्ट्रपति महामहिम जोको विडोडो से मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक और बहुसंख्यक समाजों के रूप में भारत इंडोनेशिया के साथ प्रतिरक्षा, सुरक्षा, संपर्क, व्यापार और निवेश तथा लोगों का लोगों के साथ परस्पर विनिमय के क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह देखते हुए कि भारत और इंडोनेशिया करीबी समुद्री पड़ोसी हैं, दोनों नेताओं ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग पर अपना साझा विजन अर्जित करने हेतु शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों नेताओं ने चरमपंथ और आतंकवाद के खतरे पर चर्चा की और इस खतरे से निपटने के लिए द्विपक्षीय और वैश्विक स्तर पर घनिष्ठतापूर्वक काम करने पर सहमति व्यक्त की।

प्रधानमंत्री थाईलैंड के प्रधानमंत्री से मिले

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 03 नवंबर को थाईलैंड के प्रधानमंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) प्रयात चान-ओ-चा से मुलाकात की।

बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की और नोट किया कि सभी स्तरों पर नियमित उच्च स्तरीय बैठकों और विनिमयों ने संबंधों में सकारात्मक गति का सृजन किया है। प्रतिरक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग को देखते हुए दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योग क्षेत्र में सहयोग के अवसरों का पता लगाने के लिए सहमत जताई। पिछले वर्ष द्विपक्षीय व्यापार में हुई 20% की वृद्धि का स्वागत करते हुए दोनों नेताओं ने व्यापार अधिकारियों पर व्यापार और निवेश बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर चर्चा करने का दायित्व सौंपा।

प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की जिसमें वास्तविक और डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र शामिल हैं। दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच बढ़ते हवाई संपर्क और बैंकॉक और गुवाहाटी के बीच सीधी उड़ान शुरू करने तथा थाईलैंड के रानोंग बंदरगाह एवं कोलकाता, चेन्नई और विशाखापत्तनम के भारतीय बंदरगाहों के बीच सहयोग के लिए समझौतों को अंतिम रूप दिये जाने का स्वागत किया।

नेताओं ने पारस्परिक हितों के क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान से संबंधित बैठकों में शामिल होने के लिए उन्हें दिए गए निमंत्रण के लिए थाईलैंड के प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। साथ ही, उन्हें आसियान के अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व पर बधाई दी। उन्होंने इस संबंध को और मजबूत करने हेतु भारत-आसियान रणनीतिक साझेदारी के लिए देश समन्वयक के रूप में थाईलैंड के योगदान का सकारात्मक रूप से मूल्यांकन किया।

करदाताओं का उत्पीड़न रोकने के लिए भारत ने उठाये कई कदम: नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तीन नवंबर को कहा कि उनकी सरकार ने करदाताओं का उत्पीड़न रोकने के लिए कर संग्रह के क्षेत्र में कई बड़े कर सुधार किए हैं। पिछले पांच साल में उनकी सरकार द्वारा किए गए वित्तीय सुधारों का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि भारत में कर आकलन के दौरान करदाताओं का उत्पीड़न रोकने के लिये ऐसी व्यवस्था शुरू की गई है जिसमें करदाता और कर अधिकारी को आमने-सामने आने की जरूरत नहीं है।

थाइलैंड में आदित्य बिड़ला समूह के परिचालन की स्वर्ण जयंती के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अब भारत वैश्विक स्तर पर सबसे अनुकूल कर व्यवस्था वाला देश बन गया है, और इस प्रणाली में और सुधार लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने से देश में आर्थिक दृष्टि से एकीकरण हुआ है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इसे और अनुकूल बनाने के लिए काम कर रही है।
श्री मोदी ने कहा, ‘‘पिछले पांच साल के दौरान हमने मध्यम वर्ग से कर का बोझ काफी कम किया है। अब हम ऐसी कर व्यवस्था शुरू कर रहे हैं जिसमें करदाता और कर अधिकारी का आमना सामना नहीं होगा, जिससे करदाता के किसी तरह के उत्पीड़न की गुंजाइश समाप्त होगी।

श्री मोदी ने कहा, ‘‘आज के भारत में मेहनत से काम करने वाले करदाता के योगदान को सराहा जाता है। एक ऐसा क्षेत्र जहां हमने काफी काम किया है, वह है कराधान। मुझे खुशी है कि आज भारत में दुनिया की सबसे अनुकूल कर व्यवस्था है। हम इसमें और सुधार करने को प्रतिबद्ध हैं।” अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कॉरपोरेट कर में कटौती का भी जिक्र किया।