आमजन के हितचिंतक भैरोंसिंह शेखावत

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               (23 अक्टूबर 1923 – 15 मई 2010)

श्रीभैरोंसिंह शेखावत भारत के ग्यारहवें उपराष्ट्रपति और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री थे। वे राजस्थान के राजनीतिक क्षितिज पर लम्बे समय तक छाये रहे। राजस्थान की राजनीति में उनका गहरा प्रभाव था। श्री शेखावत 1952 में विधायक बने। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अनेक सफलताएं अर्जित करते हुए वे विपक्ष के नेता, फिर मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति बने। श्री शेखावत जनसंघ के प्रारंभिक काल से ही जुड़ गये और ‘जनता पार्टी’ तथा ‘भाजपा’ की स्थापना में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।

श्री भैरोंसिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर, 1923 को सीकर (राजस्थान) में हुआ। इनके पिता का नाम श्री देवी सिंह और माता श्रीमती बन्ने कंवर थीं। श्री शेखावत ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव की पाठशाला में ही प्राप्त की। हाईस्कूल करने के पश्चात् उन्होंने जयपुर के ‘महाराजा कॉलेज’ में प्रवेश लिया। उन्होंने पुलिस की नौकरी भी की, लेकिन उसमें मन नहीं रमा और त्यागपत्र देकर खेती करने लगे।

वर्ष 1952 में वे 10 रुपये उधार लेकर दाता रामगढ़ से चुनाव के लिए खड़े हुए। इस चुनाव में वे विजयी हुए। इस सफलता के बाद उनका राजनीतिक सफर लगातार चलता रहा। वे 10 बार विधायक, 1974 से 1977 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। अपने लम्बे राजनीतिक सफर में श्री शेखावत 1977 से 1980, 1990 से 1992 और 1993 से 1998 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे और 2002 में भारत के उपराष्ट्रपति बने। श्री शेखावत का निधन 15 मई 2010 को हुआ।

आजीवन राष्ट्रहित में काम करने वाले जननेता शेखावत जी ग़रीबों के सच्चे सहायक थे। उन्होंने कहा कि मैं ग़रीबों और वंचित तबके के लिए काम करता रहूंगा, ताकि वे अपने मौलिक अधिकारों का गरिमापूर्ण तरीके से इस्तेमाल कर सकें।