समरस समाज की ओर

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अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक संसद में पारित हो गया। साथ ही लम्बे समय से अटका राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग विधेयक भी पारित हो गया। ये कदम इस बात को स्पष्ट करते हैं कि मोदी सरकार ‘साफ नीयत एवं सही विकास’ वाली सरकार है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र समाज के कमजोर एवं वंचित वर्गों के सामाजिक–आर्थिक विकास के साथ–साथ एक समरस समाज के निर्माण के लिए सामाजिक न्याय, सामाजिक सुरक्षा एवं समान अवसर के सिद्धांतों को भी सुनिश्चित करता है।

अ.जा./ज.जा. (अत्याचार निवारण) विधेयक पर सर्वोच्च न्यायालय के हाल के निर्णय से एक अनिश्चय के वातावरण का निर्माण हुआ। यह विधेयक जिन परिस्थितियों में 1989 में पारित हुआ था, उनमें आज भी कोई व्यापक सुधार नहीं हुआ है। सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर करने पर भी इस विधेयक पर अनश्चितता बनी हुई थी तथा यह आवश्यक हो गया था कि संसद इस कानून में संशोधन करने के लिये अपनी विधायी शक्तियों का प्रयोग करे। देश में बने लगभग सभी कानूनों का दुरुपयोग एक समस्या तो है ही, परन्तु इसके आधार पर कानूनों को नहीं बनाना, उन्हें कमजोर करना या निरस्त करना भी कोई स्वस्थ समाधान नहीं माना जा सकता। अनु.जा./ज.जा. (अत्याचार निवारण) कानून देश में एक विशेष सामाजिक पृष्ठभूमि में बनाया गया था, क्योंकि सामान्य कानून से इन वर्गों को राहत पहुंचाना कठिन प्रतीत हो रहा था। इस पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से इन वर्गों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही थी एवं कुछ तत्वों द्वारा समाज में संदेह के वातावरण का निर्माण किया जा रहा था। इन परिस्थितियों में शीघ्रता से इस कानून में संशोधन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं पूरा संसद बधाई के पात्र हैं।

राजग संसदीय दल का नेता चुने जाते ही नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार गरीबों, कमजोर, पिछड़ा एवं वंचित वर्गों के लिये समर्पित सरकार होगी। अपने शासनकाल में मोदी सरकार ने अनेक ऐसे निर्णय लिये हैं, जिससे इन वर्गों के विकास एवं उन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ है तथा सामाजिक सद्भाव एवं सुरक्षा के वातावरण में इनके स्वाभिमान एवं आत्म–गौरव की भावना मजबूत हुई है। मोदी सरकार ने शुरू से ही अनु.जा./ज.जा. (अत्याचार निवारण) कानून को सशक्त किया है तथा 2016 में इसका संशोधन कर 22 से बढ़ाकर 47 अपराध इसके दायरे में ला दिया। इतना ही नहीं, पीड़ितों को 85,000 रुपये से लेकर 8.25 लाख रुपये तक की राहत राशि का भी प्रावधान किया, जिसका सात दिनों के अंदर भुगतान हो सके। इस संशोधन के माध्यम से पीड़ितों को त्वरित न्याय भी सुनिश्चित करने का प्रावधान किया जिसके अंतर्गत चार्जशीट दायर होने के दो महीने के अन्दर न्यायिक प्रक्रिया पूरी करने का प्रावधान है। यह विषय पूर्व के सरकारों के पास वर्षों से लंबित था, परन्तु इसका निवारण नहीं किया जा सका था। मोदी सरकार ने इस दिशा में शीघ्रता से कार्य कर इस वर्ग को एक बड़ी राहत दी।

भाजपा नीत राजग सरकार ने कमजोर वर्गों के सामाजिक–आर्थिक विकास के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाये हैं। दलित–आदिवासी वर्गों में उद्यमिता बढ़ाने के लिए सामाजिक अधिकारिता मंत्रालयों के विभिन्न निगमों, मुद्रा योजना एवं स्टैण्ड–अप योजना से इन वर्गों में आत्मविश्वास से भरे नये उद्यमियों का उदय हो रहा है। बाबा साहेब की 125वीं वर्ष जयंती को पूरे देश में पूरे धूमधाम से मनाकर उनके विचारों को कार्यान्वित करने का कार्य किया जा रहा है। बाबा साहेब से संबंधित पांच पवित्र स्थलों को पंचतीर्थ घोषित कर उनके विकास का कार्य प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं में रहा है। साथ ही लंदन में ‘अंबेडकर हाउस’ प्रधानमंत्री ने जनता को समर्पित किया। यही नहीं, स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी मैला ढोने की परंपरा कई जगह जारी थी, ऐसे 13,828 मैला ढोने वालों को कौशल विकास द्वारा प्रशिक्षण देकर 40,000 रुपये प्रति व्यक्ति को सहायता राशि देकर पुनर्स्थापित किया गया है। पदोन्नति में आरक्षण पर उत्पन्न गतिरोध को भी सरकार ने कुशलतापूर्वक दूर किया है।

वर्तमान सरकार ने दलित–आदिवासी एवं पिछड़े वर्गों के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाये हैं, जिससे इनके जीवन में व्यापक परिवर्तन हो रहा है। अनु.जा./ज.जा. (अत्याचार निवारण) विधेयक में संशोधन कर प्राथमिकी दर्ज करने से पूर्व आरंभिक जांच की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है तथा अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिये भी अब जांच अधिकारी को किसी की मंजूरी करने की आवश्यकता नहीं है। इन संशोधनों को किसी भी अदालत अथवा अन्य कानूनों से प्रभावित नहीं किया जा सकता, न ही अभियुक्त इन मामलों में अग्रिम जमानत प्राप्त कर सकते हैं। इन संशोधनों से यह कानून और भी अधिक सशक्त हुआ है तथा इन वर्गों में अब सुरक्षा की भावना और बढेंगी। पिछड़ा वर्ग आयोग विधेयक पर जो लोग बार–बार रोड़े अटका रहे थे, इस मुद्दे पर भी समाज में संदेह का वातावरण बनाकर टकराव की स्थिति पैदा करना चाहते थे। संसद में सर्वसम्मति से इस विधेयक पारित होने से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया है और अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिये वे अब दूसरे बहाने ढूंढ़ रहे हैं।

                                                                                                                                                          shivshakti@kamalsandesh.org