नए भारत की ओर

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गोवा और मणिपुर के पश्चात् भाजपा सरकारों ने उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में भी अपना दायित्व संभाल लिया है। आदित्यनाथ योगी ने उत्तर प्रदेश तथा त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। इन प्रदेशों में  भ्रष्टाचार, कुशासन एवं अकर्मण्यता का युग समाप्त हो चुका है तथा लोग अब भाजपा सरकारों की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। भाजपा सरकारों ने अपने सकारात्मक पहलों से भविष्य के लिए शुभ संकेत दिये हैं और लोग परिवर्तन का अनुभव कर भी रहे हैं। अखिलेश सरकार के फरार मंत्री गायत्री प्रजापति जिसे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद पकड़ा नहीं जा सका था, सरकार बदलते ही तुरन्त गिरफ्तार कर लिया गया। पूरी सरकारी मशीनरी में नया आत्मविश्वास जगा है और सरकारी कार्यकलापों में गंभीरता दिखाई पड़ रही है। केवल सरकार बदलने से सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों मंे भय या पक्षपात के बिना कार्य करने का संदेश गया है और वे बदली हुई राजनैतिक व्यवस्था में अपना कर्तव्य निभाने के लिए तत्पर हैं। हर क्षेत्र में कार्य-संस्कृति में व्यापक परिवर्तन दिखाई देने लगा है।

विधानसभा के इन चुनावों ने हर राजनैतिक दल को महत्वपूर्ण संदेश दिये हैं। जिस प्रकार का प्रचंड जनादेश जनता ने दिया है उससे अब कोई संदेह नहीं रह जाता कि विकासपरक कार्य करने की क्षमता रखने वाली तथा दूरदृष्टिपूर्ण नेतृत्व में घिसी-पीटी लीक से हटकर निर्णय ले सकने वाली सरकारें अब जनता चाहती है। समाज को जाति-मजहब तथा क्षेत्रीयता में बांटकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने की कांग्रेस-सपा-बसपा की आदत उन पर भारी पड़ी है। इनके खोखले नारों में  लिपटी हुई विभानजकारी राजनीति को जनता ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। भाजपा पर हमला करने के लिए झूठ एवं फरेब की राजनीति तथा केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को जबरदस्ती नकारने के कारण इनकी इतनी करारी हार हुई है। हर क्षेत्र में भयानक नाकामियों के बावजूद जिस प्रकार अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा अखिलेश सरकार ने पीटना चाहा उससे क्षुब्ध होकर जनता ने सपा को उत्तर प्रदेश में बुरी तरह से धूल चटा दी। इसी प्रकार से उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार के भ्रष्टाचार एवं मणिपुर में कांग्रेस की नाकामियां इनकी हार के कारण बने। कांग्रेस-सपा-बसपा को जनता ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब समाज में तोड़-फोड़ करके तथा भय एवं संदेह का वातावरण बनाकर वे चुनाव नहीं जीत सकते। साथ ही नकारात्मक राजनीति तथा केवल भाजपा विरोध से वे जनता द्वारा निरंतर भारतीय राजनीति के हाशिये पर धकेले जाते रहेंगे, लेकिन इसमें भी किसी को संदेह नहीं की कांग्रेस तथा इसके सहयोगी दल इस जनादेश से कोई सबक ले पाने की भी स्थिति में अब नहीं बचे।

इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय राजनीति में  विकास एवं सुशासन की राजनीति शुरू करने का श्रेय भाजपा को जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करिश्माई एवं दूरदृष्टिपूर्ण नेतृत्व में पार्टी को भारी जनविश्वास मिला है तथा नये भारत का लक्ष्य राष्ट्रीय जीवन को एक नई प्रेरणा दे रहा है। प्रचंड जनादेश के सामने विपक्ष इतना हताश हो गया है कि अब इवीएम मशीनों को इसके लिए जिम्मेदार बता रहा है। इतना भारी जनादेश विरोधियों के लिए अकल्पनीय है तथा अब वे पूरी तरह बेबस दिखाई दे रहे हैं। यह कार्यकुशलता, ईमानदारी, प्रामाणिकता, प्रतिबद्धता एवं लक्ष्य के प्रति अटूट श्रद्धा की ही शक्ति है कि भाजपा के विरोधियों को जनता हर बार पहले से भी अधिक करारा जवाब दे रही है। परिवर्तन का जादू जो पूरे देश में गरीब, किसान, पिछड़े, दलित, जनजाति, वंचित, युवा एवं महिला के लिए चल रहे अनगिनत कार्यक्रमों के द्वारा चल रहा है उससे हरेक व्यक्ति के मन में एक विकसित एवं वैभवपूर्ण भारत के लिये आकांक्षा प्रबल हुई है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ठीक ही कहा है कि परफाॅरमेंस एवं विकास की राजनीति देश के एजेण्डे पर होना चाहिए। इस प्रचंड जनादेश को अमित शाह ने पहले ही भांप लिया था तथा विरोधियों के इसे मोदी सरकार की उपलब्धियों पर रेफरेंडम मानने की चुनौती को खुलकर स्वीकार किया था। इन विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत से देश में विकास एवं परफाॅरमेंस की राजनीति मजबूत हुई है और यह देश के भविष्य के लिए एक शुभ संदेश है।

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