आज देश में सामान्य व्यक्ति भी बिना सिफ़ारिश के ऊपर पहुंच सकता है : नरेंद्र मोदी

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी को वर्ष 2018 के प्रथम ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान कहा कि इन दिनों पद्म-पुरस्कारों के संबंध में काफी चर्चा आप भी सुनते होंगे। अख़बारों में भी इस विषय में T.V. पर भी इस पर ध्यान आकर्षित होता है, लेकिन थोड़ा अगर बारीकी से देखेंगे तो आपको गर्व होगा। गर्व इस बात का कि कैसे-कैसे महान लोग हमारे बीच में हैं और स्वाभाविक रूप से इस बात का भी गर्व होगा कि कैसे आज हमारे देश में सामान्य व्यक्ति बिना किसी सिफ़ारिश के उन ऊंचाइयों तक पहुंच रहें हैं। हर वर्ष पद्म-पुरस्कार देने की परम्परा रही है, लेकिन पिछले तीन वर्षों में इसकी पूरी प्रक्रिया बदल गई है।

श्री मोदी ने कहा कि अब कोई भी नागरिक किसी को भी नॉमिनेट कर सकता है। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाने से पारदर्शिता आ गई है। एक तरह से इन पुरस्कारों की चयन-प्रक्रिया का पूरा रूपांतरण हो गया है। आपका भी इस बात पर ध्यान गया होगा कि बहुत सामान्य लोगों को पद्म-पुरस्कार मिल रहे हैं। ऐसे लोगों को पद्म-पुरस्कार दिए गए हैं, जो आमतौर पर बड़े-बड़े शहरों में, अख़बारों में, टी.वी. में, समारोह में नज़र नहीं आते हैं। अब पुरस्कार देने के लिए व्यक्ति की पहचान नहीं, उसके काम का महत्व बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्राचीन काल से हमारे देश में महिलाओं का सम्मान, उनका समाज में स्थान और उनका योगदान पूरी दुनिया को अचंभित करता आया है। भारतीय विदुषियों की लम्बी परम्परा रही है। वेदों की ऋचाओं को गढ़ने में भारत की बहुत-सी विदुषियों का योगदान रहा है। लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी न जाने कितने ही नाम हैं। आज हम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात करते हैं, लेकिन सदियों पहले हमारे शास्त्रों में,स्कन्द-पुराण में,कहा गया है:-

दशपुत्र, समाकन्या, दशपुत्रान प्रवर्धयन्।
यत् फलं लभतेमर्त्य, तत् लभ्यं कन्यकैकया।।

अर्थात, एक बेटी दस बेटों के बराबर है। दस बेटों से जितना पुण्य मिलेगा एक बेटी से उतना ही पुण्य मिलेगा। यह हमारे समाज में नारी के महत्व को दर्शाता है और तभी तो, हमारे समाज में नारी को ‘शक्ति’ का दर्जा दिया गया है।

श्री मोदी ने कहा कि यह नारी शक्ति पूरे देश को, सारे समाज को, परिवार को, एकता के सूत्र में बांधती है। चाहे वैदिक काल की विदुषियां लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी की विद्वता हो या अक्का महादेवी और मीराबाई का ज्ञान और भक्ति हो, चाहे अहिल्याबाई होलकर की शासन व्यवस्था हो या रानी लक्ष्मीबाई की वीरता, नारी शक्ति हमेशा हमें प्रेरित करती आयी है। देश का मान-सम्मान बढ़ाती आई है।

उन्होंने कहा कि हमारी नारी-शक्तियों ने समाज की रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए असाधारण उपलब्धियां हासिल की, एक कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने ये दिखाया कि कड़ी मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प के बल पर तमाम बाधाओं और रुकावटों को पार करते हुए एक नया मार्ग तैयार किया जा सकता है। एक ऐसा मार्ग जो सिर्फ अपने समकालीन लोगों को ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा। उन्हें एक नये जोश और उत्साह से भर देगा।

श्री मोदी ने कहा कि 30 जनवरी को पूज्य बापू की पुण्य-तिथि है, जिन्होंने हम सभी को एक नया रास्ता दिखाया है। उस दिन हम ‘शहीद दिवस’ मनाते हैं। उस दिन हम देश की रक्षा में अपनी जान गवां देने वाले महान शहीदों को 11 बजे श्रद्दांजलि अर्पित करते हैं। शांति और अहिंसा का रास्ता, यही बापू का रास्ता। चाहे भारत हो या दुनिया, चाहे व्यक्ति हो परिवार हो या समाज-पूज्य बापू जिन आदर्शों को ले करके जिए, पूज्य बापू ने जो बातें हमें बताई, वे आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। वे सिर्फ कोरे सिद्दांत नहीं थे। वर्तमान में भी हम डगर-डगर पर देखते हैं कि बापू की बातें कितनी सही थीं। अगर हम संकल्प करें कि बापू के रास्ते पर चलें -जितना चल सके, चलें- तो उससे बड़ी श्रद्दांजलि क्या हो सकती है?