साकार हो रहे गरीबों के सपने

| Published on:

नरेन्द्र सिंह तोमर

त्तर प्रदेश में सिद्धार्थ नगर जिले के एक गांव में अमरावती अपने बच्चों के साथ झोपड़ी में रह रही थीं। वह गांव में मजदूरी से होने वाली आमदनी से अकेले ही घर का खर्च चलाया करती थीं। मानसून में उनकी झोपड़ी में बारिश का पानी टपकना आम था। इस दौरान खाना बनाने के लिए सूखी लकड़ी भी कठिनाई से मिलती थी। ऐसे में वह कई बार काम के अवसर भी खो देती थीं। अमरावती के लिए इस तरह की कठिनाइयों के बीच गरिमापूर्ण जीवन बिताना कल्पना से बाहर की बात थी। यह कहानी अकेले अमरावती की ही नहीं है, ऐसे कई लोग और परिवार हैं जिनके लिए पक्के मकान में गरिमापूर्ण जीवन जीने का सपना भी दुर्लभ था।

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का सफल क्रियान्वयन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत अमरावती एवं उनके जैसे 87 लाख से अधिक परिवार जरूरी सुविधाओं से युक्त आवास पाकर आज गरिमापूर्ण जीवन जी रहे हैं। यह सब प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के सफल क्रियान्वयन से संभव हो पाया है।

गरिमापूर्ण जीवन के लिए मूलभूत सुविधाएं होना जरूरी

शौचालय, एलपीजी सिलेंडर के साथ बिजली और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ पक्के मकान की उपलब्धता गरिमापूर्ण जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसके लिए पूर्व की इंदिरा आवास योजना का पुनर्गठन कर उसे एक अप्रैल, 2016 से प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का स्वरूप दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश में आगरा से 20 नवंबर, 2016 को इसका शुभारंभ किया। इसका तात्कालिक उद्देश्य 2016-17 से 2018-19 के बीच पहले चरण के अंतर्गत एक करोड़ मकानों का निर्माण करना था। बाकी एक करोड़ 95 लाख मकानों को दूसरे चरण के अंतर्गत वर्ष 2019-20 से 2021-22 के बीच पूरा करने का लक्ष्य है। सभी राज्य सरकारों की भागीदारी से ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अब तक 87 लाख से अधिक आवासों का निर्माण पूरा कर लिया है।

बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के मकान होने से चिंताओं से मुक्ति मिलती है

यह सच है कि पानी, रसोई गैस, शौचालय और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के मकान का होना किसी भी परिवार का आत्मसम्मान बढ़ाता है, क्योंकि इससे उस परिवार को दिन-प्रतिदिन की चिंताओं से मुक्ति मिल जाती है। वह अधिक समय आर्थिक गतिविधियों के लिए निकाल पाता है। परिणामस्वरूप उस परिवार को और अधिक आर्थिक एवं सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त हो जाती है। नवनिर्मित मकानों से लोगों के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार आता है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत हम ये मूलभूत सुविधाएं भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के साथ तालमेल के जरिये उपलब्ध करा रहे हैं।

सत्यापन प्रक्रिया के तहत लाभार्थियों की पहचान की गई

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सबसे पहले सरकार ने आवास विहीनता के मानदंडों पर आधारित सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना-2011 के जरिये लाभार्थियों की पहचान करने का निर्णय लिया। इसके बाद ग्राम सभा स्तर पर सत्यापन प्रक्रिया अपनाई गई। इससे इस योजना के लाभार्थियों के चयन और स्थाई प्रतीक्षा सूची में पूर्ववर्ती क्रम के अनुसार मकानों के आवंटन में पारदर्शिता लाने में मदद मिली।

लाभार्थियों के खातों में धनराशि को भेजने से भ्रष्टाचार रुका

सरकार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थियों के खातों में धनराशि को सीधे भेजने से भ्रष्टाचार रोकने में भी सफल हुई है। इस योजना में निगरानी प्रक्रिया साक्ष्य-आधारित है। भुगतान करने से पहले आवास एप के जरिये निर्माण के पूर्व निर्धारित स्तरों के चित्र लिए जाते हैं। फिर इन जियो टैग्ड चित्रों को समय और तारीख के साथ आवाससॉफ्ट पर अपलोड किया जाता है। ये विवरण सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं। इससे वित्तीय अनुशासन कायम हुआ है। हम घर बैठे देश के किसी कोने में निर्मित हो रहे आवास की वास्तविक प्रगति से अवगत हो सकते हैं।

मकानों के निर्माण में तेजी आई

इस योजना में एक अन्य महत्वपूर्ण पहल प्रत्येक राज्य/संघ शासित क्षेत्र में एकल नोडल खाता खोलने और संचालित करने की भी रही। पलानी ग्रामीण आवास योजना में राज्य, जिला, ब्लॉक और उप-ब्लॉक के स्तर पर विभिन्न खाते होते थे। उनमें अनावश्यक रूप से पैसे पड़े रहते थे। पात्र लाभार्थियों को फंड जारी नहीं हो पाते थे। नतीजतन मकान निर्माण में देरी होती थी। एकल नोडल खाता प्रणाली से इस समस्या का समाधान हो गया है। इस खाते से राज्य के किसी भी हिस्से में लाभार्थी के खाते में धनराशि सीधे भेजी जा सकती है। इससे धनराशि का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित हुआ है और मकानों के निर्माण में तेजी आई है।

प्रशिक्षित व्यक्तियों को रोजगार मिलने के अवसर भी बढ़े

ग्रामीण क्षेत्रों में मकानों की गुणवत्ता के मुद्दे से निपटने और ग्रामीण आवास के निर्माण की सभी जरूरतों को एक ही जगह पर पूरा करने के उद्देश्य से ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत न केवल राजमिस्त्री से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है, बल्कि बार-बेंडिंग और शटरिंग इत्यादि का काम भी सिखाया जाता है। इससे इन प्रशिक्षित व्यक्तियों को रोजगार मिलने के अवसर भी बढ़े हैं। इस कार्यक्रम के तहत कुल 53,370 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित एवं प्रमाणित भी किया जा चुका है। प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग से मकान का निर्माण पूरा करने में लगने वाले दिनों की औसत संख्या भी घटी है।

आवास प्लस मोबाइल एप पर पात्र उम्मीदवारों की सूची को अपडेट किया जाता है

2015-16 में किसी मकान का निर्माण कार्य पूरा होने में औसतन 314 दिन लगते थे जो वर्ष 2017-18 में घटकर 114 दिन रह गए। इससे वार्षिक आधार पर पूरे किए जाने वाले मकानों की संख्या में वृद्धि हुई है। इस महत्वाकांक्षी योजना के पहले चरण के क्रियान्वयन के दौरान सरकार को ऐसे परिवारों के बारे में पता चला जो संभवत: पात्र हैं, लेकिन वे स्थाई प्रतीक्षा सूची में किसी कारण शामिल नहीं हो पाए। ऐसे छूटे हुए परिवारों का विवरण दर्ज करने के लिए आवास प्लस मोबाइल एप विकसित किया गया। इनसे मिले आंकड़ों के आधार पर पात्र उम्मीदवारों की सूची को अपडेट किया जा रहा है।

मोदी सरकार 2022 तक करेगी गरीबी मुक्त नए भारत का सपना पूरा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार वर्ष 2022 तक गरीबी मुक्त नए भारत का सपना पूरा करने जा रही है और इसी कड़ी में ग्रामीण विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के माध्यम से हर पात्र लाभार्थी को मार्च, 2022 तक सभी बुनियादी सुविधाओं से युक्त आवास उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्प है।

                                                        ( लेखक केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री हैं)
(साभार दैनिक जागरण)