जहां कहीं भी आत्मा है, वहीं एक कहानी है : नरेन्द्र मोदी

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‘मन की बात’

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर को ‘मन की बात 2.0’ की 16वीं कड़ी में किस्सा-गोई के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने उल्लेख किया कि कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता और कहा, ‘जहां कहीं भी आत्मा है, वहीं एक कहानी है।’ श्री मोदी ने परिवार के बुजुर्ग सदस्यों द्वारा कहानी कहने की परंपरा के महत्व पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि उनकी यात्राओं के दौरान बच्चों के साथ उनकी परस्पर बातचीत के द्वारा उन्होंने महसूस किया कि चुटकुले व्यापक तरीके से उनके जीवन में समाहित हो गए थे और उनका कहानियों से कोई परिचय ही नहीं था।

श्री मोदी ने देश में कहानी कहने की समृद्ध परंपरा पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत ने हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा का पोषण किया है, जहां कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गई ताकि विवेक और बुद्धिमत्ता की बातों को आसानी से समझाया जा सके।

उन्होंने धार्मिक कहानियां कहने की एक प्राचीन पद्धति ‘कथा’ का उल्लेख किया, तमिलनाडु और केरल में ‘विल्लू पाट’ का उदाहरण दिया जो कहानी और संगीत का एक आकर्षक सामंजस्य है और कठपुतली की जीवंत परम्परा की भी चर्चा की। श्री मोदी ने विज्ञान और विज्ञान कथाओं पर आधारित किस्सा-गोई की बढ़ती लोकप्रियता का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने कहानीकारों से ऐसा तरीका खोजने का आग्रह किया जो देश की नई पीढ़ी को कहानियों के माध्यम से महापुरुषों और महान नारियों के साथ जोड़ सकें। उन्होंने कहा कि कहानी कहने की कला को अवश्य ही प्रत्येक घर में लोकप्रिय बनाया जाना चाहिए और बच्चों को अच्छी कहानियां सुनाना सार्वजनिक जीवन का एक हिस्सा होना चाहिए।

श्री मोदी ने विचार व्यक्त किया कि प्रत्येक सप्ताह, परिवार के सदस्यों को करुणा, संवेदनशीलता, वीरता, बलिदान, बहादुरी, आदि जैसी विषय वस्तुओं का चयन करना चाहिए और प्रत्येक सदस्य को उस विषय पर एक कहानी सुनानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश शीघ्र ही स्वतंत्रता का 75वां वर्ष मनाने जा रहा है और कहानी सुनाने वालों से आग्रह किया कि वे अपनी कहानियों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणादायी कहानियों को प्रसारित करें। प्रधानमंत्री ने उनसे इन कहानियों के माध्यम से नई पीढ़ी को 1857 से लेकर 1947 तक की प्रत्येक बड़ी और छोटी घटनाओं को प्रस्तुत करने को कहा।

‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए कृषि क्षेत्र की मजबूती आवश्यक

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा कि कोविड संकट के दौरान देश के किसानों ने शानदार सहनशीलता का परिचय दिया है। श्री मोदी ने कहा कि यदि कृषि क्षेत्र मजबूत रहेगा, तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत रहेगी।

उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में यह क्षेत्र कई प्रतिबंधों से मुक्त हुआ है और इसने कई मिथकों से भी मुक्त होने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री ने हरियाणा के किसान श्री कंवर चौहान का उदाहरण साझा किया, जो मंडी के बाहर अपने फलों और सब्जियों के विपणन में बड़ी कठिनाइयों का सामना करते थे, लेकिन 2014 में फलों और सब्जियों को एपीएमसी अधिनियम से बाहर रखा गया, जिससे उन्हें बहुत फायदा हुआ।

उन्होंने एक किसान उत्पादक संगठन का गठन किया और उनके गांव के किसान अब स्वीट कॉर्न तथा बेबी कॉर्न की खेती करते हैं और सीधे दिल्ली की आज़ादपुर मंडी, बड़ी खुदरा शृंखलाओं एवं फाइव स्टार होटलों को आपूर्ति करते हैं, जिससे उनकी आय में काफी वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि इन किसानों को अपने फल और सब्जियां कहीं भी तथा किसी को भी बेचने की सुविधा है और यही उनकी प्रगति की नींव है। अब पूरे देश में किसानों को उनके सभी प्रकार के उपज के लिए यह सुविधा प्रदान की गयी है।

श्री मोदी ने कहा कि नवाचारों और नई तकनीकों के अनुप्रयोग के माध्यम से कृषि क्षेत्र का विकास होगा। उन्होंने गुजरात के एक किसान इस्माइल भाई का उदाहरण दिया, जिन्होंने अपने परिवार द्वारा हतोत्साहित करने के बावजूद खेती की। उन्होंने ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करते हुए आलू की खेती की। उच्च गुणवत्ता वाले आलू अब उनकी पहचान बन गए हैं, जिसे वे बड़ी कंपनियों को बिचौलियों के बिना सीधे बेचते हैं और भारी मुनाफा कमाते हैं।